Yagya Therapy In Hindi : इस संसार में एक दो या दस नहीं बल्कि हजारों बीमारियां मौजूद हैं और देखा जाये तो दिन प्रतिदिन कई सारी नयी-नयी बीमारियां उत्पन्न होते जा रही हैं। बहुत सी ऐसी बीमारियां होती हैं जिनका इलाज संभव तो होता है मगर काफी जटिल होता है और कुछ बीमारियां तो तक़रीबन लाइलाज ही होती हैं। मगर प्राचीन समय में कई ऐसी विधियां बताई गयी हैं जिनकी मदद से जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज संभव हो जाता है और “यज्ञ थेरेपी” भी उन्हीं विधियों में से एक है। यज्ञ चिकित्सा में वे सभी आधार मौजूद हैं जिनसे शारीरिक व्याधियों एवं बीमारियों, मानसिक आधियों एवं विकृतियों का उपचार संभव हो सके। प्राचीनकाल में यज्ञ को भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रगति का आधार माना जाता था, उसे संकट मोचन का अमोघ अस्त्र कहा जाता था।
यज्ञ थेरेपी के द्वारा मनुष्य अग्नि में जो आहुति देते हैं, वह वायु के साथ बादलों में जाकर सूर्य से आकर्षित जल को शुद्ध करती है और फिर उसके बाद वहां से वह जल पृथ्वी पर आकर औषधियों को पुष्ट करता है। यज्ञ में आहुति सदैव मन्त्रों के साथ ही देनी चाहिए जिससे उसके फल-ज्ञान होने पर नित्य श्रद्धा उत्पन्न हो। एक ऐसी ओषध है जो सुगंध भी देती है, पुष्टि भी देती है तथा इसे करने वाला व्यक्ति सदा रोग मुक्त व प्रसन्नचित रहता है।
अग्नि में डाली हुई हवन सामग्री रोगों को उसी प्रकार दूर बहा ले जाती है, जिस प्रकार नदी पानी के झागों को बहा ले जाती है। मकानों के अंधकारपूर्ण कोनों में, संदूक के पीछे पाइप आदि सामानों के पीछे, दीवारों की दरारों में तथा गुप्त स्थानों में जो रोग कर्मी बैठे रहते हैं, वे कर्मी औषधियों के यज्ञीय धूम से विनष्ट हो जाते हैं। दूध, पानी जाल वायु आदि के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंचे हुए रोग कर्मी भी नष्ट होकर शरीर को स्वस्थ बनाते है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों के प्रयोग से जो अग्नि में औषधी डालकर धूनी से ठीक होते हैं वह भी यज्ञ चिकित्सा का रूप है। तो चलिए जानते हैं यज्ञ थेरेपी के जरिये किस-किस तरह के लाभ होते हैं।
गुलर के फूल, अशोक की छाल, अर्जन की छाल, लोध, माजूफल, दारुहल्दी, हल्दी, खोपारा, तिल, जो, चिकनी सुपारी, शतावर, काकजंघा, मोचरस, खस, म्न्जीष्ठ, अनारदाना, सफेद चन्दन, लालचन्दन, गंधाविरोजा, नारवी, जामुन के पत्ते, धाय के पत्ते आदि सभी वस्तुओं को सामान मात्रा में लेकर इसके एक बेहतर चूर्ण बना लें और फिर इस में दस गुना शक्कर व एक गुना केसर मिला कर दिन में तीन बार हवन करें। इससे कैसर संबंधी रोगों का नाश होता है।
अगर आप अक्सर ही अपने घर में किसी तरह की परेशानी जैसे लड़ाई-झगड़े, कलेश आदि से परेशान हैं तो इससे निवारण के लिए आप अपने घर में यज्ञ जरूर करें, इससे आपको बहुत ही जल्द फायदा होगा। घर में यज्ञ करने से घर का वातावरण एकदम शुद्ध हो जाता है और जो भी गन्दी या बुरी चीज़े घर में होती हैं, जिसकी वजह से परेशानी आती है वो बहुत ही जल्द दूर हो जाती है। हमें कुछ समय के बाद अपने घर में यज्ञ जरूर करना चाहिए।
नेत्र ज्योति बढ़ाने का भी हवन एक उत्तम साधन माना गया है। इस के लिए हवन में शहद की आहुति देना लाभकारी है। शहद का धुआं आंखों की रौशनी को बढ़ाता है।
मस्तिष्क की कमजोरी मनुष्य को अशांत बना देती है। इसे दूर करने के लिए शहद तथा सफ़ेद चन्दन से यज्ञ करना चाहिए तथा इस का धुन देना उपयोगी होता है। यज्ञ ऊर्जा यानी कि यज्ञ थेरेपी जो कि एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण शक्ति है और आपको बताना चाहेंगे कि ऊर्जा का नियंत्रण यज्ञ कुंडों के आकार द्वारा किया जाता है और ज्यामितीय सिद्धांतों के अनुसार ही इन कुंडों का स्वरूप बनाया जाता है। ऐसा करने से उत्सर्जित ज्वाला एवं ऊर्जा का प्रभाव सारे वातावरण पर उचित अनुपात में पड़ता है और विभिन्न औषधियां जलकर अलग-अलग ऊर्जा का स्वरूप देती हैं।
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