हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती हैI इस धर्म में हजारों ऐसे ईश्वर हैं जिनके भक्त देश-विदेश में मौजूद हैंI कोई हनुमान जी को मानता है तो कोई दुर्गा मां कोI किसी की आस्था शिर्डी वाले साईं बाबा में है तो कोई हरफनमौला शिवजी को पूजता हैI लेकिन अगर देखा जाए तो भारत देश में शिवजी के भक्त सबसे ज्यादा हैंI बच्चों से लेकर बड़ों तक की आस्था शिवजी में होती हैI
इन दिनों सावन का पावन महीना चल रहा हैI 17 जुलाई से सावन शुरू हो गया है और कुछ ही दिनों में जगह-जगह भक्त कांवड़ ले जाते हुए दिखाई देंगेI भगवान शिव के भक्तों के लिए यह महीना किसी त्योहार से कम नहीं होताI इस पावन महीने के दौरान अगर पूरी भक्ति-भावना से शिव की पूजा की जाए तो भगवान मनचाहा फल अवश्य देते हैंI
शिवजी को मानने वाले लोग सोमवार के दिन उनका व्रत रखते हैंI खासकर कुंवारी लड़कियां एक अच्छे पति की कामना में सोमवार को शिवजी का व्रत रखती हैंI वैसे तो हिंदू धर्म में अनेकों भगवान हैं लेकिन शिवजी को लोग उनके सौम्य रूप और आकृति के लिए जानते हैंI भगवान शिव का अनोखा रूप उन्हें अन्य देवी-देवताओं से अलग करता हैI भोलेनाथ को संहार का देवता भी कहा जाता हैI आपको जानकर हैरानी होगी कि शिवजी के कुल 12 नाम प्रख्यात हैंI सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमाशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, केदारनाथ और घृष्णेश्वर, भगवान शिव के ही नाम हैंI
शिवजी के शरीर पर भस्म, शरीर पर बाघ की खाल, गले में लिपटा सांप और सिर पर विराजमान गंगा हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर शिवजी का रूप ऐसा क्यों है? वह क्यों नहीं बाकी देवी-देवताओं की तरह सुंदर वस्त्र धारण करते हैं? अगर आपके भी मन में कभी ये सवाल आये हैं तो आज हम आपके लिए उनका जवाब लेकर आये हैंI
किसी चीज के जलने के बाद जो राख बचती है उसे भस्म कहते हैंI लेकिन भगवान शिवजी अपने शरीर पर जो भस्म लगाते हैं वह किसी चीज या धातु की नहीं बल्कि मृत चिताओं के बाद बची हुई राख हैI लेकिन कुछ लोगों के अनुसार शिवजी अपने शरीर पर अपनी पहली पत्नी सती के चिता की भस्म लगाते हैंI दरअसल, माता सती राजा दक्ष की बेटी थींI कहा जाता है कि एक बार यज्ञ के दौरान दक्ष ने भरी सभा में सबके सामने शिवजी का अपमान कर दियाI ये बात सती को बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने चिता में कूदकर अपनी जान दे दीI उसी समय से भगवान शिव माता सती की चिता की भस्म का श्रृंगार करने लगेI
शिवजी के बाघ का खाल धारण करने के पीछे भी एक पौराणिक कथा मौजूद हैI कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ब्रह्माण्ड का भ्रमण करने निकले थे और भ्रमण करते-करते एक जंगल में पहुंच गएI यह जंगल कई जाने-माने ऋषि-मुनियों का स्थान थाI यहां वह अपने परिवार समेत रहते थेI भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र गुजर रहे थे और उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं थाI भगवान शिव का सुडौल शरीर देखकर ऋषि-मुनियों की पत्नियां उनकी तरफ आकर्षित होने लगीI
जब ऋषि-मुनियों को इस बात की खबर हुई तो वह बेहद क्रोधित हुएI उन्होंने शिवजी को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाईI ऋषि मुनियों ने उनके मार्ग में एक गहरा गड्ढा खोद दिया और जैसे ही शिवजी उस गड्ढे में गिरे उन्होंने गड्ढे में एक बाघ को छोड़ दिया I वह यह सोच रहे थे कि बाघ शिवजी को खा जाएगा I लेकिन कुछ समय बाद शिवजी उस गड्ढे से बाहर बाघ की खाल पहनकर निकलेI इस वाक्ये के बाद ऋषि-मुनियों को आभास हुआ कि शिवजी कोई साधारण मनुष्य नहीं हैंI
सावन में शिवजी की पूजा का बहुत महत्व हैI 17 जुलाई से सावन शुरू हो गए हैं और अगले महीनेI की 12 तारीख को सावन का आखिरी सोमवार हैI इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैंI सावन के महीने में आने वाले सोमवार का बहुत महत्व होता हैI सोमवार को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती हैI सावन का पूरा महीना भगवान शिव के नाम समर्पित रहता हैI सावन के महीने को लेकर भी एक पौराणिक कथा मशहूर हैI
जैसा कि हमने आपको बताया माता सती दक्ष की पुत्री थींI एक बार वह अपने पिता के बुलावे पर यज्ञ में शामिल होने के लिए अपने घर गयींI इस दौरान उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव का भरी सभा में अनादर किया, जिससे नाराज होकर सती ने अपनी जान दे दीI सती को वरदान प्राप्त था कि हर जन्म में महादेव ही उनके पति बनेंगेI ऐसे में माता सती ने राजा हिमालय और रानी मैना के घर में पार्वती बनकर दोबारा जन्म लियाI
पार्वती बचपन से ही भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं और उन्हें मन ही मन चाहती थींI बड़े होकर युवावस्था के सावन महीने में पार्वती ने कठोर व्रत किया और शिवजी को प्रसन्न कर उनसे विवाहI इस वजह से सावन का महीना शिवजी के लिए ख़ास हो गया और इस तरह इस महीने को शिवजी की आराधना का महीना माना जाता हैI
पहला सोमवार- 22 जुलाई
दूसरा सोमवार- 29 जुलाई
तीसरा सोमवार- 5 अगस्त
चौथा सोमवार- 12 अगस्त
व्रत रखने वाले लोग सोमवार को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेंI इसके पश्चात साफ कपड़े पहनकर पूजा घर में जाएंI वहां भगवान शिव की मूर्ती, तस्वीर और शिवलिंग को गंगाजल से धोकर साफ कर लेंI उसके बाद तांबे का एक लोटा लें और उसमें जल के साथ गंगा जल मिला लेंI अब भगवान शिव को सफेद फूल, अक्षत, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि चढ़ाते हुए जलाभिषेक करेंI इसके पश्चात ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करेंI आखिरी में भगवान शिव की आरती करके पूजा समाप्त करेंI
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