Famous Krishna Temples in South India: पूरी सृष्टि के स्वामी व पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा केवल हिन्दू धर्म और भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी भगवान श्रीकृष्ण को पूजा व माना जाता है। वेदों व पुराणों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रप्रद महीने के रोहिणी नक्षत्र के अष्टमी के दिन हुआ था। हर साल उनके जन्म तिथि पर भारत व विदेशों में भगवान श्रीकृष्ण का पर्व जन्माष्टमी के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
भारत देश के कोने कोने में श्रीकृष्ण के कई अनोखे व प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन सभी मंदिरों में नन्द बाबा और यशोदा मैया के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण की पुरानी कहानियां व किस्से जुड़े हैं। श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर उनके मथुरा आने तक और द्वारका के राज्य बनाने से लेकर महाभारत काल तक में जहांं-जहां गए व निवास किया। ये सब स्थान आज पूजीनीय मंदिरों के रूप में मौजूद हैं और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए जाते हैं। आज के इस लेख में हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के दक्षिण भारत में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे।
साउथ इंडिया के केरल राज्य में भगवान श्रीकृष्ण के कई प्रसिद्ध व अनोखे मंदिर हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक गुरुवायूर का मंदिर है, जिसे दक्षिण भारत में द्वारका मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को भूलोका बैकुंठ मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। जो की पृथ्वी पर भगवान विष्णु का सबसे प्रवित्र स्थान व निवास के रूप में जाना जाता है। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप में विराजमान हैं, जिसे गुरुवायुरप्पन कहते है।
इस मंदिर की स्थापना को लेकर ऐसा माना जाता है कि, जब गुजरात में बाढ़ आई तो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति इस बाढ़ में बह गई। जिसे गुरु ब्रहस्पति ने बचा लिया और भगवान शिव व माता पार्वती ने केरल में स्थापित करने को कहा। ब्रहस्पति देव ने वायु देव की मदद से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को केरल में स्थापित किया। इसीलिए केरल में स्थित कृष्ण मंदिर का नाम ब्रहस्पति( गुरु) और वायु देव के नाम पर गुरुवायूर मंदिर हो गया।
भारत के चारों धामों में से एक उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी का मंदिर है। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। यहां पर स्थानीय लोगों की यह मान्यता है कि, द्वापर युग के बाद भगवान श्रीकृष्ण निवास करने लगे थे। जगन्नाथ पुरी में हर साल मनाई जाने वाली रथ यात्रा दुनिया भर में मशहूर है।
यहां पर भगवान की रथ यात्रा को खींचने व देखने के लिए दुनिया भर से काफी लोग पहुंचते हैं। यहां पर तीन विशाल रथों की यात्रा निकाली जाती है। जिसमें सबसे आगे प्रभु बलराम, फिर बहन सुभद्रा और आखिर में पूरे जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण होते हैं। आप कृष्णजन्माष्टमी व रक्षाबंधन के पर्व पर भी जगन्नाथ पुरी धाम जा सकते हैं।
तमिलनाडु राज्य के चेन्नई में भगवान श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर पार्थसारथी मंदिर त्रिपलीकेन स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के चार अवतारों की पूजा होती है, जिसमें भगवान विष्णु के चार रूप, श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनरसिंह और भगवान वराह के अवतार शामिल हैं। इस मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। मंदिर व उसके आस-पास का नजारा लोगों के मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इस मंदिर की स्थापत्य कला और वास्तुकला अद्भुत है।
दक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक भगवान श्रीकृष्ण का मठ मंदिर है। यह मंदिर कर्नाटक के उड्डपी प्रांत में स्थित है। उड्डपी के श्रीकृष्ण मठ मंदिर की एक खासियत यह है कि, यहाँ पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा मंदिर की खिड़की में मौजूद 9 छिद्रों से की जाती है। मठ मंदिर का निर्माण लकड़ी और पत्थर से किया गया है। मंदिर के पास स्थि तालाब के पानी में मंदिर का चित्र दिखाई देता है। जन्माष्टमी के मौके पर यहां लोगों की भीड़ काफी जमा रहती है।
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