Sunderkand Path Karne Ke Fayde: हमारी पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख किया जाता है कि, इस कलयुग में सिर्फ बजरंग बली ही इस पृथ्वी पर मौजूद हैं और उन्हे आजीवन अमरता का वरदान प्राप्त है। हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि, ये अपने सभी भक्तों की मनोकामना जल्द पूरी करते हैं और उसके जीवन के सभी कष्टों को दूर करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि, जो भी भक्त लगातार 21 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ करता है तो भगवान बजरंगबली उसकी सभी मनोकामना को दूर करते हैं। आज के इस लेख में हम आपको सुंदरकांड के पाठ करने का महत्व और उससे होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
सुंदरकांड को गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा लिखा गया है परंतु इसमें कहीं कहीं वाल्मीकि रामायण के अंश का भी इस्तेमाल किया गया है। सुंदरकांड रामायण का इकलौता एक ऐसा भाग है जिसमें भगवान श्री हनुमान को मुख्य किरदार के रूप में दिखाया गया है। इस कांड में माता सीता और भगवान हनुमान के बीच मिलन को सुंदरता के साथ दर्शाया गया है और इसी वजह से इस भाग को सुंदर कांड का नाम दिया गया है। इसके साथ ही इसमें हनुमान जी की बुद्धिमत्ता और उनके बल को दर्शाया गया है।
सुंदरकांड के पाठ में इस बात का उल्लेख किया गया है कि, कैसे भगवान हनुमान ने माता सीता की खोज की थी और सभी विघ्नों को दूर करते हुए उन्हें सफलता मिली थी। इसी वजह से कहा जाता है कि, सफलता प्राप्त करने के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। धार्मिक विचारकों की मानें तो सुंदर कांड का पाठ करने से सभी बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने से विपरीत परिस्थितियों में आपके अनुकूल काम होने लगता है।
सुंदरकांड का पाठ करने के लिए सबसे पहले एक स्वच्छ स्थान पर भगवान बजरंगबली की प्रतिमा को विराजमान करें और उस प्रतिमा में हनुमान जी का आव्हान करके उन्हें पुष्प चढ़ाएं। हनुमान जी का तिलक करने के लिए चमेली का तेल और सिंदूर का इस्तेमाल करें, इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा के सामने पीपल के 7 पत्ते रखें और हनुमान जी के सामने दीपक प्रज्वलित करें।
दीपक में तेल डालते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि, पाठ के दौरान दिया बुझे न। इसके बाद सुंदरकांड का पाठ शुरू कर दें और समाप्ति के पश्चात भगवान हनुमान की आरती उतारें और बूंदी के लड्डू या गुड और चने का भोग लगाएं।
सुंदरकांड का पाठ करते समय समय का ध्यान रखना चाहिए और हमेशा सुबह ब्रह्म मुहूर्त या फिर शाम की गोधूलि बेला में करें, कभी भी भूलकर दोपहर के समय सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए। पाठ के दौरान बीच मे उठना नहीं चाहिए, ऐसा करने से हमें पूजा का पुण्य लाभ नहीं मिलता है।
जो इंसान सुंदरकांड का पाठ करता है उसे कभी भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। जब आप 21 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ पूरा कर लें तो इसके उपरांत आहुति जरूर करें। अगर आप सुंदरकांड के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपके सभी काम तेजी के साथ पूरे होते हैं।
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