ट्रेवल

‘अनुमति राजपत्र’ से लेकर आज के मॉडर्न ‘बायोमीट्रिक पासपोर्ट’ की कहानी

विदेश यात्रा करना हर किसी को पसंद होती है। लेकिन अपनी सीमा पार के लिए पासपोर्ट के रूप में दूसरे देश की अनुमति लेनी पड़ती है। किसी भी देश में प्रवेश के लिए आपको पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है।

यह राजाओं ने प्रथम विश्व युद्ध में बड़े पैमाने में इस्तेमाल किया। आखिर कैसे ‘शाही अनुमति पत्र’ ने ले लिया ‘पासपोर्ट’ का रूप, इसकी बड़ी ही रोचक कहानी है। आइये जानते है, पासपोर्ट की ऐतिहासिक सफर की कहानी।

प्राचीन युग की बात करे तो पासपोर्ट उस समय भी मौजूद था। इसका जिक्र हिब्रू बाइबिल में किया गया है। इस दस्तावेज को सबसे पहले फारस के राजा द्वारा नेहेमियाह नाम के एक व्यक्ति के लिए जारी किया था। यह इसलिए जारी किया था। ताकि सुरक्षित यात्रा की जा सके। इसके अलावा अनुमति राजपत्र का जिक्र शेक्सपियर के नाटक में भी किया गया है। उसमे राजा यह कहते हुए दिखते है “अब इसे यह से रवाना किया जाए, इसका पासपोर्ट बना दिया जाए”

फ्रांस और ब्रिटेन के बीच मतभेद

सन 1464 में, pass ports की व्याख्या बड़े स्तर पर की जाने लगी। फ्रेंच शब्द paase ports का अर्थकिसी पोर्ट से गुजरने के लिए आधिकारिक अनुमति’ है। लेकिन अब इस शब्द का अर्थ है “एक ऐसा सुरक्षा प्रदान करने वाला दस्तावेज जो किसी भी व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से आने-जाने के लिए आधिकारिक अनुमति देता है” पासपोर्ट शब्द को लेकर आज तक फ्रांस और ब्रिटेन के बीच मतभेद हैं।

ब्रिटेन में पासपोर्ट सिर्फ आम जनता के लिए जारी किया जाता था। किसी राजा या रानी को इसकी जरूरत नहीं पड़ती। इसी कारण आज भी महारानी एलिज़ाबेथ हर जगह बिना किसी पासपोर्ट के यात्रा करती हैं। सबसे पुराना साइन किया गया पासपोर्ट आज भी ब्रिटेन में मौजूद है। यह सन 1641 में चार्ल्स द्वारा जारी किया गया था।

ब्रिटेन के बाद रूस की बात करे तो रूस का राजा पीटर द ग्रेट साल 1719 में पासपोर्ट को चलन में लाया था। उन्होने इसका इस्तेमाल यात्रा, टैक्स और सेना सेवा के लिए इस्तेमाल किया था।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद दोबारा वापसी हुई थी।

उद्योग क्रांति के दौरान पहली बार पासपोर्ट की जरुरत महसूस हुई। पूरे यूरोप में रेल नेटवर्क भी तेजी फ़ैल रहा था। फ्रांस को रेल नेटवर्क फैलने के बाद चेकिंग करना सही लगा। लेकिन फ्रांस सरकार ने 1861 में पासपोर्ट सिस्टम को ख़त्म कर दिया था। इस फैसले को देखते हुए बाकी यूरोपियन देशों ने भी पासपोर्ट को रद्द कर दिया।

इसके बाद एक बार फिर प्रथम विश्व युद्ध में इसकी वापसी हुई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा फ़ैल गया था। पहले तो पासपोर्ट को टेम्पररी अपनाया, फिर उसके बाद इसे परमानेंट कर दिया गया।

ब्रिटेन का सबसे पहला पासपोर्ट 1914 साल में आया था। यह 1914 में बनाया गया नेशनलिटी एंड स्टेटस एलियंस एक्ट के तहत आया था। इस पासपोर्ट में शरीर की विशेषताएं बताई गयी थी। इसमें शरीर का रंग, कद, चेहरे का आकार आदि लिखा होता था। साथ ही यह दो साल तक मान्य होता था। साल 1920 में, लीग ऑफ़ नेशन ‘पेरिस कांफ्रेंस ऑन पासपोर्ट एंड कस्टम्स फोर्मलिटी एंड थ्रू टिकट्स’ कांफ्रेंस में पासपोर्ट को स्टैण्डर्ड कर दिया। अब इसको ओल्ड ब्लू के नाम से जाना जाता था।

इसके बाद सन 1947 में इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गेनाईजेशन (ICAO) ने पासपोर्ट से सम्बंधित सारी जिम्मेदारी ले ली। उस समय से लेकर आजतक पासपोर्ट से जुड़े मामलों पर फैसला लेने का हक़ ICAO के पास ही है।

