Shivling Par Belpatra Chadhane Ka Mahatva: भगवान शिव की आराधना बेलपत्र के बिना पूरी नहीं होती है। आपके मन में ये प्रश्न अवश्य आता होगा कि शिव जी को आखिर क्यों बेलपत्र से इतना लगाव है। आज के इस लेख में हम आपके इस जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करेंगे।
साल 2024 में महाशिवरात्रि के पावन त्योहार को 8 मार्च के दिन मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के विशेष और पावन अवसर पर भक्त काफी को विधि-विधान से भोले बाबा की आराधना करेंगे। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शिव जी की पूजा नियम के अनुसार करते हैं उनकी सभी इच्चाएं पूरी होती है। शिव जी की पूजा में कुछ विशेष सामग्रियों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हीं में से एक है बेलपत्र। साधारण से दिखने वाले बेलपत्र से आख़िर क्यों महादेव प्रसन्न हो जाते है? इस तथ्य को हम आज के इस लेख में उजागर करने की चेष्टा करेंगे। आपको इस बात से भी अवगत कराएंगे कि किसने भोले बाबा को सबसे पहले बेलपत्र चढ़ाया था।
सनातन धर्म के एक प्रसिद्ध पुराण में वर्णित है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था तब भारी मात्रा में विष भी निकल रहा था। इस विष से पूरी दुनिया के उपर प्रलय का खतरा मंडरा रहा था। प्रलय के डर की वजह से सभी के ऊपर डर का साया मंडरा रहा था। सभी मिलकर शंकर भगवान की पूजा अर्चना में जुट गए। समस्त ब्रह्मांड को विनाश की लीला से बचाने के उद्देश्य से भगवान शिव ने स्वयं ही विष पी लिया। विष पी लेने के कारण उनका मश्तिषक काफी अधिक गर्म होने लगा। उनकी मश्तिषक की गर्मी को शांत करने के उद्देश्य से देवों और जनमानस ने उनके ऊपर बेलपत्र और जल का भारी मात्रा में अर्पण करना शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक ये प्रथा ऐसे ही चली आ रही है। बेलपत्र चढ़ाने के पीछे एक और भी कहानी प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि जब माँ पार्वती अपने तप के माध्यम से भी शिव जी को खुश नहीं कर सकी तो उन्होंने एक तरकीब सोची। माँ पार्वती ने एक बेलपत्र पर राम लिखा और शिव जी को अर्पित कर दिया। इससे भोले बाबा काफी खुश हो गए। इस वजह से आज भी शिव जी को खुश करने के इरादे से लोग बेलपत्र अर्पित करते हैं।
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