Kushotpatini Amavasya 2019: भाद्रपद का महीना चल रहा है। और भाद्रपद का ये महीना कई कारणों से बेहद विशेष होता है। इसी महीने भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी मनाया जाता है, तो 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव भी इसी महीने होता है। वहीं कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयंती भी इसी महीने होती है तो राधाष्टमी भी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। यानि कि भाद्रपद का ये महीना वाकई बेहद विशेष और शुभ फल देने वाला है। ले किन भाद्रपद का ये महीना एक और वजह से भी बेहद खास है। वो वजह है इस महीने की अमावस्या…जिसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। इस साल ये अमावस्या 30 अगस्त को मनाई जाएगी। इसे कुशग्रहिणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन कुश यानि घास उखाड़ने की परंपरा होती है, इसी कारण इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या(Kushotpatini Amavasya) कहा जाता है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर सुबह स्नान आदि के बाद किसी पार्क या जहां कुश मिल सकें वहां जाकर ऊं ह्रूं फट् स्वाहा इस मंत्र का जाप करते हुए कुश को उखाड़ना चाहिए। इस उखाड़ी गई कुश को अपने घर पर रखना चाहिए इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
विचित्र बात ये है कि कुशोत्पाटिनी अमावस्या से एक दिन पहले कुश के पास जाकर उसे अपने घर आने का निमंत्रण भी दिया जाता है और फिर अगले दिन यानि अमावस्या के दिन कुश को उखाड़ा जाता है।
1. कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर कुश उखाड़ने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसके कुछ मायने भी है। माना जाता है कि उखाड़ी गई कुश को घर में एक साल तक रखने से तंत्र-मंत्र, जादू टोने व बुरी नज़र का कोई भी असर घर परिवार या किसी सदस्य पर नहीं पड़ता है।
2. इसके अलावा माना जाता है कि कुश को उखाड़ कर घर में रखने से केतु के बुरे फलों से बचा जा सकता है। इसका कारण ये है कि कुश का स्वामी केतु होता है और अगर आज के दिन कुश को घर में रखें तो केतु के अशुभ प्रभावों से आप बच सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि हरी पत्तेदार कुश जो कहीं से भी कटी हुई ना हो उसी कुश को ही इस दिन उखाड़ा जाता है।
आपको बता दें कि कुश ज्योतिष शास्त्र में काफी अहमियत रखती है। वनस्पति में कुश को विशेष दर्जा हासिल है। कुश का इस्तेमाल ग्रहण काल के दौरान खाने-पीने की चीज़ों में रखने के लिए किया जाता है। कुश की पवित्री उंगली में पहनते हैं तो वहीं कुश के आसन भी बनाए जाते हैं। और कुश के आसन पर बैठकर ध्यान करना बेहद ही शुभ माना जाता है।
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