धर्म

जानें गुवाहाटी के अंबूवाची मेले के बारे में, क्यों बाकी मंदिरों से अलग है कामाख्या देवी का ये शक्तिपीठ (Know Facts of Ambubachi mela related to Kamakhya devi)

भारत परंपराओं और पौराणिक मान्यताओं का देश है…और इन परंपराओं और मान्यताओं को सार्थक करते हैं यहां मौजूद दिव्य स्थल यानि कि मंदिर। भारत के पग-पग पर मंदिर स्थापित है और हर मंदिर अपने आप में बेहद खास है। हर किसी मंदिर की स्थापना के पीछे कोई ना कोई पौराणिक मान्यता है और इन मान्यताओं का आज भी लोग पालन करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है असम की राजधानी गुवाहाटी में मौजूद कामाख्या देवी मंदिर। जो बेहद निराला और अद्भुत है। इस मंदिर में हर साल एक मेला भी लगता है जिसे कहा जाता है अंबूवाची मेला। जो इस साल 22 जून से शुरू होकर 26 जून तक चलेगा। क्यों है ये मेला इतना खास और किस परंपरा का पालन करते हैं इस दौरान लोग, आइए आपको बताते हैं।

52 शक्तिपीठों में से एक है कामाख्या देवी मंदिर

गुवाहाटी में मौजूद मां कामाख्या का ये मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहते हैं जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के टुकड़े किए तो इससे 52 टुकड़े देश के अलग अलग जगहों पर गिरे। जहां भी ये टुकड़े गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गया। कहा जाता है असम के गुवाहाटी में माता सती का योनि भाग गिरा था। यहां मां की कोई मूर्ति या प्रतिमा स्थापित नहीं है।

4 दिनों तक चलता है अंबूवाची मेला

मां कामाख्या देवी के मंदिर में हर साल 4 दिनों के लिए अंबूवाची मेला आयोजित होता है। ये मेला अपने आप में ही बेहद अद्भुत है। आइए आपको इस मेले से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।

  • अंबूवाची मेले के दौरान कामाख्या देवी मंदिर के गर्भ गृह को पूजा-अर्जना के लिए बंद कर दिया जाता है
  • कहते हैं इस दौरान 4 दिनों तक देवी सती रजस्वला में रहती हैं।
  • कहते हैं इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल हो जाता है। लिहाज़ा नदी में स्नान करने पर पाबंदी होती है।
  • मान्यता है कि इस दौरान जमीन या मिट्टी नहीं खोदनी चाहिए।
  • इस दौरान मां कामाख्या के भक्त अन्न और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जी और फलों का सेवन भी नहीं करते हैं।
  • अंबूवाची मेले के दौरान ब्रह्मचार्य का पालन करना सख्त जरूरी है।
  • ये मेला तंत्र साधकों के लिए सबसे खास होता है लिहाज़ा इस दौरान पूरे देश भर से बड़ी तादाद में तांत्रिक यहां पहुंचते हैं।

मेले में भक्तों को मिलता है अनूठा प्रसाद

इस मेले की खास बात ये है कि इस मेले के आखिरी दिन भक्तों को अनूठा और अद्भुत प्रसाद मिलता है। कहा जाता है कि देवी के रजस्वला होने के चार दिनों तक मां की प्रतिमा के आस-पास सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है और गर्भ गृह को बंद कर दिया जाता है। चौथे दिन जब गर्भ गृह के द्वार खोले जाते हैं तो वो सफेद कपड़ा मां के रज से लाल रंग से पूरी तरह भीग जाता है। इसी कपड़े को बाद में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

कामाख्या देवी मंदिर जाएं तो भैरव मंदिर में जरूर करें दर्शन

कामाख्या मंदिर के पास ही उमानंद भैरव का मंदिर मौजूद है, जिनके दर्शन बेहद जरूरी है। कहा जाता है कि भैरव के दर्शन के बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

Facebook Comments
Pooja Choudhary

Share
Published by
Pooja Choudhary

Recent Posts

शिशु की त्वचा की देखभाल कैसे करें? 7 आसान Baby Skincare Tips

नवजात शिशु की त्वचा (baby skin) को छूने का अहसास दुनिया का सबसे सुखद अनुभव…

2 weeks ago

रोते हुए बच्चे को शांत कैसे करें? 10 आसान और असरदार घरेलू तरीके

एक नए माता-पिता के तौर पर, बच्चे के रोने की आवाज़ से ज़्यादा परेशान करने…

2 months ago

नवजात शिशु की पहले 30 दिनों की देखभाल कैसे करें? (A Complete Guide for New Parents)

घर में एक नन्हे मेहमान का आना दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक…

2 months ago

हिसार की छात्रा के बायोइन्फॉर्मेटिक्स शोध से दर्दनाक मस्तिष्क की चोट का अल्जाइमर से संबंध उजागर हुआ

हिसार, हरियाणा – हरियाणा के हिसार जिले के भाटोल जाटान गांव की कीर्ति बामल, जो…

6 months ago

मध्य प्रदेश टूरिज़्म 2025: एक प्रगति की कहानी — ‘Heart of Incredible India’

मध्य प्रदेश, जिसे हम गर्व से Heart of Incredible India कहते हैं, अब सिर्फ घूमने…

6 months ago

IRCTC अकाउंट को आधार से ऐसे करें लिंक, वरना तत्काल टिकट बुकिंग पर लग सकता है ताला!

अगर आप भारतीय रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा IRCTC का इस्तेमाल करते हैं, तो…

6 months ago