Trimbakeshwar Jyotirlinga Temple History In Hindi: भारत को अगर मंदिरों का देश कहें तो कुछ गलत ना होगा। पग-पग पर मंदिर और कण-कण में देवताओं का वास…. यही तो है भारत। यहां हर मंदिर का अपना एक अलग इतिहास है, अपनी एक अलग कहानी है। ऐसा ही एक मंदिर है त्र्यंबकेश्वर मंदिर (trimbakeshwar Jyotirlinga) जो नासिक से 28 किलोमीटर दूर त्रिंबक शहर में बना है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जहां के दर्शन मोक्षदायी माने गए हैं। बेहद पवित्र मानी जाने वाली गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के पास मौजूद ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है जहां देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। इस ज्योतिर्लिंग में हमें तीन मुखी भगवान शिव का पिण्ड, भगवान ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र का प्रतिनिधित्व करते है, उसके दर्शन होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि पेशवा के समय नाना साहेब पेशवा के शासनकाल में त्रिंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Temple) के निर्माण और त्रिंबकेश्वर शहर के विकास की योजना बनाई गई थी। और तभी इस मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू हुआ। ऐसा कहा जाता है कि पेशवा ने एक शर्त लगाई थी कि ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है या नहीं। पत्थर खोखला साबित हुआ और शर्त हारने पर पेशवा ने वहां एक अद्भुत मंदिर (Marvelous Temple) बनवाया। मंदिर के देवता शिव को विश्व प्रसिद्ध नासक डायमंड (Nassak Diamond) से बनाया गया। लेकिन इस मंदिर को तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध में अंग्रेजों ने लूट लिया था।
नाशिक जिले के नाशिक शहर से 18 किलोमीटर दूर ब्रह्मगिरी पर्वत की तलहटी में ये मंदिर मौजूद है। किवदंतियों की माने तो एक बार त्र्यंबकेश्वर में अकाल (Famine) पड़ा जो चौबीस सालों तक रहा। इसके चलते लोग भूख से मरने लगे। हालांकि, बारिश के देवता (God Of Rains) वरुण ऋषि गौतम से प्रसन्न थे और इसलिए त्र्यंबकेश्वर में केवल उन्हीं के आश्रम में ही रोजाना बारिश करवाते थे। अकाल के कारण ऋषियों ने उनके आश्रम में ही शरण ली और ऋषियों के आशीर्वाद से गौतम की श्रेष्ठता बढ़ने लगी जबकि भगवान इंद्र की प्रसिद्धि कम होने लगी। जिसके बाद इंद्र ने अकाल खत्म करके पूरे गांव में वर्षा करा दी लेकिन फिर भी गौतम ने ऋषियों को भोजन कराना जारी रखा। एक दिन एक गाय उनके खेत में आई और फसल चरने लगी। इससे गौतम ऋषि नाराज हो गये और उन्होंने दरभा यानि नुकीली घास गाय के ऊपर फेंक दिया। जिसके कारण गाय मर गई। ये गाय देवी पार्वती की सहेली जया थी। जब ये खबर सभी ऋषियों ने सुनी तो उन्होने आश्रम में भोजन करने से इनकार कर दिया। तब गौतम को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उन्होंने ऋषियों से प्रायश्चित (Forgiveness) करने का तरीका पूछा। तब ऋषियों ने उन्हें गंगा में स्नान करने की सलाह दी। तब गौतम ने ब्रह्मगिरि के शिखर (Brahmgiri Feet) पर जाकर भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे उन्हें गंगा प्रदान करें। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्होंने गंगा नदी को पृथ्वी पर नीचे आने का आदेश दिया। ब्रह्मगिरी पहाड़ी से बहने वाली नदी को गौतम ऋषि ने इसे एक कुंड में भी फँसा दिया, जिसे कुशावर्त (Kushavarta) कहा जाता है। ये कुंड आज भी इसी मंदिर में मौजूद है। तब, ऋषि ने भगवान शिव से वहां निवास करने का अनुरोध किया। उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए प्रभु वहाँ रहने के लिए लिंग में बदल गए।
अगर आप नासिक के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर यानि शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो मंदिर दर्शनों के लिए सुबह 6 बजे खुलता है और रात 9 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर में आकर आप भगवान शिव के निमित्त विभिन्न तरह की पूजा और आरती करवा सकते हैं। जो इस प्रकार हैं-
पुरानी बीमारियों से छुटकारा पाने और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए ये पूजा की जाती है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में महामृत्युंजय पूजा सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच होती है।
पंचामृत यानि दूध, घी, शहद, दही और शक्कर के साथ भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इस दौरान कई मंत्रों और श्लोकों का पाठ भी किया जाता है। यह पूजा भी 7 से 9 बजे के बीच की जाती है।
स्वास्थ्य (Health) और धन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए ये अभिषेक किया जाता है। इस पूजा से कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव भी दूर होते हैं।
इस पूजा में मंदिर में ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद का पाठ किया जाता है।
कुंडली में राहु और केतु की दशा को बेहतर बनाने के लिए काल सर्प पूजा की जाती है।
पितृ दोष (Pitru Dosh) और परिवार पर पूवर्जों के श्राप से बचने के लिए नारायण नागबली पूजा की जाती है।
नासिक के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शनों के लिए अक्टूबर से मार्च तक के समय को सबसे बेहतर माना गया है। क्योंकि इन दौरान यहां हल्की सर्दी पड़ती है। लेकिन अगर आपके पास कम बजट है तो आप मानसून के दौरान आ सकते हैं। क्योंकि सर्दियों में पीक सीज़न होने के चलते यहां चीज़ें काफी महंगी हो जाती है। हालांकि इस मंदिर के पट पूरे साल खुले रहते हैं आप जब चाहे यहां आकर दर्शन कर सकते हैं।
अगर आपको त्र्यंबकेश्वर मंदिर में दर्शनों के लिए जाना है तो रहने खाने की चिंता बिल्कुल ना करें क्योंकि यहां आपको ठहरने के लिए सस्ते और महंगे दोनों कीमतों में होटल और गेस्टहाउस मिल जाएंगे। साथ ही यहां खाने को लेकर भी कोई परेशानी नहीं होगी।
त्र्यंबकेश्वर नासिक शहर के केंद्र से सिर्फ 30.3 किमी दूर है। लिहाज़ा आप रोडवेज से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। नासिक से त्र्यंबकेश्वर पहुँचने के लिए बस या टैक्सी (Taxi) भी ली जा सकती है।
त्र्यंबकेश्वर में कोई रेलवे स्टेशन तो नहीं है। लेकिन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड रेलवे स्टेशन (NK) है जो लगभग 177 किमी दूर है। आप मुंबई या भारत के किसी अन्य शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। इसके बाद यहां से टैक्सी लेकर त्र्यंबकेश्वर जा सकते हैं।
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आप हवाई यात्रा से भी यहां पहुंच सकते हैं, हालांकि इसके लिए आपको पहले नासिक आना होगा जहां से आप टैक्सी से त्रयंबकेश्वर आसानी से पहुंच सकेंगे।
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