Odisha Me Ghumne ki Jagah: बिहार, बंगाल और झारखंड की सीमा से सटे ओडिशा में ऐसे कई सारे महत्वपूर्ण आकर्षक जगह हैं। जहां लोग अपनी छुट्टी मनाने के लिए जा सकते हैं। यहां के लोगों का रहन सहन और जीवन यापन करने का तरीका बेहद ही सरल और अनोखा होता है। ओडिशा में कुछ ऐसी जगह है जहां जाने से मन की शांति और ईश्वर के प्रति आस्था प्राप्त होती है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि ओडिशा में वह कौन सी जगह है, जहां आप छुट्टियां मनाने जा सकते हैं।
जगन्नाथ मंदिर [Jagannath Puri Mandir]
ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से हर साल लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। यहां जगन्नाथ मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं। जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। यहां से हर साल जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है। जिसे लेकर देश और दुनिया के लोगों में एक विशेष रोमांच रहता है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में लोग पुरी पहुंचते हैं।
कोणार्क मंदिर [Konark Sun Temple]
ओडिशा के
कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर ओडिशा के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर ओडिशा ‘पर्यटन के सुनहरे त्रिभुज’ के तीन बिंदुओं में से एक है। त्रिभुज के दो अन्य बिंदु भुनेश्वर और पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर में हर साल दुनिया भर से लाखों की संख्या में लोग आते हैं।
गुंदिचा घर मंदिर
पुरी स्थित गुंदिचा घर मंदिर भी सालों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। जो लोग भगवान जगन्नाथ के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। वह इस मंदिर में जाकर एक बार जरूर दर्शन करते हैं।
लोकनाथ मंदिर [Lokanath Temple]
लोकनाथ मंदिर पुरी के सबसे ज्यादा पसंदीदा स्थानों में से एक है। एक धार्मिक शहर होने के कारण पूरी में कई मंदिर हैं जो यहां पहुंचने वाले लोगों के बीच लोकप्रिय है। पुरी स्थित लोकनाथ मंदिर में भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस मंदिर को पुरी में शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
दरिया हनुमान और सोनार गौरांग मंदिर
वैसे तो ओडिशा में ऐसे कई सारे स्थान है। जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर पुरी में ही स्थित है। पुरी को ओडिशा का टूरिस्ट सेंटर कहा जाता है। यहां स्थित हनुमान और सोनार गौरांग मंदिर भी पर्यटकों का केंद्र है। जो लोग पुरी घूमने आते हैं वह हनुमान जी का आशीर्वाद और मन की शांति प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में आना बेहद पसंद करते हैं।
अर्द्धशनि मंदिर
पुरी में शनिदेव का भी एक विशाल मंदिर है। जिसका नाम है अर्द्धशनि मंदिर। इस मंदिर में लोग भारी संख्या में हर साल पहुंचते हैं। हालांकि इस मंदिर की मुख्य संरचना इतनी बड़ी नहीं है। लेकिन फिर भी यह मंदिर यहां पहुंचने वाले लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
चिलका
अगर आप धार्मिक स्थलों के अलावा ओडिशा में कोई अन्य पर्यटक स्थल की तलाश में हैं। तो आप चिलका चले जाइए। छुट्टियां बिताने के लिए यह एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है। ओडिशा में चिलका के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। यही कारण है कि ओड़िशा आने वाले पर्यटक खुद को चिलका आने से नहीं रोक पाते हैं। चिलका भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। जो कि पुरी के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। ओडिशा स्थित झील की लंबाई 70 किलोमीटर है जबकि इसकी चौड़ाई 15 किलोमीटर है। यहां सर्दियों के मौसम में कई प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। इन पक्षियों में ज्यादातर पक्षी साइबेरिया के होते हैं।
