Bihar Me Ghumne Ki Jagah: घूमना किसे पसंद नहीं है? किन्तु जब भी घूमने की बात आती है तो हम अक्सर कश्मीर, पंजाब, केरल इत्यादि शहरों के नाम लेते है। शायद ही ऐसा कोई पल होता है जब घूमने के लिए अपनी सूची में बिहार का नाम भी रखते हैं। अक्सर लोगों का मानना है कि बिहार में घूमने के लिए कोई जगह नहीं अर्थात हम अभी तक बिहार से सही तरीके से अवगत ही नहीं हुए। ऐसा माना जाता है कि भारत का इतिहास इसी सांस्कृतिक और प्राचीन जगह की सीमाओं से शुरू होता है।
चलिए आज आपको बताते हैं बिहार में घूमने के लिए कौन कौन सी जगहें हैं जहाँ आप घूमना अवश्य पसंद करेंगे और आपकी छुट्टी का मजा यकीनन दोगुना हो जायेगा।
गया शहर का नाम सुनते ही दिमाग में गौतम बुद्ध की छवि उमर आती है। गया शहर में ही भगवान गौतम बुद्ध को बोधज्ञान प्राप्त हुआ था तथा इसी कारण गया शहर बिहार राज्य के सबसे बड़े प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। गया के पश्चिमी भाग से फाल्गु नदी बहती है तथा यह शहर तीन छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, :- मंगला-गौरी, श्रिंगा-स्थान, राम-शीला तथा ब्रह्मयोनि। इस शहर की शान यहाँ स्थित महाबोधि मंदिर है। देश विदेश से बौद्ध-भिक्षु यहाँ आते हैं और भगवान बुद्ध के दर्शन करते हैं। प्रत्येक वर्ष बोद्धगया में लाखो की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन हेतु आते हैं, और इनमे अधिकतर विदेशी शामिल होते हैं। यहाँ पर प्रमुख मंदिरो में से एक मंदिर हैं विष्णुपद मंदिर। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के पावं के निशान पर इस मंदिर का निर्माण हुआ है, तथा यहाँ का पितृपक्ष मेला देश विदेश में मशहूर है, कहते हैं यहाँ फाल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ धाम प्राप्त होता है।
नालंदा विश्वविद्यालय केवल बिहार या भारत का ही गौरव नहीं, बल्कि पुरे दुनियाँ के गौरव था। इस विश्वविद्यालय को 450 ईo में गुप्त शाशक कुमारगुप्त ने बनवाया था। उस समय बिहार का नाम मगध हुआ करता था, जो कि उस समय पुरे भारत में सबसे शक्तिशाली राज्य था। यह विश्ववद्यालय दुनिया में प्राचीन काल में प्रसिद्ध था तथा दुनिया भर से छात्र इसमें पढ़ने हेतु आया करते थे। यहाँ तक कि चीनी यात्री हेनसांग ने नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन, धर्म और साहित्य का अध्यन किया था। उनके अनुसार इस विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना सरल नहीं था। यहाँ केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र ही प्रवेश करने के योग्य थे। प्रवेश होने से पहले छात्रों को परीक्षा ( आधुनिक समय में जिसे हम एंटेरन्स एग्जाम के नाम से जानते है) देनी होती थी तथा इसमें उत्तीर्ण होने वाला छात्र ही इस विश्वविद्यालय में प्रवेश पा सकता था। इस विश्वविद्यालय में कुल छह प्रवेश द्वार थे तथा हर द्वार पर एक पंडित विद्यमान रहता था, प्रवेश से पहले वही छात्रों कि परीक्षा लिया करता था जिसमे आमतः 30 प्रतिशत छात्र ही उत्तीर्ण हो पाते थे। प्रवेश पाने के बाद छात्रों को कठोर परिश्रम करना पड़ता था तथा जो इस विश्वविद्यालय से स्नातक होकर जाता था उसका सम्मान पूरी दुनिया में किया जाता था। किन्तु 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर इस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। अब यह एक पर्यटक स्थल ही बन कर रह गया है। तथा यदि आप बिहार जाने का सोच रहे है तो यहाँ जाना न भूले। यहाँ पर आपको आपके भारत से जुड़ा इतिहास जानने को मिलेगा।
