Karwa Chauth Story In Hindi: करवा चौथ का पर्व अखिल भारतीय नहीं है। यह अवध से लेकर पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हिमाचलप्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है, करवा चौथ से जुड़ी हुई परंपराओं में एक अनूठी परंपरा है करवा कला। करवा कला यानी संपूर्ण करवा की कहानी कहते भित्ति चित्र। यह एक अनूठी लोक कला है जो सदियों से परंपरा के रूप में चली आ रही है।
करवा चौथ पर करवा के चार प्रयोग मिलते हैं पहला संपूर्ण करवा अनुष्ठान दूसरा मिट्टी का टोंटीदार करवा, जिसका पूजन में प्रमुख स्थान है। इसी से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। तीसरी वह भेंट जो वह करवा के अवसर पर भाई बहन के लिए लाता है। और चौथे करवा चौथ से जुड़े चित्र।
इन चित्रों की निर्माण कला को करवा धरना एवं चित्रों को वर कहते हैं। करवा धरने की कला में सबसे अधिक पारंगत लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, लखीमपुर, उन्नाव, कानपुर और इटावा तक फैले क्षेत्र की नारियाँ होती हैं, वे करवा पूजन के निमित्त इन भित्ति चित्रों का निर्माण करती हैं।
वैसे हर सुहागिन जो करवा चौथा का व्रत रखती है, उसे पारंपरिक रूप से करवा धरने में महारत हासिल होती है। चूँकि यह प्रायः दीवार पर धरा जाता है, अतः यह कार्य स्वयं ही करना पड़ता है।
स्वयं करवा धरने का एक मनोवैज्ञानिक लाभ भी है। निर्जल व्रत रखने वाली नारी सुबह से शाम तक इस प्रक्रिया में व्यस्त रहती है और उसका दिन कब बीत गया इसका पता ही नहीं चलता और बिना किसी परेशानी के दिन व्यतीत हो जाता है।
करवा रेखांकन चित्रण की कला है। यह एक ओर सुहाग की अटलता के अनुष्ठान से जुड़ी है तो दूसरी ओर भित्ति चित्रों की कला पारंपरिक लोक कला से।
दीवारों के अलावा कहीं-कहीं सुविधानुसार इसे जमीन पर भी धर लिया जाता है। जमीन का करवा सादा होता है। वह चावल के आटे और हल्दी के घोल से अँगुली के सहारे जमीन पर बनाया जाता है।दीवारों में बनने वाले करवे अलग-अलग जगहों पर अपनी परंपराओं के अनुरूप धरे जाते हैं। कुछ क्षेत्रों पर यह रंगीन बनते और कुछ क्षेत्रों में गेरू व चावल के आटे से।
Read Also: Karwa Chauth Shringar
दोनों ही परिस्थितियों में सर्वप्रथम दीवार पर एक आयताकार फलक का निर्माण करना होता है, इसे कैनवास कह सकते हैं। रंगीन करवे के लिए दीवार पर चावल के आटे का घोल पोत दिया जाता है। सूखने पर उसे झाड़ दिया जाता है।
सूखने पर इस फलक पर बनने वाले प्रतीकों का पेंसिल या काले रंग से खाका बनाया जाता है। इसके पश्चात् इनमें रंग भरे जाते हैं। रंग मुख्यतः हरा, लाल, गुलाबी, नीला, पीला होता है। करवा चित्रण में किनारा जरूर बनाया जाता है। बॉर्डर बेलदार या लहरदार या फूलदार या त्रिभुज, आयताकार, वर्ग व वृत्त जैसी ज्यामितीय आकृतियों के मिश्रण से बनाया जाता है।
गेरू और चावल से बनने वाले करवों में फलक गेरू का होता है, उस पर पिसे हुए चावल के घोल से संपूर्ण चित्रकारी की जाती है। यह संपूर्ण पारंपरिक पुट लिए हुए होती है।
Read Also: Karwa Chauth Vrat Katha
करवा में चित्रित प्रतीकों को सामान्यः दो श्रेणियों में रखा जाता है। एक अलौकिक और दूसरे इह लौकिक (भौतिक) जगत के प्रतीक। करवा में गौरी चित्रण प्रधान है। वही केंद्र है करवा रखने का। गौरी चिरसुहागिन हैं। उसी से सुहाग लेकर चिरसुहाग की कामना की जाती है।
अलौकिक आकृतियों में सूर्य व चंद्रमा भी प्रमुखता से बनाए जाते हैं। इसके अलावा कृष्ण, शंकर व गणेश को भी परंपरा अनुरूप बनाया जाता है। गौरी के लिए टोंटीदार करवा, पंखा, सीढ़ी, बैठकी मचिया, चटाई, खाट और चप्पल
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…
Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…
Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…
Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…
Benefits of Roasted Chana with Jaggery In Hindi: शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए…