Ravan Ka Janam Kaha Hua Tha: जब भी रामायण की कहानी का जिक्र होता है तो उसमें रावण का जिक्र आता है। रावण एक राक्षस था और उसका वध प्रबही श्री राम ने किया था। पौराणिक कथाओं में यह बताया गया है कि, रावण के पास सोने की लंका थी और उस लंका को भगवान हनुमान ने जलाकर राख किया था। पौराणिक कथाओं की मानें तो न तो रावण का जन्म लंका में हुआ था और न ही यह सोने की लंका उसकी थी। कहानियों में रावण के जन्म को लेकर तरह-तरह की कहानियां प्रचिलित हैं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि, लंका के राजा रावण का जन्म कैसे हुआ और उसके पास सोने की लंका कैसे आई।
रावण के जन्म के विषय में भिन्न-भिन्न ग्रंथों में भिन्न-भिन्न प्रकार के उल्लेख देखने को मिलते हैं। महाऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य के अनुसार बताया गया है कि, हिरण्याक्ष का दूसरा जन्म ही रावण के रूप में हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित श्री रामचरितमानस में रावण का जन्म एक श्राप के कारण हुया था।
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा जाता है कि, सनक और सनंदन दो ऋषि भगवान विष्णु का दर्शन करने बैकुंठ गए थे। भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय ने उन्हे अंदर जाने से माना कर दिया था। तो उन ऋषियों ने क्रोध में आकर द्वारपालों को श्राप दिया था कि, तुम दोनों अगले तीन जन्म तक राक्षस योनि में जन्म लोगे। इसी के साथ यह भी बोला था कि, भगवान विष्णु के किसी भी अवतार द्वारा तुम्हारा वध होना अनिवार्य है। यही राक्षसराज लंकापति रावण की जन्म की कथा है।
रावण के जन्म स्थान के बारे में विद्वान एकमत नहीं हैं। ऐसा कहा जाता है कि, लंका के राजा रावण का जन्म उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में हुआ था। कुछ विद्वानों की मानें तो रावण का जन्म नोएडा से करीब 15 किलोमीटर दूर बिसरख गाँव में हुआ था। बिसरख गाँव में रावण के पिता महर्षि विश्रवा रहते थे और इसी वजह से इस स्थान का नाम बिसरख पड़ा। विद्वानों का मानना है कि, रावण की शिक्षा भी बिसरख गाँव में हुई थी।
कहा जाता है कि, हिंडन नदी के किनारे में दुधेश्वर नाथ शिवलिंग की स्थापना रावण ने ही भक्ति भाव के साथ की थी। रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। बिसरख गाँव के लोग रावण को अपना बेटा मानते हैं और इसी वजह से ये रामलीला को आयोजित नहीं करते हैं। इसके साथ ही इस गाँव के लोग रावण दहन भी नहीं करते हैं।
सभी ने यह सुन रखा है कि, रावण के पास एक सोने की लंका की थी, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि, लंका कभी रावण की थी ही नहीं। रावण के सोने की लंका के बारे में कहा जाता है कि, इस स्वर्ण जड़ित महल को भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए बनवाया था। दरअसल बात यह है कि, माता पार्वती ने एक बार भगवान भोलेनाथ से बोला कि, उन्हें एक महल चाहिए।
इसी वजह से भगवान शिव ने भगवान विश्वकर्मा और कुबेर देव को आदेश दिया कि, किसी जलाशय के पास एक महल का निर्माण करो। एक बार जब रावण आकाश मार्ग से कहीं जा रहा था तो उसने सोने से बनी लंका को देखा और वह मोहित हो गया। इसके बाद रावण ब्राह्मण के भेष में भगवान शिव के पास गया और उसने दक्षिणा के रूप में सोने की लंका मांगी थी। भगवान शिव ने रावण को सोने की लंका दान में दे दी थी।
जब भगवान शिव ने दान के रूप में रावण को सोने की लंका दे दी तो माँ पार्वती रावण के छल को जानकार उसे श्राप दे दिया। माँ पार्वती ने कहा कि, एक दिन तुम्हारी यह सोने की लंका राख हो जाएगी। इसके बाद भगवान हनुमान जब माँ सीता का पता लगाने के लिए लंका पहुंचे तो उन्होंने लंका को जलाकर राख कर दिया।
नोट:- इस लेख को इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। हम किसी भी प्रकार के दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं करते हैं।
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