धर्म

एक महिला ने की थी सिद्धिविनायक मंदिर की स्थापना, आइये जानते हैं गणपति बप्पा के इस मंदिर का इतिहास।

Siddhivinayak Temple History In Hindi: मुंबई के प्रभादेवी विस्तार में सिद्धिविनायक मंदिर भगवान गणेश को समर्पित एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण साल 1801 में लक्ष्मण विथु और देउबाई पाटिल ने कराया था। दुनिया भर में प्रसिद्ध होने के कारण प्रतिवर्ष करोड़ों भक्त इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान सिद्धिविनायक बाँझ महिलाओं की हर एक इच्छा को पूरा करते हैं और उनके आशीर्वाद से उन्हें संतान का सुख मिलता है। सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति को स्वयं प्रकट और समस्त इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।

ऐसी है मंदिर की संरचना

इस दिव्य मंदिर के अंदर एक छोटा सा गर्भ गृह है जहाँ पर काले पत्थर के एक टुकड़े पर भगवान गणेश की ढाई फुट चौड़ी प्रतिमा बनी हुई है। मौजूदा समय में यह मंदिर बहुत ही लोकप्रिय हो गया है क्योंकि भगवान गणेश की पूजा करने के लिए यहाँ पर फ़िल्मी सितारे और देश के बड़े उद्योगपति भी आते हैं। वर्तमान समय में इस मंदिर की गिनती देश के सबसे मंदिरों में की जाती है और एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष इस मंदिर में करीब 100 मिलियन भरतीय रुपयों का चढ़ावा चढ़ता है।

सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास(Siddhivinayak Temple History In Hindi)

Image Source: HinduPad

सिद्धिविनायक मंदिर के निर्माण के पीछे आस्था की कहानी है। मंदिर का निर्माण देउबाई पाटिल नामक एक समृद्ध महिला किसान ने कराया था। ऐसा सुनने में आता है कि देउबाई पाटिल की कोई संतान नहीं थी और यह दुःख अब बाकि किसी भी इंसान को न मिले इसके लिए ही उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया था।

सिद्धिविनायक मंदिर की वास्तुकला

सिद्धिविनायक मंदिर की वास्तुकला में प्राचीन स्थापत्य शैली है। जिसमें मंदिर के बीच में एक हॉल, एक गर्भ ग्रह, कुछ खुला स्थान है। मंदिर के दाईं ओर मंदिर का प्रशासनिक कार्यालय और सामने की तरफ एक पानी की टंकी है। मंदिर की नई वास्तुकला का निर्माण वास्तुकार आर. श्री. एसके अठाले एंड एसोसिएट्स के शरद अठाले ने राजस्थान और तमिलनाडु के विभिन्न मंदिरों को देखने के बाद किया था। इस मंदिर में छः मंजिले हैं और मंदिर को गुम्बद को सोने से मढ़वाया गया है। मंदिर के ऊपर पंचधातुओं से बने हुए छोटे छोटे कलश हैं जिनके ऊपर भी सोने की परत चढ़ाई गयी है।

मंदिर का पहला मंजिला विशेषतौर पर पूजा अर्चना के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी मंजिल में रसोई स्थित है और यहीं पर भगवान की पूजा के लिए प्रसाद को तैयार किया जाता है। इसी मंजिला के अंदर मंदिर मैनेजमेंट के महत्वपूर्ण कार्यालय है और पूरी मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था भी यहीं से ऑपरेट की जाती है। तीसरी मंजिल में मंदिर का मुख्य कार्यालय है इसी मंजिल के अंदर समिति सदस्यों के कक्ष, मीटिंग रूम और एक कंप्यूटर कक्ष है। वहीं चौथी मंजिल में मंदिर का पुस्तकालय है जिसके अंदर धर्म, चिकित्सा, साहित्य, इंजीनियरिंग और अर्थशास्त्र से जुड़ी हुई 8000 पुस्तकों का एक विस्तृत संग्रह है। मंदिर का पांचवां और छठवां मंजिला अभी पूरी तरह से खाली है।

तो यह थी सिद्धिविनायक मंदिर के इतिहास(Siddhivinayak Temple History In Hindi) से जुड़ी हुई जानकारी।

Facebook Comments
Adarsh Tiwari

सॉफ्टवेयर की पढ़ाई करते करते दिमाग हैंग सा होने लगा तो कहानियां पढ़ने लगा. फिर लिखने का मन किया तो लिखना शुरू कर दिया। अब आप पढ़कर बताइए की कैसा लिख रहा हूँ.

Share
Published by
Adarsh Tiwari

Recent Posts

इस मेथड से बनाएं हेल्दी किटो बर्गर, स्वाद के साथ बढ़ाए रखें सेहत का विशेष ध्यान

Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…

5 days ago

एस्ट्रोलॉजर कैसे बनें? विस्तार से जानिए एस्ट्रोलॉजी से जुड़ी हुई सभी बातों के बारे में

Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…

5 days ago

सनबर्न ने छुटकारा दिलाता है बर्फ, जानिए चेहरे पर इसका इस्तेमाल कैसे करें

Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…

2 weeks ago

इस खास तरीके से बनाएं होम मेड स्प्रिंग रोल शीट, रखें अपनी सेहत का ध्यान

Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…

2 weeks ago

राम रक्षा स्त्रोत के पाठ से बनेंगे सभी बिगड़े काम, जानिए इस पाठ के महत्व के बारे में

Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…

2 weeks ago