Sachin Tendulkar Ball Tampering Controversy: क्रिकेट के इतिहास में 100 शतक जड़ने वाले इकलौते खिलाड़ी और क्रिकेट के भगवान के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर की ईमानदारी की मिसाल दी जाती है। अपने दो दशक के करियर में सचिन तेंदुलकर ने न केवल कई बड़े रिकॉर्ड ध्वस्त किए, बल्कि जिस अनुशासन के साथ उन्होंने खेला, उसके लिए पूरी दुनिया उनका सम्मान करती है। मगर एक समय ऐसा भी आया था जब उनकी इस प्रतिष्ठा को उन्हें बेईमान बनाकर तोड़ने का षड्यंत्र किया गया था।
दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच दूसरे टेस्ट मैच का वर्ष 2001 में पोर्ट एलिजाबेथ के मैदान में यह तीसरा दिन था, जब बाकी गेंदबाजों के गेंद स्विंग न होने पर भी सचिन तेंदुलकर की गेंद कुछ ज्यादा ही स्विंग हो रही थी। स्थानीय टीवी प्रोड्यूसर के निर्देश पर कैमरामैन ने जो तस्वीरें दिखाई, उनमें उनके अंगूठे और बाएं हाथ की उंगली से उन्हें गेंद की सीम को साफ करते हुए देखा गया था। बार-बार इन तस्वीरों को प्रदर्शित करके यह आरोप सचिन पर लगा दिया गया था कि गेंद से वे छेड़छाड़ कर रहे थे।
इस घटना में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि मैदानी अंपायरों की ओर से सचिन तेंदुलकर की कोई शिकायत नहीं की गई। इसके बावजूद केवल टीवी फुटेज को देखकर पोर्ट एलिजाबेथ टेस्ट के मैच रेफरी और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक डेनिस ने षड्यंत्र रचते हुए सचिन पर छेड़छाड़ के आरोप तय करके उन पर एक मैच का बैन लगा दिया था और साथ में उनकी 75 फ़ीसदी मैच फीस भी काट ली थी। सुनवाई के दौरान सचिन तेंदुलकर ने आरोपों को मानने से साफ इंकार करते हुए यह स्वीकारा था कि गेंद की सीम को वे साफ कर रहे थे और अंपायर को इस बारे में बताना भूल गए थे, मगर डेनिस से उन्होंने यह भी कहा था कि अंपायरों से बात करके वे पूछ ले कि क्या वास्तव में गेंद से छेड़छाड़ हुई थी। डेनिस ने सचिन की बात बिना सुने उन पर बैन लगा दिया था।
क्रिकेट के भगवान पर बैन क्या लगा कि उनके करोड़ों प्रशंसक मैच रेफरी के विरोध में उतर आए। बीसीसीआई ने भी आईसीसी को दो टूक कह दिया कि वह सचिन पर बैन के फैसले को वापस ले, नहीं तो तीसरा टेस्ट मैच भारत नहीं खेलेगा। बीसीसीआई की धमकी के बाद भी आईसीसी ने मैच रेफरी को हटाने से इंकार कर दिया था। साउथ अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड ने मध्यस्थता करते हुए डेनिस लिनसे को माइक डेनिस की जगह नया मैच रेफरी बनाए जाने का ऐलान तब मीडिया में कर दिया था।
बढ़ते विरोध-प्रदर्शन के बाद आखिरकार आईसीसी को सचिन तेंदुलकर से बैन हटाना ही पड़ा। अपनी आत्मकथा में सचिन तेंदुलकर ने इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा था कि पूरी जिंदगी उन्होंने ईमानदारी के साथ खेला और ऐसी हरकत करने की वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे। उन्हें बिल्कुल भी मंजूर नहीं था कि कोई उन्हें बेईमान कहे, क्योंकि यह उनके स्वाभिमान की बात थी।
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