Maha Mrityunjaya Mantra Sunne Ke Fayde: लगभग पिछले एक साल से कोरोना महामारी के चलते, पूरी दुनिया अपने घर में ही सिमट के रह गई है। महामारी की चपेट में आने का डर लोगों को खाए जा रहा है। ऊपर से हर रोज फोन पर वॉट्सऐप, फेसबुक मैसेज के जरिए आती बुरी खबरों ने लोगों को तनाव में डाल दिया है, जिससे घर में अजीब सा नकारात्मक माहौल बनता जा रहा है। इस डरावने माहौल में सकरात्मक ऊर्जा पाने के लिए लोग घर में पूजा पाठ कर रहे हैं, भगवान को याद कर रहे हैं। अगर आपका भी हाल कुछ ऐसा ही है, तो यकीन मानिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। तो आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र के फायदे।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
शिवपुराण के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र का निरंतर जाप करने वाले व्यक्ति के प्राण लेना यमराज के लिए काफी कठिन होता है। भगवान भोले शंकर को ‘देवों के देव’ के नाम से जाना जाता है। उनकी आराधना करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की पुकार सुनकर उनके कष्ट दूर कर देते हैं। भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए मनुष्य को ज्यादा कठिनाइ नहीं होती। शास्त्रों में लिखा है कि महादेव के महामृत्युंजय जाप से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और यमराज भी हर मान लेते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र, भगवान शिव को खुश करने का महामंत्र माना जाता है। इसका जाप कर भगवान शिवशंभू के महामृत्युंजय अवतार से दीर्घ आयु की प्रार्थना की जाती है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, इस मंत्र को कई तरह से प्रयोग किया जाता है, विशेषकर असाध्य रोग और अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए।
महामृत्युंजय मंत्र, जटाधारी भगवान शंकर को प्रसन्न करने का सबसे सरल और अचूक मंत्र है। यह मंत्र अमोघ एवं मोक्षदायी है। बुरे वक्त में यदि कोई भक्त श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का जप करे तो बुरी से बुरी और भयानक स्थिति को टाला जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने की विधि –
कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप(Maha Mrityunjaya Mantra Sunne Ke Fayde) करने के लिए सोमवार या प्रदोष का दिन सबसे उपयुक्त होता है। ये दोनों दिन भगवान शिव को समर्पित होते हैं और इस दिन विधिवत तरीके से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने पर विशेष लाभ की प्राप्ति हो सकती है। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनकर अच्छे विचारों व आत्मशुद्धि के साथ पूजा स्थल पर भगवान शंकर के सामने बैठ जाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और हाथ चंदन की माला लेकर 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अब भगवान शिव का स्मरण करें और रोग निवारण या प्राणों की रक्षा के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें।
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