Why We Celebrate Holi in Hindi: होली के त्यौहार के पीछे भी एक अनोखी कहानी है। जो धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। भारत में अलग अलग जगहों पर होली को अलग अलग नाम से जाना जाता है। होली का त्यौहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल होली का त्यौहार 21 मार्च 2019 गुरुवार के दिन मनाई जाएगी होली को दो चरण में मनाया जाता है। पहले भाग में होली एक दिन पहले रात को सावर्जनिक जगह पर सुखी लकड़ियों और गोबर के उपले की व्यवस्था करते है। इसके बाद होली के दिन उसका दहन किया जाता है। दूसरे भाग में अगली सुबह सभी लोग खुशी से एक दूसरे से मिलते है। प्यार से एक दूसरे को रंग लगते है। छोटे बच्चे गुब्बारों और पिचकारियों में रंग भर कर एक मौज मस्ती करते है।
कई शहरो में मटकी फोड़ने की भी परम्परा होती है। इसके लिए चौराहे पर मटकी को एक रस्सी के द्वारा उचाई पर लटका दिया जाता है और युवा की टोली इसको फोड़ती है। होली अक्सर सुबह से दोपहर के 3 बजे तक खेली जाती है।
हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली राजा था। उसने तपस्या करके भगवान बर्ह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न नर, न जानवर, न देवता कोई भी नहीं मार सकता। उसे न ही दिन में, न ही रात में, न जमीन पर, न आसमान पर मारा जा सकता। इस वरदान के वजह से वह खुद को तीनो लोको में सबसे शक्तिशाली बनाना चाहता था।
हिरण्यकश्यप के घर में भगवान विष्णु ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया। उनके पुत्र का नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद भगवन विष्णु का भक्त था। इस बात का उसके पिता को पता था। इसलिए वो दाम दंड भेद कर प्रह्लाद की भक्ति छुटवाना चाहता था। लेकिन लाख कोशिश करने के बाद ऐसा नहीं करवा पाए। आखिर में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मरने का फैसला लिया। लेकिन प्रह्लाद को मारने भी असफल होता है।
Holika Dahan Kyu Hota Hain: आखिर में परेशान हो कर अपनी बहन होलिका से मदद मांगता है। होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती, इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को आदेश दिया कि वो प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि की चिता पर बैठ जाये। ताकि प्रहलाद जल कर भस्म हो जाए। होलिका ने ऐसा ही किया लेकिन आप लोगो ने सुना है कि बुराई कभी भी अच्छाई को नहीं हरा सकती।
होलिका अपने वरदान को भूल गयी थी कि उसका वरदान अकेले में काम करता है। वह जैसे ही प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर बैठती है। प्रहलाद नारायण का जाप करने लग जाते है और उनको कोई भी नुकसान नहीं होता। लेकिन होलिका जल भष्म हो जाती है। तभी से होलिका दहन की परम्परा को मनाया जा रहा है।
वैसे तो होली पुरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन व्रज, मथुरा, वृन्दावन, बरसाने की लट्ठमार होली, श्रीनाथजी, काशी, इन जगहो की होली काफी प्रख्यात मानी जाती है। भारत में कुछ जगहों पर होली पांच दिन के लिए मनाई जाती है। जो होली के दिन शुरू होकर रंग पंचमी तक मनाई जाती है।
लेकिन आज के समय होली पर बहुत से लोग इस त्यौहार की गरिमा के साथ छेड़छाड़ करते नज़र आते है। बहुत से लोग इस दिन सरब भांग पि कर बहुत ज्यादा हंगामा करते है और नई परेशानी खड़ी कर देते है। आज कल रंगो में भी ज्यादातर केमिकल का प्रयोग होता है। जिससे बहुत लोगो को त्वचा की बीमारी हो जाती है।
प्यारे दोस्तों, होली एक पवित्र त्यौहार है। आइये हम सब पर्ण ले की इस त्यौहार की गरिमा को बनाये रखेंगे और रंगो के साथ धूम धाम से मनाएगे। ।
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प्रशांत यादव
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