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नाको की ख़ूबसूरती के आगे फीकी है पूरी दुनिया की ख़ूबसूरती, गर्मियों में पड़ती है कड़ाके की ठंड।

Best Places To Visit In Nako In Hindi: हिमालय की गोद में बसा हुआ देश का ख़ूबसूरत राज्य हिमांचल प्रदेश अपनी भौगोलिक सुंदरता और संस्कृति के लिए विश्वभर में मशहूर है। हिमांचल प्रदेश की हसीन वादियों में ऐसी बहुत सी जगहें मौजूद हैं जहाँ जाने के बाद सैलानी एक अलग ही दुनिआ में पहुंच जाते हैं। यह एक ऐसा राज्य है जहाँ पर साल भर देश और विदेश से सैलानी घूमने के लिए आते हैं। हिमालय की मनमोहक वादी में स्थित होने की वजह से हिमाचल प्रदेश का तापमान भीषण गर्मी में भी शून्य के करीब ही होता है। गर्मियों के समय में हिमाचल के अंदर बहुत सी ऐसी जगहें हैं जहां पर आप ठंडी का लुफ्त उठा सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ख़ूबसूरत हिल स्टेशन नाको के बारे में बताने जा रहे हैं।

नाको की कुछ प्रसिद्ध जगहें(Best Places To Visit In Nako In Hindi)

नाको लेक(Nako Lake)

Image Source: herzindagi

जब भी नाको में घूमने की बात होती है तो सबसे पहले वहां पर मौजूद लेक की बात होती है। पहाड़ों के बीचों बीच होने की वजह से शाम के समय इसका नजारा किसी जन्नत से कम नहीं होता है। गर्मी के समय में जब सैलानी इस लेक के किनारे बैठते हैं तो ठंडी हवाओं से उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है। बर्फ़बारी के समय नाको लेक पूरी तरह से बर्फ से ढँक जाती है।

नाको गांव(Nako Village)

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नाको की असली पहचान उसके गांव से होती है। हिमालय की शानदार वादियों के बीचो बीच लकड़ी से बने हुए घर और ठंडी हवाएं इंसान के मन को पूरी तरह से खुश कर देती हैं। भीषण गर्मी में भी इस गांव का तापमान हमेशा माइनस में ही रहता है। नाको गांव सिर्फ अपनी ख़ूबसूरती ही नहीं बल्कि अपनी सदियों पुरानी संस्कृति और पहाड़ी व्यंजनों के लिए भी मशहूर है। नाको गांव में आपको तिब्बती परंपरा की झलक भी बखूबी देखने को मिलेगी। अगर आप यहाँ पर कुछ दिन रुकने का विचार बनाते हैं तो बड़े आसानी के साथ आपको यहाँ पर रुकने के लिए स्थान मिल जाएगा।

नाको मॉनेस्ट्री(Nako Monastery)

Image Source: herzindagi

नाको में मौजूद नाको मॉनेस्ट्री एक बहुत ही ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है। पहाड़ की चोटी पर स्थित होने की वजह से यह देशी, विदेशी और बौद्ध धर्म के अनुयाइयों के लिए बेहद ही ख़ास है। जो भी सैलानी नाको घूमने के लिए जाता है तो वह नाको मॉनेस्ट्री देखने जरूर जाता है।
मान्यता के अनुसार, इस मठ की स्थापना 11 वीं शताब्दी के आस पास हुई थी। इस मठ के स्थापना का श्रेय प्रसिद्ध और प्राचीन अनुवादक लोचन रिंचेन ज़ंगपो को दिया जाता है। इस मठ को लोटसवा झकंग के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है अनुवादक का परिसर।

इन जगहों को भी जरूर करें एक्सप्लोर

ऊपर बताए गए स्थानों के अलावा आप, लिप्पा असरांग वन्यजीव अभ्यारण, रिकांग पिओ, धनकर गोम्पा जैसी खूबसूरत जगहों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। इसके अलावा आप यहाँ पर ट्रैकिंग और बाइकिंग का भी आनंद उठा सकते हैं।

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Adarsh Tiwari

सॉफ्टवेयर की पढ़ाई करते करते दिमाग हैंग सा होने लगा तो कहानियां पढ़ने लगा. फिर लिखने का मन किया तो लिखना शुरू कर दिया। अब आप पढ़कर बताइए की कैसा लिख रहा हूँ.

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