Famous Gurudwaras In India In Hindi: चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ! सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाउँ!! सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह के इन अनमोल वचनों में न सिर्फ उनकी बल्कि पूरी सिख कौम की बहादुरी और बलिदान की झलक देखने को मिलती है। इसी बहादुरी और बलिदान की मिसाल देते नज़र आते हैं सिख धर्म के वो गुरूद्वारे जिनकी स्थापना के पीछे कोई न कोई अनूठी कहानी है।
1. गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब, अमृतसर(Gurudwara Hari Mandir Sahib, Punjab)
भारत का सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब(Gurudwara Hari Mandir Sahib), जो स्वर्ण मंदिर के नाम से लोकप्रिय है। सन् 1588 में गुरु अर्जन ने इस पवित्र मंदिर की आधारशिला रखी। 19वीं शताब्दी में इस तीर्थस्थल की रक्षा करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने इसकी ऊपरी मंजिलों को सोने की चादर से ढक दिया, जिसके बाद गुरुद्वारे को नया नाम ‘स्वर्ण मंदिर'(Golden Temple) दिया गया। स्वर्ण मंदिर के चार द्वार इस बात का प्रतीक हैं कि सिख सभी क्षेत्रों के लोगों को स्वीकार करते हैं।
2. गुरुद्वारा बाबा अटल साहिब, अमृतसर(Gurudwara Baba Atal Sahib, Punjab)
अमृतसर में ही मौजूद गुरुद्वारा बाबा अटल साहिब, गुरु हरगोबिंद सिंह के बेटे की समाधि है। बता दें कि बाबा अटल की मृत्यु 9 वर्ष की उम्र में ही हो गई और जिस स्थान पर उन्होंने दुनिया को त्यागा, वही गुरुद्वारा स्थापित कर दिया गया। इस गुरुद्वारा में एक 40 मीटर ऊंचा अष्टभुजीय स्तंभ है। इसमें 9 तल्ले हैं, जो बाबा अटल राय के 9 साल के संक्षिप्त जीवन को दर्शाते हैं।
3. तख्त श्री दमदमा साहिब, तलवंडी साबो(Takht Sri Damdama Sahib, Punjab)
तलवंडी साबो में स्थित यह गुरुद्धारा साहिब, सिख धर्म के पवित्र पांच तख्तों में से एक है। सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने यहां आकर दम लिया था, मतलब आराम किया था। इस कारण ही इस जगह का नाम दमदमा साहिब पड़ा। बाद में गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा इस गुरुद्धारा साहिब को सिखों के तख्त का दर्जा दे दिया था।
4. गुरुद्वारा सेहरा साहिब, सुल्तानपुर(Gurudwara Sehra Sahib, Punjab)
इस गुरुद्वारे के बारे में कहा जाता है कि गुरु हर गोविंद सिंह जी की बारात यहां से गुजरी थी और इस शहर में ही उनकी सेहरा बंधी की रस्म की गई थी। इसके बाद यहां गुरुद्वारा बना और उसका नाम सेहरा साहिब रखा गया।
1. गुरुद्वारा बंगला साहिब, नई दिल्ली(Gurudwara Bangla Sahib, New Delhi)
दिल्ली के केंद्र में स्थित, गुरुद्वारा बंगला साहिब अपने नाम के ही अनुरूप एक बंगले को तब्दील करके बनाया गया है। दरअसल 17वीं शताब्दी तक ये एक बंगला था, जहां आठवें सिख गुरु हर कृष्ण ठहरे थे। उनकी याद में 18वीं शताब्दी में यहां नया निर्माण किया गया।
2. गुरुद्वारा मजनू का टीला, दिल्ली(Gurudwara Majnu ka Tila, Delhi)
ISBT कश्मीरी गेट के पास उत्तरी दिल्ली में स्थित इस गुरुद्वारे को दिल्ली का सबसे पुराना सिख मंदिर माना जाता है। पुराणिक मान्यताओं के मुताबिक ईरानी सूफी अब्दुल्ला जो मजनू (प्रेम में दीवाना) कहलाता था उसकी भेंट 20 जुलाई 1505 को यहां सिखों के गुरु गुरु नानक देव से हुई थी। स्वयं गुरु नानक ने ये घोषणा की थी कि ये जगह मजनूं का टीला के नाम से जानी जाएगी। 1783 में सिख नेता बघेल सिंह ने गुरु नानक के निवास की स्मृति में यहां गुरुद्वारा बनवाया, जिसे मजनू का टीला नाम दे दिया गया। ।
