Makka Madina ka Itihaas: मक्का मदीना एक पवित्र स्थल है, जिसे मुस्लिमों के लिए जन्नत का दरवाज़ा भी कहा जाता है। मक्का मदीना जाकर अपनी हज यात्रा को पूरा करना हर मुस्लिम व्यक्ति का सपना होता है। यह वही जगह है जहां बरसों पहले, पहली बार कुरान की घोषणा हुई थी। बहुत कम बारिश होने के कारण यहाँ की जमीन बंजर है, इसलिए यहां प्राचीन काल से ही केवल व्यापार होता आ रहा है। आइए जानते हैं मक्का मदीना का इतिहास(Makka Madina ka Itihaas) व मक्का मदीना के तथ्यों(Makka Madina Facts In Hindi)के बारे में।
सऊदी अरब(Saudi Arabia) के हेज़ाज क्षेत्र में मक्का शहर स्थित है, जिसे इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। यहां पर काबा तीर्थ और सबसे बड़ा प्रसिद्ध मस्जिद “मस्जिद-अल-हरम” (Masjid al-Haram)स्थित है। हज़ के लिए, हर साल यहां लाखों की संख्या में तीर्थयात्री धू-अल-हिजाह(Dhu-al-hijah) के समय पहुंचते हैं। इस स्थान को महान पैगम्बर मुहम्मद(Paigambar Mohhamad)का जन्म स्थान व वह स्थान माना जाता है, जहाँ पहली बार मुहम्मद द्वारा कुरान की क्रांति की शुरुआत हुई थी।
मक्का में ही एक पवित्र स्थल है काबा। यह क्यूब के आकार की एक ईमारत है, जो लोगों के अनुसार करीब 1400 साल पुरानी है। हालांकि, इस्लामी परंपरा के अनुसार, इसे इब्राहीम के समय से भी जोड़ा जाता है। नमाज़ पढ़ते समय सभी मुस्लिम लोग हमेशा काबा की तरफ मुहँ रखते हैं। काबा, मक्का में पत्थरों से बने एक विशाल मस्जिद के बीचों-बीच स्थित है।
यह 40 फीट लंबा व 33 फीट चौड़ा ग्रेफाइट पत्थर, काले पत्थर व सोने से बना हुआ है, जिसमें आने-जाने के लिए केवल एक दरवाजा है और कोई खिड़की नहीं है। काबा के अंदर(Kaba Ke Andar Kya Hai) पूर्वी कोने में जमीन से लगभग 5 फीट की ऊंचाई पर एक पवित्र काला पत्थर स्थित है । हज के लिए जाने वाले सभी तीर्थयात्री तवाफ़ नाम की रस्म के अनुसार काबा की 7 परिक्रमाएं करने के बाद इस काले पत्थर को चूमते हैं। कहा जाता है कि काबा वह स्थान है, जहाँ से पृथ्वी की शुरुआत हुई थी।
यहाँ के नगर का खर्च, हज के लिए जाने वाले मुस्लमान तीर्थयात्रियों से लिए गए कर से चलता है। मक्का और मदीना क्षेत्र में गैर मुस्लिम लोगों का जाना सख्त मना है।
पहले के समय से अब के समय में, मक्का के आकार और बुनियादी ढांचे में काफी परिवर्तन हुआ है। मक्का का अब्राज-अल-बैत,(Abraj Al Bait) जो कि मक्का रॉयल क्लॉक टॉवर होटल है दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची ईमारत है। मक्का शहर समुद्र तट से लगभग 910 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह मुस्लिम समुदाय के लोगों में विशेष महत्व रखता है। पवित्र स्थल होने के कारण यहां मदिरापान करना सख्त मना है।
पैगम्बर मोहम्मद(Paigambar Mohhamad) के अनुसार, हर मुस्लिम व्यक्ति का, दिन में पांच बार पश्चाताप के साथ काबा की ओर मुंह करके नमाज अदा करना व अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए जीवन में एक बार मक्का जाना अनिवार्य है।
मक्का मदीना को इस्लाम का पांचवा स्तम्भ माना जाता है, इसलिए हर साल हज़ के लिए, विश्व के हर कोने से लाखों मुस्लिम तीर्थयात्री पैदल, ऊंटों पर, ट्रकों में और जहाजों में बैठकर मक्का आते हैं। मक्का में तीर्थयात्रियों के दर्शनार्थ के लिए, पैगम्बर मोहम्मद के पैरों के चिन्ह भी रखे हुए हैं, जिनके दर्शन करना हज तीर्थयात्री के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
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अक्सर आपने यह सुना या पढ़ा होगा कि मक्का में कुछ हिन्दू रस्में भी निभाई जाती हैं और वहां एक शिवलिंग भी स्थित है। लेकिन ये सब महज एक अफवाह है। मक्का में ना ही कोई शिवलिंग हैं और ना ही कोई हिन्दू रस्म, क्योंकि वहां हिंदुओं का प्रवेश निषेध है। वहां केवल मुस्लिम रीती रिवाजों के अनुसार पूजा-प्रथना की जाती है।
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