धर्म

शिव पुराण कथा सुनने से मिलते है कई लाभ, मिट जाते हैं सभी पाप  

Rules For Reading Shiv Puran In Hindi: हिंदू धर्म में अनेक प्रकार के पुराण हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण पुराण शिव पुराण को माना जाता है। यह पुराण सबसे अधिक पढ़े जाने वाले पुराणों में से एक है। कभी भी अपने गुरुजनों से पूछ कर शुभ मुहूर्त में इसका पाठ किया जा सकता है। गुरु जनों व धार्मिक ग्रंथों के अनुशार शिव पुराण का पाठ करने से पाठक के घर परिवार पर शिव जी की महिमा हमेशा बनी रहती है।

अपने हिन्दू समाज में कुल 18 पुराण है, शिव पुराण उन 18 पुराणों में से एक है। शिव पुराण में भगवान शंकर की आलौकिक लीलाओं व कथाओं का सम्पूर्ण वर्णन मिलता है। इस सम्पूर्ण पुराण में शिव जी की महिमा व कथाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको शिव पुराण का पाठ करने से मिलने वाले लाभ व उसी के साथ इसको करने के नियम के बारे में बताएंगें।  

शिव पुराण का पाठ करने से होने वाले लाभ(Shiv Puran Reading Benefits In Hindi)

शिव पुराण की कथा को करने से जो लोग सन्तानहीन होते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती हैं। इसके साथ ही कुछ लोग गंभीर रोगों से बहुत दिनों से परेशाण होते है। शिव पुराण का पाठ करने से उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है। ग्रंथों व धर्मों के द्वारा यह माना जाता है कि, जो लोग भगवान शिव का पाठ श्रावण मास में करते है, तो उन्हें शिवलोक में स्थान मिलता है। इसके साथ ही शिव कथा को सुनने मात्र से ही मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।  

शिव पुराण की कथा करने से पहले करे इन चीजों का परहेज

आप जब तक शिव पुराण की कथा का पाठ कर रहें है, तो उतने दिन तक आप को बासी भोजन, शराब, लहसुन, प्याज, मांस आदि चीजों को ग्रहण नहीं कर सकते है। यदि आप शिव पाठ के समय इन सभी चीजों का उपयोग कर रहे है, तो आप को इस पाठ का कोई लाभ नहीं मिलेगा।  

शिव पुराण की कथा करने से पहले करें इन नियमो का पालन(Rules For Reading Shiv Puran In Hindi)

Image Source: Punjab Kesari

शिव पुराण की कथा कई दिनों तक चलती रहती है। ऐसे में आप जितने दिनों तक कथा का श्रवण कर रहे है, तो इस दौरान निराहार रहना चाहिए। इसके साथ ही जो व्यक्ति पाठ करने वाला हो उसे पाठ पूरा होने तक दिन में केवल एक बार ही बार अन्न ग्रहण करना चाहिए। जो व्यक्ति शिव पुराण के पाठ को कर रहा है, उसे पुरे ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करना चाहिए।

नोट- इस लेख को सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम किसी भी प्रकार की धार्मिक मान्यताओं को नहीं बढ़ा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप अपने गुरुजनों से संपर्क करें।

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