बिहार की राजधानी पटना जो कि स्थित है पवित्र गंगा नदी के किनारे। प्राचीन काल में पटना को पाटलिपुत्र के नाम से सम्बोधित किया जाता था। यह शहर दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक है। इसी शहर में सिखों के दसवें गुरु “गुरु गोबिंद सिंह” का जन्म हुआ था तथा इसी कारण पटना सिखों के लिए एक तीर्थ स्थल भी माना गया है। पटना को नन्द तथा मौर्या साम्राज्य में प्रसिद्धि मिली थी। पर्यटकों के लिए यहाँ का मुख्या केंद्र है बिहार संग्रहालय, गोलघर, छोटी पटन देवी मंदिर, बड़ी पटन देवी मंदिर, अगम कुआँ, कुम्हरार, किला हाउस इत्यादि प्रमुख स्थल है।
मुंगेर को भी बिहार के प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है। योग प्रेमियों के लिए यह नाम अज्ञात नहीं है। जैसा कि हम जानते है कि दुनिया भर से लोग भारत में योग सीखने आते है, तो इसी प्रकार मुंगेर में भी आपको हज़ारो कि तादात में विदेशी योग करते दिख जायेंगे। मुंगेर में कई ऐतिहासिक अवशेष है जो कि पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर केंद्रित करते हैं। मुंगेर में ऐतिहासिक किला है तथा सीताकुंड नामक प्रमुख कुंड है। मुंगेर में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है सीता कुंड जो कि मुंगेर से 6 कीमि पूर्व स्थित है। सीताकुंड के नाम से आप जान सकते है की यह अवश्य ही रामायण से जुड़ा हुआ कोई धर्मस्थल है। ऐसा कहा जाता है के जब राम ने रावण के साथ युद्ध करके सीता को वापस पाया था तो उन्हें अपनी पवित्रता को प्रमाणित करने हेतु अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी, तथा उसके बाद जिस कुंड में उन्होंने स्नान किया था वह मुंगेर ज़िले में स्थित आधुनिक समय में सीताकुंड के नाम से प्रख्यात हुआ।
पर्यटकों के लिए राजगीर एक आकर्षित केंद्र है, इसका कारण है की राजगीर साथ पहाड़ियों से मिलकर बना है :- छठगीरी, रत्नागिरी, शैलगिरि, सोनगिरि, उदयगिरि, वैभारगिरि एवं विपुलगिरि। प्रत्येक पहाड़ पर कोई न कोई जैन मंदिर, बौद्ध मंदिर या हिन्दू मंदिर स्थापित है जो की लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। तथा इसी कारण राजगीर को तीन धर्मो का तीर्थ स्थल माना जाता है। यदि हम बात करे यहाँ साफ़ सफाई अर्थात स्वछता की तो यह कहना गलत नहीं होगा की राजगीर बिहार में स्थित अन्य जगहों से ज्यादा साफ़ तथा स्वच्छ है। पर्यटकों का यहाँ प्रमुख केंद्र है सोन भंडार, मगध राजा जरासंध का अखाड़ा, गर्म जल के कुंड ( दरअसल यहाँ के चट्टानों में कुछ ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो जल को गर्म रखते हैं), ब्रह्मा कुंड तथा मखदूम कुंड इत्यादि।
बिहार में घूमने के लिए ओर भी कई सारी जगहें हैं जहाँ पर आप जाकर प्रफुल्लित हो जायेंगे, जैसे कि :- सीतामढ़ी ( ऐसा माना जाता है कि सीतामढ़ी में ही माता सीता का जन्म हुआ था, तथा यहाँ दर्शनीय स्थल की बात करे तो आप जानकी स्थान मंदिर, उर्बीजा कुंड, ह्वेश्वर स्थान, पंथ पाकड़ इत्यादि जगह पर घूम सकते हैं), जल मंदिर (जल मंदिर पावापुरी में स्थित एक जैन तीर्थ स्थल हैं, तथा जैन धर्म वालो के लिए यह एक अत्यंत पवित्र जगह हैं क्यूंकि ऐसा कहा जाता हैं की भगवान महावीर को इसी स्थान पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी), शेर शाह सूरी मकबरा (सासाराम), विक्रमशीला विश्वविद्यालय का खंडहर ( भागलपुर), केसरिया स्तूप ( चम्पारण), नवलखा पैलेस ( मधुबनी)।
महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्या तथा सम्राट अशोका ने भी बिहार पर ही राज किया था जिसका नाम उस समय मगध हुआ करता था। यदि हम बात करें बिहार में लोगों के पहनावे को लेकर तो यहाँ पर स्त्रियां साड़ी पहनती हैं वही आदमी कुर्ता ओर धोती तथा जब भी बिहार जाये यहाँ का लिट्टी चोखा का स्वाद लेना कभी ना भूले|
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