Cricketer Gordon Greenidge History: क्रिकेट जगत में सचिन तेंदुलकर, सनत जयसूर्या, वीरेंद्र सहवाग और मैथ्यू हेडन जैसे ओपनर से पहले भी वेस्टइंडीज के लिए खेल चुके खिलाड़ी गॉर्डन ग्रीनिज, जिन्होंने वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स के साथ डेब्यू किया था और अपने डेब्यू मैच में ही विवियन से भी बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया था, उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। वर्ष 1974 में भारत के खिलाफ ग्रीनिज ने डेब्यू किया था। पहली पारी में इन्होंने 93 तो दूसरी पारी में 103 रनों की पारी खेली थी और अपनी टीम को जीत दिला दी थी।
गार्डन ग्रीनिज का कैरियर 17 साल का रहा। इस दौरान उन्होंने कई शानदार पल दिये। डेसमंड हेंस के साथ उनकी लंबी पार्टनरशिप हो या फिर इंग्लैंड के खिलाफ 1984 में समर टेस्ट सीरीज में दोहरे शतक की, अपने करियर के दौरान कई मौकों पर विरोधी टीम को उन्होंने अपने खेल के आगे झुका दिया था। वर्ष 1991 में अपने करियर का उन्होंने ऐसा प्रदर्शन किया कि वर्ल्ड चैंपियन बनने का ऑस्ट्रेलिया का सपना ही टूट गया।
वेस्टइंडीज 70-80 के दशक में एक बड़ी ही मजबूत टीम हुआ करती थी, जिसे हरा पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन-सा नजर आता था। ऑस्ट्रेलिया भी मजबूत टीम बनने की ओर अग्रसर थी। दोनों टीमों के बीच नोंक-झोंक बहुत ही आम बात थी। ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान बॉब सिम्पसन वेस्टइंडीज के खेलने के तरीके को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। वर्ष 1991 में ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज दौरा किया तो इस बार हर हाल में वह वेस्टइंडीज को हराना चाहती थी। वनडे सीरीज तो 4-1 से ऑस्ट्रेलिया ने जीत ली, मगर इसके बाद पहला टेस्ट ड्रॉ रहा। वेस्टइंडीज के लिए हालात मुश्किल दिखने लगे थे, मगर दूसरे टेस्ट में वेस्टइंडीज ने वापसी की। बारिश के कारण तीसरा टेस्ट पूरा नहीं हो सका।
बल्लेबाजों के लिए कब्रगाह मानी जाने वाली ब्रिजटाउन की पिच पर मुकाबला दोनों टीमों के बीच शुरू हो जाता है। ग्रीनिज से टीम की उम्मीदें बहुत थी, लेकिन मैकडरमट की तेज बाउंसर से परेशान होकर पुल शॉट खेलकर केवल 10 रनों पर बाउंड्री पर ग्रीनिज कैच हो जाते हैं और पूरी वेस्टइंडीज की टीम 149 रनों पर सिमट जाती है। बाद में ऑस्ट्रेलिया को भी वेस्टइंडीज 134 रनों पर ही ढेर कर देती है।
दूसरी पारी में ग्रीनिज ने ठान लिया था कि वे ऑस्ट्रेलिया के जाल में फंसेंगे नहीं। पहले 50 रन पूरे किए। फिर तेजी से 100 की ओर बढ़ गए। रुके नहीं, 200 तक पहुंचने में भी उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगा। 11 घंटे बल्लेबाजी करके 200 रन उन्होंने बनाए। आलोचकों का तो उन्होंने मुंह बंद कर दिया। पहले दो दिन जिस मैदान में 20 विकेट गिरे थे केवल 238 रनों पर, उस विकेट पर ग्रीनिज ने अपनी पारी से इतिहास रच दिया। अपने करियर की आखिरी सीरीज में उन्होंने अपनी ऐतिहासिक पारी से वेस्टइंडीज को हराकर दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने का ऑस्ट्रेलिया का सपना ही तोड़ कर रख दिया।
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