हिंदू धर्म में कुछ देवी देवता ऐसे हैं जिनकी पूजा अर्चना में भक्त किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होने देना चाहते और साथ ही साथ उनके प्रति बेहद ही ज्यादा सम्मान प्रकट करते हैं। वैसे तो देश भर में तकरीबन सालभर कई सारे व्रत और त्योहार आदि पड़ते हैं जो किसी न किसी देवी देवता से जुड़े होते हैं मगर कुछ व्रत त्योहार बेहद खास होते हैं जैसे कि नवरात्रि का त्योहार। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट विकार दूर हो जाते हैं। सभी देवियों में सर्वश्रेष्ठ मां दुर्गा की आराधना करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी किसी प्रकार का दुख नहीं आता है और उसके तथा उसके घर परिवार के जीवन में हमेशा खुशियां ही खुशियां आती हैं। पवित्र शारदीय नवरात्रि का यह पावन समय पूरे 9 दिनों तक चलता है और इस दौरान माता रानी के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है।
चूंकि मां दुर्गा का यह व्रत/त्योहार बेहद ही महत्वपूर्ण होता है और इस बेहद ही खास समय में मां को प्रसन्न करने के लिए हर व्यक्ति व्रत रखता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि इस दौरान किस तरह से व्रत रखना चाहिए और व्रत के दौरान क्या-क्या करना चाहिए तथा सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये कि नवरात्रि के दौरान किसे व्रत नहीं रखना चाहिए। सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि इस खास त्योहार के दौरान माता रानी के कई सारे भक्त अलग-अलग तरह से व्रत रखते हैं।
आपने देखा होगा कि कई लोग नवरात्र के पहले और आखिरी दिन का व्रत रखते हैं। हालांकि, ऐसा वह अपनी स्वास्थ्य समस्या की वजह से करते हैं क्योंकि मां के आशीर्वाद से वह किसी भी वजह से वंचित नहीं रहना चाहते। जबकि इसके अलावा कुछ भक्त माता रानी के लिए पूरे नौ दिनों का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और मां को प्रसन्न करने के का प्रयास करते हैं। नवरात्रि के अवसर पर वैसे तो सभी लोग व्रत रह सकते हैं, मगर शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें नवरात्रि में व्रत नहीं रखना चाहिए और इसके लिए कुछ खास वजह भी बताई जाती है।
सबसे पहले तो आपको बता दें कि नवरात्रि एक बहुत ही पवित्र और मां दुर्गा को समर्पित त्योहार है और कहा जाता है कि इस दौरान गर्भवती महिलाओं को व्रत नहीं रखना चाहिए। असल में ऐसा करने के पीछे सबसे ज्यादा जोर इसके वैज्ञानिक वजहों पर दिया जाता है। बताया जाता है कि यदि कोई भी गर्भवती महिला व्रत रहती है तो इस दौरान उसे पूरा दिन भूखे रहना पड़ता है, जिसकी वजह से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर हानिकारक असर पड़ सकता है। इसलिए नवरात्र में गर्भवती महिलाओं को व्रत से वंचित रखा जाता है।
वैसे तो हमारे देश में देवी देवताओं की काफी मान्यता है, मगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान या फिर देवी देवता का कोई अस्तित्व नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद कुछ ऐसे पहलू भी हैं जिसे खुद वैज्ञानिक भी स्वीकार करते हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिक रूप से भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि यदि सप्ताह में एक बार व्रत रहा जाए तो इससे स्वास्थ्य बेहतर रहता है। ऐसा करने से व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और व्यक्ति की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है।हालांकि, धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो ऐसा करने से किसी तरह का कोई स्वास्थ्य लाभ हो या ना हो मगर उनका मानना है कि व्रत रहनें से देवी-देवता काफी ज्यादा प्रसन्न होते हैं। जितना ज्यादा आप व्रत रहते हैं भगवान आपसे उतना ही ज्यादा प्रसन्न रहते हैं और आपके सभी दुखों का हरण करते हैं।
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