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विश्व धरोहर में शामिल है मध्य प्रदेश का खजुराहो मंदिर, शानदार नक्काशी और भव्यता के लिए है प्रसिद्ध

Khajuraho Temple Madhya Pradesh: कहते हैं अगर आपको देश की प्राचीन परंपराओं तथा सभ्यताओं आदि के बारे में जानने और देखने में दिलचस्पी है, तो ऐसे में आपको निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के छत्तरपुर जिले की तरफ रुख करना चाहिए। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर छत्तरपुर में भला ऐसा क्या है जो वहां जाया जाए तो आपको बता दें कि यह वो जगह हैं जहां पर विश्व का सबसे मशहूर स्थान “खजुराहो” स्थित है। जी हां, वही खजुराहो जहां के मंदिरों और इमारतों पर निर्मित अनेक मनोरम और मोहक मूर्ति शिल्प काम क्रिया के विभिन्न आसनों को दर्शाते हैं। बताना चाहेंगे कि खजुराहो का इतिहास काफी पुराना है और इसका नाम खजुराहो यहां पर काफी ज्यादा संख्या में मौजूद खजूर के पेड़ों की वजह से पड़ा।

खजुराहों में हिंदू और जैन धर्म के प्रमुख मंदिरों का समूह है, जो खजुराहों समूह के नाम से प्रसिद्ध है। चंदेला साम्राज्य में बने इस अद्भुत मंदिर को इसकी भव्यता और आर्कषण की वजह से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यहां भारत के बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों का समूह है। वहीं इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक मूर्तियां यहां आने वाले सभी सैलानियों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। यह बात जिस भी किसी ने कही है तकरीबन काफी हद तक सही ही है और इसे आप मानिए या मत मानिए लेकिन सच यही है कि आपका जन्म भी कामुकता की वजह से ही हुआ है। आप इस दुनिया में इसी तरह से आए हैं। कहा जाता है कि जो लोग जीवन के साथ लय में नहीं हैं, वे लोग इस तरह की बातें करते हैं कि किसी पवित्र इंसान का जन्म कामुकता की वजह से नहीं होता, क्योंकि उनके हिसाब से कामुकता ना सिर्फ गंदी चीज बल्कि यह एक गंदा शब्द भी है। अब अगर किसी को पवित्र बनना है तो फिर उसे तो निश्चित रूप से कामुकता से पैदा नहीं होना चाहिए जो कि शायद संभव नहीं है।

चंदेला साम्राज्य ने बनवाया था खजुराहो मंदिर

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खैर, ये सब तो अलग बातें हो गयी मगर बात की जाये खजुराहो मंदिर के इतिहास की तो जैसा कि हमने आपको अभी बताया इन मंदिरों का निर्माण चंदेला साम्राज्य के चंद्रवंशियों ने कराया है। बताया जाता है कि जैसे ही चंदेला शासन की ताकत का विस्तार हुआ था, उनके साम्राज्य को बुंदेलखंड का नाम दे दिया गया था और फिर उन्होंने खुजराहों के इन भव्य मंदिरों का निर्माण काम शुरु किया था। इन मंदिरों के निर्माण में काफी लंबा वक्त लगा था। 950 ईसापूर्व से करीब 1050 ईसापूर्व तक इन मंदिरों का निर्माण किया गया था।

शानदार नक्काशी के लिए है प्रसिद्ध

भगवान चंद्र के बेटा राजा चन्द्रवर्मन ने खजुराहों के ज्यादातर मंदिरों की स्थापना की थी। चूंकि ये लोग चंद्रमा के उपासक होते थे और शास्त्रों में भी बताया गया है कि चंद्रमा और स्त्री का आपस में काफी गहरा संबंध होता है, ऐसे में उन लोगों के लिए किसी भी मंदिर या इमारत की कल्पना करना भी मुश्किल था जिसमें स्त्री शामिल न हो। नतीजा खजुराहो का शानदार मंदिर हम सभी के सामने है जो सदियों से आज तक अपनी इसी खूबी की वजह से हमेशा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कुछ लोग इसे हीन दृष्टि से देखते हैं मगर देखते जरूर हैं। वहीं कुछ लोग इसकी नक्काशी और शानदार कलाकृतियों को निहारते हैं और तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।

जब कुतुबुद्दीन ने छीना चंदेला साम्राज्य

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12वीं शताब्दी तक खजुराहों के मंदिर का सौंदर्य और आर्कषण बरकरार था। लेकिन 13वीं सदी में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान कुतुब-उद-द्दीन ने चंदेला साम्राज्य को छीन लिया था, तब खजुराहो मंदिर के स्मारकों में काफी बदलाव किया गया था और इसके सौंदर्य में काफी कमी आ गई थी। जैसा कि हम सभी जानते हैं भारतवर्ष पर कई शासकों ने राज किया है और हर किसी ने अपने-अपने शासनकाल में अपने हिसाब से इमारतों, मंदिर तथा मस्जिद आदि का निर्माण या उसमें बदलाव किया है और कईयों ने तो प्राचीन इमारतों को ध्वस्त भी करने की कोशिश की है। बता दें कि कई मुस्लिम शासकों ने ऐसा प्रयास किया है और खजुराहो के इस शानदार मंदिर को लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने 1495 ईसवी में बलपूर्वक ध्वस्त कर दिया था।

विश्व की प्रमुख धरोहर में है शामिल

जानकारी के लिए बताते चलें कि खजुराहो के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर तकरीबन 90 प्रतिशत मूर्तियों में कामकला के आसन दर्शाए गए है जिसमें स्त्री-पुरुषों के चेहरे पर एक अलौकिक और देवीय आनंद की आभा झलकती है। यदि आप गौर से देखें तो इसमें जरा भी अश्लीलता का आभास नहीं होता। खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर और इनका मूर्ति शिल्प भारतीय स्थापत्य और कला की अमूल्य धरोहर हैं। खास बात तो यह है कि इन मंदिरों की भव्यता, सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए इसे “विश्व धरोहर” में भी शामिल किया गया है, जो कि भारत के लिए बेहद ही गर्व की बात है। बताना चाहेंगे कि खजुराहों में वे सभी मैथुनी मूर्तियां अंकित की गई हैं, जो प्राचीनकाल का मानव उन्मुक्त होकर करता था। जिसे न तो ईश्वर का और न ही धर्मों की नैतिकता का डर था।

हालांकि, आपको यह भी पता होना चाहिए कि इसका मूर्ति शिल्प लक्ष्मण, भगवान शिव और पार्वती जी को समर्पित मंदिरों का अंग है और इस वजह से यहां के धार्मिक महत्व से कभी इंकार नहीं किया जा सकता। खजुराहो का एक मंदिर करीब 107 फुट ऊंचा है जिसका नाम है कंदरिया महादेव मंदिर। यह अन्य सभी मंदिरों से अधिक प्रसिद्ध है। इन मंदिरों के अंदर कुल 246 तथा बाहर 646 कलाकृतियां हैं, जिनमें से ज़्यादातर कामुकता को प्रदर्शित करती हैं। चूंकि अब ये “विश्व धरोहर” है इसलिए अब इसकी देख रेख UNESCO के हाथ में है तथा भारतीय पुरातत्व विभाग भी इसके संरक्षण में अपना पूरा सहयोग दे रहा है।

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Shikha Yadav

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