आज बॉयोमीट्रिक पासपोर्ट का चलन है। आज का पासपोर्ट बिलकुल मॉडर्न हो चुका है। साल 1998 के बाद पासपोर्ट विश्व के कई हिस्सों में इस्तेमाल हो रहा है। आपको बता दे, अगर आपके पास 2016 से बॉयोमीट्रिक पासपोर्ट नहीं है तो, आप संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश तक नहीं कर सकते हैं। 2017 तक करीब 120 देशो ने बॉयोमीट्रिक पासपोर्ट जारी कर दिए थे।

adaderana

बॉयोमीट्रिक पासपोर्ट में एक वायरलेस स्मार्ट कार्ड है। जिसमें एक माइक्रोप्रोसेसर चिप और एक एम्बेडेड एंटीना शामिल है। पासपोर्ट कई रंगो में इस्तेमाल किया गया है। भारत समेत 15 कैरिबियाई देश और दक्षिणी अमेरिकी देशों के पासपोर्ट का नीला रंग है। सल्वेनिया, चीन, सर्बिया, रूस, लात्विया, रोमानिया, पोलैंड और जॉर्जिया के नागरिकों के पास लाल रंग का पासपोर्ट होता है। इसके अलावा ज्यादातर मुस्लिम देशो के पासपोर्ट हरे रंग का है। अफ्रीकी देशों बोत्सवाना, जांबिया, बुरुंडी, अंगोला, कॉन्गो, मलावी आदि देशो के पासपोर्ट काले रंग का है जो बहुत ही कम देशो का है।

भारत में तीन प्रकार के पासपोर्ट मिलते है। भारत में सबसे पहले 1914 में पासपोर्ट इस्तेमाल किया गया था। यह डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट के तहत इस्तेमाल होता था। लेकिन यह एक्ट 6 महीनो के बाद ख़त्म कर दिया था। कुछ सालो बाद सन 1920 में पासपोर्ट एक्ट लागु किया। भारत ने स्वतंत्रता के बाद पासपोर्ट का काम विदेश मंत्रालय को दे दिया था। आज के समय भारत में 24 जून, 1967 के इंडियन पासपोर्ट कानून के तहत पासपोर्ट जारी होते है।

Tripoto

भारत में 3 रंगो का इस्तेमाल होता है। जिसमें रेगुलर, ऑफिसियल और डिप्लोमेटिक पासपोर्ट्स जारी किये जाते हैं। भारत में नील रंग का पासपोर्ट आम नागरिको के लिए किया जाता है। इसके अलावा सफ़ेद रंग का पासपोर्ट गवर्नमेंट ऑफिशियल के लिए जारी किया जाता है। यह ऑफिशियल की आइडेंटिटी के लिए होता है। तीसरा रंग मरून भी इंडियन डिप्लोमैट्स और सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशियल्स के लिए जारी किया जाता है। इसमें आईपीएस, आईएएस रैंक के लोग आते है।

मरून पासपोर्ट धारकों को वीजा की नहीं पड़ती और उन्हें यात्रा के दौरान सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा सुविधाएँ मिलती हैं। हाल ही में भारत सरकार ने कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए ‘नारंगी’ पासपोर्ट जारी करने शुरू कर दिए है। लेकिन पढ़े-लिखे लोगो को अब भी नीले रंग का पासपोर्ट दिया जाएगा।

Facebook Comments
Prashant Yadav

Share
Published by
Prashant Yadav

Recent Posts

रोते हुए बच्चे को शांत कैसे करें? 10 आसान और असरदार घरेलू तरीके

एक नए माता-पिता के तौर पर, बच्चे के रोने की आवाज़ से ज़्यादा परेशान करने…

3 weeks ago

नवजात शिशु की पहले 30 दिनों की देखभाल कैसे करें? (A Complete Guide for New Parents)

घर में एक नन्हे मेहमान का आना दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक…

3 weeks ago

हिसार की छात्रा के बायोइन्फॉर्मेटिक्स शोध से दर्दनाक मस्तिष्क की चोट का अल्जाइमर से संबंध उजागर हुआ

हिसार, हरियाणा – हरियाणा के हिसार जिले के भाटोल जाटान गांव की कीर्ति बामल, जो…

5 months ago

मध्य प्रदेश टूरिज़्म 2025: एक प्रगति की कहानी — ‘Heart of Incredible India’

मध्य प्रदेश, जिसे हम गर्व से Heart of Incredible India कहते हैं, अब सिर्फ घूमने…

5 months ago

IRCTC अकाउंट को आधार से ऐसे करें लिंक, वरना तत्काल टिकट बुकिंग पर लग सकता है ताला!

अगर आप भारतीय रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा IRCTC का इस्तेमाल करते हैं, तो…

5 months ago

हिमाचल प्रदेश की वो झील जहां अंधेरे में आती हैं परियां, जानें क्या है इस फेमस लेक का राज़

Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…

1 year ago