Ganga Mahotsav Varanasi: बात जब भी कभी काशी यानी कि वाराणसी की होती है तो निश्चित रूप से उसमें कुछ ना कुछ खास होता है। काशी जो कि अपने आप में ही बहुत प्राचीन समय से कई सारी सभ्यताओं को समेटे हुए है और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि दार्शनिक स्तर पर भी इसकी बहुत ही बड़ी महत्ता है। यह अध्यात्म और धर्म की राजधानी है। काशी की सबसे खास बात है यहां के घाट जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के पर्यटकों के लिए हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कई दशक पहले भी इसकी खूबसूरती वैसी ही थी जैसे आज है। यहां के घाट किनारे रोजाना होने वाली आरती के बारे में क्या कहना। ऐसा लगता है जैसे सायंकाल में धरती पर स्वयं स्वर्ग ही उतर आया हो। एक साथ कई लोगों द्वारा एक ही मंत्रों का उच्चारण, दीपों की श्रृंखला, जिसे देखने के लिए हर रोज हजारों की भीड़ जुटती है।
यहां की ख्याति इतनी ज्यादा है कि काशी में कई सारे उत्सव और महात्सवों आदि में कई राजनेता और फिल्मी सितारे भी शामिल हो चुके हैं, जिनमें से एक हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। यदि आप भी काशी के निवासी हैं तो निश्चित रूप से आप यहां की प्राचीनता और धार्मिक महत्व को भली भांति समझते होंगे। इसके अलावा यह बात भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और ध्यान देने योग्य है कि जिस दिन से प्रधानमंत्री मोदी जी ने काशी को अपना संसदीय क्षेत्र बनाया है उसके बाद से ही यहां की ना सिर्फ हवा बदली है बल्कि काशी के महत्व को और भी खूबसूरती से निखारा जाने लगा। आप खुद भी देख सकते हैं कि काशी की प्राचीन सभ्यता और धार्मिक महत्व के साथ बिना कोई छेड़-छाड़ किए हुए शहर को आधुनिकता का रूप दिया जा रहा है, जिसका सबसे पहला उदाहरण है काशी के घाट जहां पर स्वच्छता अभियान को छेड़ कर स्वयं प्रधानमंत्री ने पहल की थी। प्रधानमंत्री के पद पर होते हुए उन्होंने खुद फावड़ा लेकर सफाई अभियान की शुरुवात काशी से की और ये अभियान बस दो चार दिन के लिए नहीं था बल्कि इसने अपना रंग भी दिखाया और आज की तारीख में काशी के घाट स्वच्छता के मिसाल बन चुके हैं।
अब तक आप भी समझ गए होंगे कि काशी की खूबसूरती और इसका महत्व कितना ज्यादा है और पिछले कुछ वर्षों से काशी स्थित अस्सी घाट पर “सुबहे बनारस” कार्यक्रम भी आयोजित होता है, जहां शहर के कई मशहूर कलाकार आते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन पारंपरिक तरह से करते हैं। उनके अद्भुत प्रदर्शन को देखने के लिए काशी वासियों के अलावा कई विदेशी पर्यटक भी तड़के सुबह यहां पर पहुंचे रहते हैं। खैर, आज हम आपको काशी में समय-समय पर होने वाले एक बहुत ही खास महोत्सव के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम है “गंगा महोत्सव”। हर वर्ष होने वाले इस बेहद ही खास महोत्सव की शुरुवात इस बार 21 नवंबर से होगी जो कि 11 नवंबर तक चलेगा। इसके ठीक अगले दिन यानी कि 12 नवंबर को देव दीपावली का आयोजन होगा।
