Uttarakhand ke prachin mandir: उत्तराखंड के पिथौराग़ढ़ जिले से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर स्थित है। इस अनोखे शिव मंदिर का जिक्र पुराणों में भी किया गया है। विश्व भर में भगवान शिव को समर्पित कई आलौकिक मंदिरों से लेकर गुफ़ाएं मौजूद है, जोकि अपने अलग-अलग प्रकार के रहस्यों के लिए प्रसिद्ध मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि, इस मंदिर के अंदर दुनिया खत्म होने का रहस्य छिपा हुआ है। पुराणों के अनुसार यह भी माना जाता है कि, यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 90 फिट की गहराई पर स्थित है। इसी के साथ गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबा है। आज के इस लेख में हम आप को उत्तराखंड के गुफा में स्थित इस रहस्यमयी शिव मंदिर के बारे में बताएंगे।
पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, पाताल भुवनेश्वर शिव मंदिर एक एकलौता ऐसा मंदिर है। जहां से चारों धाम के दर्शन होते है। पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर, केदारनाथ, बद्रीनाथ, माता भुवनेश्वरी, आदि गणेश, भगवान शिव की जटाएं, सात कुंड, मुक्ति द्वार, धर्मद्वार, व अन्य देवी देवताओं की अलौकिक प्रतिमाओं को देख सकते हैं।
पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, पाताल भुवनेश्वर मंदिर के अंदर 33 कोटि देवी-देवता निवास करते है। इस भुवनेश्वर मंदिर की खोज की बात करें, तो पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने की थी। जोकि उस समय अयोध्या राज्य में शासन करते थे। इनके द्वारा की गई खोज का उल्लेख मानस खंड व स्कंद पुराण में किया गया है।
इसके बाद द्वापर युग में पांडवों ने भुवनेश्वर मंदिर को खोजा था। इसी मंदिर के अंदर पांडवों ने भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। इसकेबाद जगतगुरु शंकराचार्य ने करीब 819 ई. में इस भुवनेश्वरी गुफा की खोज की थी। इन्होंने ने ही उस राज्य के राजा को गुफ़ा के संदर्भ में जानकारी दी थी। इसके बाद ही राजाओं के द्वारा ही मंदिर में पुजारी व भंडारी परिवार को लाया गया था। तभी से भगवान भुवनेश्वर की पूजा आराधना शुरू की गई।
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, जब भगवान शिव को माता पार्वती के लाल भगवान गणेश ने गुफा के अंदर प्रवेश करने से माना किया था। तो भगवान शिव क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उनका सिर अलग कर दिया था। बाद में माता पार्वती के कहने पर गणेश को हाथी का सिर लगाया गया था। वहीं जो सिर भगवान शिव ने अलग किया था। ऐसा माना जाता है, कि आज भी वह सिर पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर मौजूद है। इस गुफा में गणेश जी का कटा शिला रूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल रूप में चट्टान मौजूद है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर मंदिर के अंदर चार द्वार मौजूद है। जिनका नाम क्रमश: रण द्वार, पाप द्वार, मोक्ष द्वार, धर्मद्वार है। ऐसा माना जाता है कि, जब लंका के राजा रावण की मृत्यु हुई थी तब पाप द्वार बंद हो गया था। इसी के साथ महाभारत युद्ध के बाद रण द्वरा भी बंद हो गया था। अब सिर्फ केवल दो ही द्वार खुले हुए हैं मोक्ष द्वार और धर्म द्वार।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि यह गुफा अपने आप पर एक आलौकिक रहस्यों से भरी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि, यहाँ पर चार खंभे है जो युगों के हिसाब से यानी सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग नाम से हैं। वहाँ पर जा के देखने वालों का यह मानना है कि, कलयुग खंभे को छोड़कर किसी भी खंभे में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं है। कलयुग का खंभा तीनों खंभों से आकार में बड़ा है। इसके साथ ही मंदिर में मौजूद शिवलिंग का आकार भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। कहा जा रहा है कि, जिस दिन शिवलिंग मंदिर की छत को छू लेगा उस दिन दुनिया समाप्त हो जाएगी।
Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…
Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…
Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…
Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…
Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…
Parsi Death Ceremony in Hindi: दुनिया तेजी से बदल रही है और इसी क्रम में…