भीतरकनिका
उड़ीसा राज्य में स्थित कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में एक नाम भीतरकनिका का भी है, जो लोग प्रकृति से प्रेम करते हैं उन्हें एक बार यहां जरूर जाना चाहिए यह पौधों और वन्यजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला है।
भीतरकनिका कई प्रजातियों के वन्य प्राणियों का घर है। यहां बहुतायत में पाए जाने वाले वन्य प्राणियों में मगरमच्छ, अजगर, किंग कोबरा, रेसूस (नकचपटा बंदर), जंगली सुअर, चित्तेदार हिरण और सांभर शामिल हैं। भीतरकनिका में मगरमच्छों का प्रजनन केंद्र भी है। सफेद मगरमच्छों की दुर्लभ प्रजाति शंखुआ, यहां पाई जाती है।
महेंद्रगिरि
उड़ीसा के गजपति जिले के पराडमुंडी इलाके में महेंद्रगिरी स्थित है। यह पर्वत समुद्र की सतह से 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके ऊपर से आसपास के मनोरम और हैरतअंगेज कर देने वाले नजारे पर्यटकों को यहां खींच लाते हैं। आकर्षक पर्वत शृंखला, हरे-भरे जंगल, शांति के साथ बहती छोटी नदी और यहां का खुशनुमा मौसम मिलकर महेंद्रगिरि को एक खूबसूरत जगह बनाते हैं।
ऐसा कहते हैं कि महेंद्र गिरी ने क्षेत्र के समृद्ध, धार्मिक और पौराणिक इतिहास को अपने अंदर संजोकर रखा है। कालिदास और राधानाथ रे जैसे महान कवियों ने महेंद्रगिरी पर्वत की ऊंची और खूबसूरत चोटियों के ऊपर कई कविताओं की रचना की है। ओडिशा में बसा महेंद्रगिरी एक प्राचीन स्थल है। जोकि खूबसूरत जगहों के पुरातात्विक अवशेषों को दर्शाता है। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी और भीड़भाड़ से दूर स्थित महेंद्रगिरि पर्वत पर्यटकों को रोजमर्रा और सांसारिक जीवन के तनाव से मुक्ति दिलाता है।
खंडगिरि गुफाएं
उड़ीसा में स्थित खंडगिरी गुफाएं अपने अंदर प्राचीन काल के समृद्ध इतिहास को समेटे हुए हैं। यह स्थान भुवनेश्वर से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर है। खंडगिरि की गुफाएं ओडिशा में आकर्षण का केंद्र है। जो पर्यटकों को इतिहास में ले जाती है। ऐसी मान्यता है कि खंडगिरि की इन 15 गुफाओं में प्राचीन काल में जैन विद्वान और तपस्वी रहा करते थें। पहाड़ों की चट्टानों को काटकर खंडगिरि गुफा की दीवारें बनाई गई है। इन दीवारों पर सुंदर चित्र और रूपांकन भी किए गए हैं। यहां स्थित कुछ दीवारों पर जैन धर्म के पवित्र साहित्य के अंश भी देखने को मिलते हैं।
उदयगिरि गुफाएं
खंडगिरि की तरह उदयगिरि की गुफा को भी चट्टान काटकर बनाया गया है। यहां करीब 18 गुफाएं हैं जो कि प्राचीन काल के धार्मिक विरासत को दर्शाती है। करीब 135 फीट की ऊंचाई पर स्थित उदयगिरि पर्वत को प्राचीन काल में कुमारी पर्वत कहा जाता था। इन गुफाओं का निर्माण भी जैन तपस्वियों और विद्वानों के रहने के लिए किया गया था। उदयगिरि की गुफाओं की दीवारें मनुष्य और जानवरों के खूबसूरत कलाओं से सजी हुई है। साथ ही इन दीवारों पर जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ के साहित्य का वर्णन किया गया है। उदयगिरि की हर गुफा का एक अलग नाम है। यहां स्थित दो मंजिला रानी गुफा सबसे खूबसूरत और प्रभावशाली गुफा है। इस गुफा की दीवारों और दरवाजों को खास तौर पर सजाया गया है। ज्यादातर दीवारों की नक्काशी में दुश्मनों पर यहां के राजाओं की जीत को दिखाया गया है।