3. गुरुद्वारा शीशगंज, दिल्ली(Gurudwara Sis Ganj Sahib, Delhi)
पुरानी दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा शीशगंज नौवीं पातशाही गुरु तेगबहादुर जी से संबंधित है। यहां हिन्दू-सिख एवं अन्य धर्मों के लोग समान आस्था से शीश नवाते हैं।
1. गुरुद्वारा मट्टन साहिब(Gurudwara Mattan Sahib, Jammu and Kashmir)
श्रीनगर के अनंतनाग-पहलगाम रोड पर स्थित है गुरुद्वारा मट्टन साहिब। कहा जाता है कि गुरु नानक देव के प्रभावशाली संदेश को सुनने के बाद एक ब्राह्मण ने सिख धर्म को अपना लिया और उसी ब्राह्मण ने इस गुरूद्वारे का निर्माण करवाया। गुरुद्वारा मट्टन साहिब सर्वोच्च, अनन्त ज्ञान और विश्वास का प्रतीक है। यह कश्मीर के सबसे लोकप्रिय पवित्र स्थानों में से एक है, जहाँ सिख श्रद्धालुओं के अलावा ब्राह्मण भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
2. गुरुद्वारा छेविन पातशाही थारा साहिब(Gurudwara Chhevin Patshahi Thara Sahib, Jammu and Kashmir)
गुरुद्वारा छेविन पातशाही थारा साहिब को 6 वें सिख गुरु, गुरु हर गोबिंद सिंह की यात्रा के सम्मान के लिए बनाया गया था। यह पवित्र स्थान सिंघपुरा गाँव में स्थित है, जो बारामूला, जम्मू और कश्मीर के करीब है।
1. गुरुद्वारा रिवालसर, मंडी(Gurudwara Rewalsar, Himachal Pradesh)
गुरु गोविंद साहिब के सम्मान में निर्मित, गुरुद्वारा रिवालसर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है। गुरुद्वारा का निर्माण उसी स्थान पर किया गया था जहां गुरु गोबिंद साहिब ने मंडी के राजा सिद्ध सेन से मुलाकात की थी। एक पहाड़ी पर स्थित, गुरुद्वारा रिवालसर विशाल गुंबद के कारण बड़ी दूर से पहचाना जा सकता है। इस पवित्र स्थान पर जाने के लिए व्यक्ति को 108 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
2. गुरुद्वारा डेरा बाबा वडभाग(Gurudwara Dera Baba Bharbhag, Himachal Pradesh)
ऊना टाउन के पास स्थित, डेरा बाबा वडभाग, गुरबाग सिंह को समर्पित है। इस पवित्र मंदिर को गुरुद्वारा मंजी साहिब कहा जाता है। यह एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है और हर साल बाबा वडभाग, सिंह मेला या होला मोहल्ला मेला नामक एक उत्सव यहां आयोजित किया जाता है।
3. गुरुद्वारा भानगढ़ी साहिब, सिरमौर(Gurudwara Bhangani Sahib, Himachal Pradesh)
सिरमौर स्थित इस गुरुद्वारे को भानगढ़ी की लड़ाई के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। भानगढ़ी वह स्थान है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी पहली लड़ाई बीस साल की उम्र में लड़ी थी। गुरु जी ने राजा भीम चंद को हराया। यह गुरुद्वारा सिखों की एकता की जीत और शक्ति को दर्शाता है। धान के खेत के बीच स्थित संगमरमर का ये गुरुद्वारा बेहद लुभावना लगता है।
4. गुरुद्वारा दसवीं पातशाही, नादौन(Gurudwara Nadaun, Himachal Pradesh)
कांगड़ा जिले के नादौन में स्थित गुरुद्वारा दासविन पातशाही गुरु गोविंद सिंह द्वारा लड़ी गई दूसरी लड़ाई की याद में बनाया गया था। उन्होंने मुगल कमांडर इन चीफ अलिफ खान को हराने के लिए राजा भीम चंद की मदद की। युद्ध में विजयी होने के बाद, गुरु जी नौ दिनों तक नादौन में रहे। गुरुद्वारा दासविन पातशाही की वर्तमान संरचना का निर्माण 1929 में राय बहादुर वासाख सिंह द्वारा किया गया था।
