Mehandipur Balaji Temple History In Hindi: हनुमान जी धाम जो राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है और जिसे श्री बालाजी धाम के भी नाम से जानते हैं, इसकी महिमा अपरंपार है। हनुमान जी इस मंदिर में बाल रूप में विद्यमान है। धार्मिक मान्यताएं ऐसी हैं कि हनुमान जी कलयुग में जागृत देवता हैं। दौसा का हनुमान जी धाम इसकी पुष्टि भी करता है। यहां तक कि विज्ञान भी हनुमान जी धाम की महिमा को देख हैरान और इसके आगे नतमस्तक है।
हनुमान जी श्री बालाजी धाम में बाल रूप में विराजमान नजर आते हैं। यहां श्री बालाजी जी की प्रतिमा दरअसल स्वयंभू है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि हनुमानजी की प्रतिमा यहां स्थापित नहीं की गई थी, बल्कि हनुमान जी स्वयं यहां प्रकट हुए थे।
इतिहास श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Temple History In Hindi) का बहुत ही पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले हनुमान जी स्वयं यहां के प्रथम महंत के सपने में आए थे और उन्होंने उन्हें अपनी सेवा का दामोदर सौंपा था।
ऐसा बताया जाता है कि सपने में हनुमान जी ने महंत को कहा था कि इस कलयुग में जो भी भक्त हनुमान धाम में उनके दर्शन करने के लिए आएंगे, वे उनके सभी कष्टों को दूर कर देंगे। यही कारण है कि तब से अब तक महंत जी का परिवार ही श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Temple History In Hindi) में हनुमान जी की सेवा करता रहा है।
इसे मेहंदीपुर धाम भी कहते हैं। यहां तीन देवता प्रधान रूप में विद्यमान हैं। श्री बालाजी महाराज के साथ यहां बाबा भैरव और श्री प्रेतराज सरकार भी मंदिर में विद्यमान नजर आते हैं।
भगवान राम और माता सीता का मंदिर श्री बालाजी महाराज के दरबार के ठीक सामने स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि हमेशा श्री बालाजी भगवान श्री राम और माता सीता का दर्शन यहां से करते रहते हैं।
श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Temple History In Hindi) के बारे में ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देते हैं। श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Story In Hindi) के बारे में एक अफवाह फैलाई गई है कि केवल उन्हीं लोगों को यहां दर्शन के लिए आना चाहिए जो भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से परेशान हैं, जबकि वास्तव में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आप आराम से यहां आकर हनुमान जी के दर्शन कर सकते हैं। उनके दर्शन मात्र से बताया जाता है कि जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Story In Hindi) में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अर्जी यानी की दरखास्त लगाए जाने की परंपरा है। हनुमान जी को जहां यहां लड्डू का भोग चढ़ता है, वहीं उड़द की दाल का भोग बाबा भैरव और चावल का भोग श्री प्रेतराज सरकार को लगाया जाता है।
मनोकामना यदि भक्तों की पूरी हो जाती है तो उनके द्वारा श्री बालाजी धाम(Mehandipur Balaji Temple History In Hindi) में सवामणी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। शुद्ध घी से यह प्रसाद तैयार किया जाता है। इस प्रसाद में हलवा और पूड़ी-सब्जी शामिल होते हैं।
आरती श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Story In Hindi) में सुबह के वक्त 6:00 बजे और शाम के वक्त 6:30 बजे होती है। आरती के बाद यहां पवित्र जल के छींटे भी दिए जाते हैं। हनुमान जी की छाती के बाई ओर से श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Temple History In Hindi) में जल निकलता रहता है। इस जल को बड़ा ही पवित्र माना जाता है और इसी जल के छींटे आरती के बाद दिए जाते हैं। चोला पहन लेने के बावजूद यह जल यहां निकलता ही रहता है।
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श्री बालाजी धाम (Mehandipur Balaji Temple History In Hindi) की कीर्ति बहुत दूर-दूर तक फैली हुई है यहां हर साल हजारों की तादाद में भक्त हनुमान जी के दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं इस उम्मीद में कि हनुमान जी उनकी जिंदगी के सभी कष्टों को हर लेंगे।
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