धर्म

नवरात्री का सातवाँ दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने की विधि, भोग, मंत्र और आरती

Maa Kalratri Mantra In Hindi: दुर्गा पूजा की सातवी शक्ति वे हैं जो काल की भी रात्रि हैं अर्थात काल को भी जीत लेने वाली कालरात्रि । इनका शरीर सूखा हुआ है और इन्होने श्रकी खाल पहनी हुई है, एक हाथ में खडग और दूसरे में खप्पर लिए हुए हैं ।दुर्गा पूजा की सातवी शक्ति हैं जो काल की भी रात्रि हैं अर्थात काल को भी जीत लेने वाली कालरात्रि। इनका शरीर सूखा हुआ है और इन्होने श्रकी खाल पहनी हुई है, एक हाथ में खडग और दूसरे में खप्पर लिए हुए हैं। माता का रूप देखने में भयंकर और डरावना है लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि आप इनसे आतंकित हों। ये स्वरुप केवल असुर, दौत्य और राक्षसों के लिए खतरनाक है, अपने भक्तों को ये सदा शुभ फल ही देती हैं। इसी कारण शुभंकरी भी कहलाती हैं।

माँ कालरात्रि दुर्गा देवी के तेज़ से ही उत्पन्न उनका अद्भुत स्वरुप हैं। जब शुम्भ-निशुम्भ को दुर्गा देवी ने मृत्यु के घाट पहुंचा दिया तब उस युद्ध में रक्तबीज नमक दैत्य बहुत तबाही मचा रहा था। क्योंकि उसपर जैसे ही देवी प्रहार करती, उसके शरीर से गिरी हुई रक्त की बूँदों से उसी की भांति भयानक राक्षस उत्पन्न हो जाता। तब कालरात्रि ने प्रकट हो उसका सारा रक्त अपने मुख में ले लिया और रक्तबीज का अंत हुआ।

देवी की पूजा का मंत्र है(Maa Kalratri Mantra In Hindi)

“एं हीं क्लीं चामुण्डाए विचै ।”

कालरात्रि की पूजा विधि(Maa Kalratri Puja Vidhi In Hindi)

देवी के इस रूप से सिद्धि प्रदान होती है। पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया करने वाले के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस दिन तंत्र साधना करने वाले साधक रात्रि में देवी की तांत्रिक पूजा करते हैं। षष्ठी पूजा के दिन जिस विल्व को पुकारा जाता है उसे आज लाया जाता है और उससे मां की आँखें बनती हैं। कुण्डलिनी जागरण हेतु जो साधक साधना करते हैं उसके अनुसार पहलेकलश की पूजा करनी चाहिए फिर नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए ।

माँ कालरात्रि की आरती(Maa Kalratri Aarti In Hindi)

कालरात्रि जय-जय महाकाली ।काल के मुंह से बचानेवाली ।।

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।महाचंडी तेरा अवतारा ।।

पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा ।।

खड्ग खप्पर रखनेवाली । दुष्टों का लहू चखनेवाली ।।

कलकत्ता स्थान तुम्हारा । सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।

सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।

रक्तदंता और अन्नपूर्णा । कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।।

ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी ।।

उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली मां जिसे बचावे ।।

तू भी भक्त प्रेम से कह । कालरात्रि मां तेरी जय ।।

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