सावन का पावन महीना शुरू होते ही शिव भक्तों में खुशी की लहर छा गयी है। शिव के भक्त जगह-जगह कांवड़ ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह महीना कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने के लिए बेहद अच्छा माना जाता है। इस महीने 17 जुलाई को सावन शुरू हुआ और अगले महीने यानी अगस्त की 12 तारीख को खत्म होगा। इस बार सावन में कुल चार सोमवार पड़ रहे हैं। सावन में किये गए सोमवार के व्रत के बहुत महत्व होता है। सावन के सोमवार में किये गए व्रत से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होता है। जहां एक तरफ सही ढंग से पूजा करके भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है वहीं, जरा सी लापरवाही आपको पूजा का फल प्राप्त करने से वंचित रख सकती है।
शिव पूजा में कुछ चीजों का विशेष महत्व होता है और उन्हीं चीजों में से एक चीज है बेलपत्र। बेलपत्र के बिना भोलेनाथ की पूजा अधूरी है। अब आपके मन में सवाल आया होगा कि भला शिवजी की पूजा में बेलपत्र का इतना महत्व क्यों है। आखिर क्यों इसे चढ़ाने से महादेव खुश हो जाते हैं। तो आज हम आपके इन सवालों का जवाब लेकर आये हैं।
जैसा कि हमने आपको बताया भोलेनाथ को बेलपत्र बेहद प्रिय है और इसका सीधा संबंध समुद्र मंथन से है।पौराणिक कथाओं की मानें तो जब समुद्र मंथन से विष निकला था तो शिवजी ने विष पान किया था और इससे उनके कंठ में जलन होने लगी। उनके इसी कंठ की जलन को दूर करने के लिए जलाभिषेक किया जाता है और बेलपत्र इसलिए चढ़ाया जाता है ताकि भगवान के मस्तिष्क को ठंडक पहुंचे। साथ ही यह भी कहा जाता है कि यदि आप बेलपत्र शिवजी को चढ़ाएंगे तो दरिद्रता आपसे कोसों दूर चली जायेगी और आप सौभाग्यशाली बन जाएंगे।
बेलवृक्ष को संपन्नता का प्रतीक कहते हैं। मान्यता अनुसार बेल के वृक्ष में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए घर में बेल वृक्ष के लगाने को बेहद शुभ माना गया है। बेल वृक्ष लगाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और ऐसा करने से व्यक्ति वैभवशाली बनता है।
* शिव पूजा के दौरान शिवजी को बेलपत्र की तीन पत्तियों वाला गुच्छा चढ़ाते हैं और मानते हैं कि इसके मूल भाग में सभी तीर्थों का वास है।
* जो लोग अपने घरों में बेल के वृक्ष लगाते हैं उनके घर में कभी धन-दौलत की कमी नहीं रहती।
* बेलपत्र चढ़ाने से महादेव अपने सभी भक्तों के दुख को हर लेते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
* कुछ विशेष तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना अशुभ माना जाता है. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार को बेलपत्र तोड़ना वर्जित है। यदि आपको पूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल करना है तो इसे एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
* आपको जानकर हैरानी होगी कि बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होते। आप पहले चढ़ाये हुए बेलपत्र को पानी से धोकर दोबारा चढ़ा सकते हैं।
* भगवान शिव को हमेशा बेलपत्र की तीन पत्तियां ही चढ़ाई जाती हैं। भगवान को हमेशा बेलपत्र की अच्छी पत्तियां ही चढ़ाएं. कटी-फटी पत्तियों को चढ़ाने से बचें।
बेल वृक्ष की उत्पत्ति को लेकर ‘स्कंदपुराण’ में एक कहानी है। कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती ने अपने माथे से पसीना पोछकर फेंका जिसकी कुछ बूंदें मंदर पर्वत पर जा गिरीं. इन्हीं बूंदों से बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई।
भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने का एक खास तरीका है। इसके अनुसार शिवजी को बेलपत्र हमेशा चिकनी सतह यानी उल्टा वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाना चाहिए। इसे हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यम उंगली की मदद लेते हुए चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र अर्पण करने के साथ-साथ शिवजी को जल भी चढ़ाएं।
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