5. गुरुद्वारा पौड़ साहिब, बिलासपुर(Gurudwara Paur Sahib, Himachal Pradesh)
बिलासपुर में स्थित पौड़ साहिब का भी अपना इतिहास है। कहते है कि बिलासपुर के दौरे के दौरान गुरु हर गोबिंद सिंह जब इस स्थान पर पहुँचे, तो उनके घोड़े ने जमीन पर धावा बोलना शुरू कर दिया, जिससे पानी जमीन से बाहर निकल गया। उसी फव्वारे के बगल में इस गुरुद्वारे का निर्माण किया गया।
6. गुरुद्वारा शेरगढ साहिब(Gurudwara Shergarh Sahib, Himachal Pradesh)
गुरुद्वारा शेरगढ़ साहिब लोकप्रिय सिख तीर्थ केंद्र पौंटा साहिब से 12 किमी की दूरी पर स्थित है। गुरुद्वारा उस स्थान पर निर्मित माना जाता है जहाँ सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह, ने एक आदमखोर बाघ से आदमी को मुक्त किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, उन्होनें तलवार के एक वार से बाघ को मार डाला था।
पटना में स्थित, तख्त श्री पटना साहिब भारत के महत्वपूर्ण सिख धार्मिक स्थलों में से एक है। बता दें कि पटना गुरु गोविंद सिंह का जन्म स्थान है। गुरुद्वारे को 1780 में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा गुरु गोविंद सिंह की याद में बनाया गया था।
2. तख्त सचखंड श्री हजुर अबचल नगर साहिब गुरुद्वारा, महाराष्ट्र(Takhat Sachkhand Shri Hazur Abchalnagar Sahib Gurudwara, Maharashtra)
नांदेड़ में स्थित तख्त सचखंड श्री हजूर अचलनगर साहिब गुरुद्वारा, सिख धर्म के पाँच तख्तों में से एक माना जाता है। ये वही स्थान है जहां 10वें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने अंतिम सांस ली थी। महाराजा रणजीत सिंह ने 1832 में यहां गुरुद्वारा बनवाया। अंदर के परिसर को सचखंड या सत्य का क्षेत्र कहा जाता है और गुरुद्वारा के अंदर का कमरा जहाँ गुरु गोविंद सिंह ने अंतिम सांस ली, उसे अंगीठा साहिब कहा जाता है।
3. गुरुद्वारा नानक जिरक साहिब, कर्नाटक(Gurudwara Nanak Jhira Sahib, Karnataka)
कर्नाटक के बीदर में स्थित इस गुरुद्वारे से एक चमत्कारी घटना जुड़ी है। गुरु नानक मरदाना के बाहरी इलाके में रह रहे थे, जहां पानी की कमी थीफ। लाख कोशिशों के बावजूद गांव के लोगों के लिए की पीने का पानी मिलना मुश्किल था। कहा जाता है कि गुरु नानक ने अपने पैर की अंगुली से पहाड़ी के एक हिस्से को छुआ और वहां से मीठे पानी का एक फव्वारा फूट पड़ा। बता दें कि यहां गुरुद्वारा में होली, दशहरा और गुरु नानक के जन्मदिन पर एक वर्ष में तीन बार बड़ी संख्या में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है।
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4. गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड(Gurudwara Sri Hemkunt Sahib, Uttarakhand)
हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद साहिब, गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के लिए समर्पित, समुद्र तल से 4000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है। ये एक तारे के आकार का गुरुद्वारा है जिसे विशेष रूप से मौजूदा मौसम और जगह की ऊंचाई को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया।
गुरुद्वारा यानि गुरु का द्वार, आप भी एक बार ज़रूर किसी गुरुद्वारे में मत्था टेके।
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