आपको यह भी बता दें कि इस दौरान विभिन्न विधाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम गंगा के विभिन्न घाटों पर होंगे। 5, 6 व 7 नवंबर को स्कूली बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। हम सभी इस बात से बेहतर परिचित हैं कि वाराणसी के गंगा घाट दुनियाभर मे अपनी पहचान रखते हैं और सिर्फ कुछ एक घाट ही नहीं बल्कि काशी के हर घाट का अपना अलग इतिहास और पौराणिक महत्व है। उसी पौराणिक महत्व को रेखांकित करते हुए और इस महोत्सव को और भी आधुनिक बनाते हुए यहां पर लेजर शो तैयार किया जाएगा। जिसके जरिये काशी की परंपरा के साथ-साथ देश की सभ्यता के बारे में भी दर्शाया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वाराणसी में हर वर्ष दिवाली के बाद देव दिवाली मनाई जाती है और इस दौरान घाट का नजारा इतना ज्यादा भव्य होता है जिसे देख आंखें चौंधिया जाती हैं। बता दें कि गंगा के सभी 84 घाटों पर लाखों की संख्या में एक साथ दीपक जगमगाते हैं और उस दौरान यह अलौकिक दृश्य देखने योग्य होता है। गंगा महोत्सव, देव दीपावली ये सभी कार्यक्रम काशी की एक पहचान है। देव दीपावली की भव्यता से आकर्षित होकर उसकी झलक पाने को देश-दुनिया से लोग यहां आते हैं।
बता दें कि गंगा महोत्सव के मुख्य आयोजन से पहले हर वर्ष माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से गंगा महोत्सव का आयोजन कराया जाता है। पिछले वर्ष भी इस महोत्सव से पहले सीएम एंग्लो बंगाली कॉलेज के छात्र ने बांसुरी वादन से वहां मौजूद सभी लोगों का मन मोह लिया था। इसके अलावा उसने तबला वादन भी किया था। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि वाराणसी के कुछ प्राचीन और विख्यात शिक्षा मंदिर के छात्र-छात्राओं ने अपने नृत्य और अलग-अलग वादन तथा गायन कला से इस महोत्सव में आए सभी लोगों का अच्छा मनोरंजन किया था। इस बार भी ऐसी ही कुछ व्यवस्था बनाई जा रही है। कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में बुधवार को आयुक्त सभागार में काशी गंगा महोत्सव, देव दीपावली व शिल्प मेला आयोजन की रूपरेखा निर्धारित की गई। उन्होंने बताया कि काशी की गरिमा और इसके वैश्विक स्तर के महत्व को ध्यान में रखते हुए आयोजन स्तरीय और भव्यता के साथ कराए जाएंगे। इसके साथ ही साथ स्थानीय गणमान्य व्यक्ति और स्वैच्छिक संस्थानों का भी इस महोत्सव को उत्कृष्ट बनाने के लिए सहयोग लिया जाएगा।
आपको यह भी बता दें कि काशी महोसत्व के दौरान सांस्कृतिक संकुल में शिल्प मेला का भी आयोजन किया जाता है, जहां पर समस्त उत्तर प्रदेश के शिल्पकार तथा आस-पास के पड़ोसी राज्यों के भी कारीगर अपनी कलाकृतियों के साथ यहां पर आते हैं तथा कई अलग-अलग तरह के हस्तकला उत्पादों का स्टाल लगाते हैं। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, त्रिपुरा, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के शिल्पकार भी अपना हुनर साथ लाते हैं। कश्मीरी शॉल, पश्मीना, लोई, गुजराती शॉल, ग्वालियर का पेपर मैसी, लखनऊ का चिकन फैब्रिक, बुलंदशहर खुर्जा की क्राकरी, करनाल हरियाणा का सात कोट का टेराकोटा आइटम, कालीन-दरी, सहारनपुर का फर्नीचर, केन फर्नीचर, वुडेन कार्विग्स, दिल्ली का लेदर, पंजाबी तिलाजूती, पश्चिम बंगाल का टेराकोटा, उत्तर प्रदेश से पॉटरी, स्टोन कार्विग्स आदि तमाम मशहूर वस्तुएं एक ही जगह पर मिल जाती हैं, जिसे यहां पर आने वाले ग्राहक काफी पसंद करते हैं।
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना ना भूलें।
Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…
Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…
Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…
Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…
Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…
Parsi Death Ceremony in Hindi: दुनिया तेजी से बदल रही है और इसी क्रम में…