Chess Khelne Ke Niyam: कहते हैं कि, जिन्हें शतरंज का खेल बखूबी आता है वो लोग दिमाग से काफी तेज होते हैं। भारत के महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने इस खेल में भारत का नाम पूरी दुनिया में मशहूर किया। लेकिन हमारे यहां आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें शतरंज खेलना नहीं आता है। कुछ लोग इस गेम को बोरिंग समझते हैं तो कुछ इस चक्कर में नहीं खेल पाते क्योंकि उन्हें इसका नियम समझ नहीं आता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको आसान शब्दों में शतरंज के नियमों (Chess Rules in Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं।
ये तो आप सभी को मालूम होगा कि, शतरंज का खेल सफ़ेद और काले रंग के चेस बोर्ड पर खेला जाता है। इस खेल में दो खिलाड़ी होते हैं, दोनों आमने सामने बैठते हैं और एक के पास सफ़ेद रंग के मोहरे होते हैं तो दूसरे के पास काले रंग के। शतरंज में 6 प्रकार के 32 मोहरे होते हैं, प्रत्येक खिलाड़ी को शतरंज की बिसात पर अपनी चाल हिस्से में आये 16 मोहरों के प्रयोग से चलनी होती है। इस खेल में प्रयोग किये जाने छह मोहरे हैं हाथी, घोड़ा, ऊंट, राजा और रानी और प्यादा। आइये जानते हैं इस खेल में इन सभी का क्या महत्व है।
शतरंज के खेल में हाथी ही एक ऐसा मोहरा होता जो कितने भी घर सीधा और आड़ा चल सकता है। इस खेल में दोनों खिलाड़ी के पास 2-2 हाथी होते हैं, हाथी को शतरंज के खेल में एक ताकतवर मोहरा माना जाता है। दोनों हाथी साथ मिलकर खेल को बढ़ाते हैं और कटने से एक दूसरे की रक्षा करते हैं।
इस रोमांचक खेल में घोड़े की चाल हर बार एक ही दिशा में ढाई घर का होता है। ऐसा कह सकते हैं कि, घोड़े की चाल बाकी के मोहरों से काफी अलग होती है। इसके अलावा घोड़ा की चाल किसी भी अन्य मोहरे के ऊपर भी चली जा सकती है।
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शतरंज के खेल में ऊंट की चाल तिरछी होती है। हालांकि ये अपनी इच्छा से तिरछी दिशा में कितनी भी घर चल सकता है। हाथी की तरह ही ऊंट को भी इस खेल का एक महत्वपूर्ण मोहरा माना जाता है। दोनों ऊंट परस्पर रूप से सामने वाले खिलाड़ी की चाल से खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।
शतरंज के इस खेल मै राजा को सबसे अहम माना जाता है, राजा को बचाने के लिए ही इस खेल की रचना हुई है। लेकिन बात करें इस खेल में राजा की अहमियत की तो उसे सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है। इस मोहरे की सबसे बड़ी कमजोरी है कि ये सिर्फ एक घर चल सकता है लेकिन इसे किसी भी दिशा में चलने की आज़ादी होती है।
शतरंज के खेल में रानी को मजबूत मोहरा माना जाता है। इसे आमतौर पर लोग वजीर भी कहते हैं। इसे अपनी इच्छा से कितने भी घर और किसी भी दिशा में चलाया जा सकता है। वजीर की चाल को दिमाग से चलने वाला खिलाड़ी इस खेल का विजेता बन सकता है।
प्यादे को शतरंज के खेल में सिपाही का दर्जा दिया गया है। इन्हें मोहरे के आगे चेस बोर्ड पर रखा जाता है। ये विशेषरूप से मोहरों की हिफाजत के लिए होते हैं। इनकी चाल सीधी होती है लेकिन जब किसी दुश्मन को मारना हो तो ये तिरछी चाल भी चल सकते हैं। इसे खेल में आगे खिलाड़ी किसी अन्य मोहरे में भी परिवर्तित कर सकता है।
शतरंज के खेल में शह और मात को सबसे अहम माना जाता है। इसके बाद गेम ख़त्म हो जाता है दोनों में से किसी एक खिलाड़ी की जीत होती है। शतरंज के नियमों (Chess Rules in Hindi) के बारे में विस्तार से बात करें तो, जब सामने वाला खिलाड़ी अपने विरोधी खिलाड़ी के राजा को हर तरफ से शह देता है और अगर राजा उस स्थिति से बच नहीं पाता है तो उसे शह और मात कहते हैं। शह और मात की इस स्थिति से राजा को बचाने के लिए खिलाड़ी के पास दो तरीके होते हैं, या तो राजा को उस जगह से हटा लिया जाए या फिर किसी और मोहरे को बीच में लाया जाए।
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