Shalmala River: हिंदुओं के वैसे तो बहुत से भगवान हैं लेकिन बात करें भोले बाबा की तो वो हिंदुओं के सबसे भोले भगवानों में से एक हैं। भोले बाबा अपने भक्तों की मुराद जल्दी पूरी करते हैं। बता दें कि जहां एक तरफ शिव भगवान भोले हैं लेकिन वहीं उनका एक रौद्र रूप भी है। भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं जिस वजह से इन्हें देवों का देव महादेव भी कहा जाता है।
भगवान शिव की पूजा कई तरह की मन्नतें पूरी करने के लिए की जाती हैं। लोग जल्दी शादी होने और अच्छे पति और पत्नी की चाह में भी भोले बाबा का व्रत करते हैं और पूजा करते हैं। वहीं कुछ अपने घर की सुख शांति के लिए भी भोले बाबा की पूजा अर्चना करते हैं। बता दें कि तंत्र साधना को मानने वाले लोग और अघोरी भी भोले बाबा के भक्त होते हैं। तंत्र साधना में भोले बाबा को भैरव के नाम से जाना जाता है। वहीं वेदों में भोले बाबा का नाम रूद्र है। भोले बाबा के अलग-अलग रूप और नाम हैं।
बता दें कि भोले बाबा की पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में ही की जाती है। अधिकांश चित्रों में भोले बाबा योगी का रूप धारण करे दिखते हैं। गले में नाग देवता, सर पर चंद्रमा और मां गंगा, माथे पर तीसरी आंख, हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए भोले बाबा सौम्य और रूद्र दोनों ही रूपों में देखे जाते हैं। बता दें कि शिव भगवान को और भगवानों से अलग माना जाता है। क्योंकि सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं।
बात करें शिव नाम के अर्थ की तो वैसे तो इसका अर्थ कल्याणकारी होता है लेकिन भोले बाबा अपने अंदर लय और प्रलय दोनों को ही समाहित किए हुए हैं। भगवान शिव अपने सभी भक्तों को समान दृष्टि से देखते हैं। रावण, शनि और कश्यप ऋषि ये सभी शिव के अनन्य भक्त थे। सभी भक्तों को समान दृष्टि से देखने की वजह से ही उनको महादेव भी कहा जाता है। शिव भगवान कई नामों से जाने जाते हैं जो कि इस प्रकार हैं महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ आदि।
बता दें कि भगवान शिव की पूजा वैसे तो चारों पहर की जाती है। शिव भगवान के पूजन में उनकी पसंदीदा चीजों का प्रयोग किया जाता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, पुष्प, चंदन, इत्र, धतूरा, शहद का इस्तेमाल किया जाता है और उनका रूद्रभिषेक पंचा अमृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद) से किया जाता है। भगवान शिव पर पंचामृत के अभिषेक के साथ जल अभिषेक को भी काफी महत्व दिया जाता है। जो लोग शिव भक्त होते हैं वो प्रतिदिन भगवान शिव पर जलाभिषेक करते हैं।
जैसा कि हमने आपको बताया कि भोले बाबा का जलाभिषेक किया जाता है, तो आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताएंगे जो एक बार में ही कई हजारों शिवलिगों का अभिषेक करती है। सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ये बिल्कुल सच है। वैसे तो भारत में कई ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं जिन पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन आज हम जिस बारे में आपको बता रहे हैं उसे जानकर आप की हैरानी यकीन में बदल जाएगी।
जी हां, जैसा कि हमने आपको बताया कि भगवान शिव की पूजा में उनके अभिषेक का खासा महत्व है। तो आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताएंगे जो एक बार में हजारों शिवलिंग का अभिषेक करती है। शलमाला नदी ऐसी नदी है जो एक बार में हजारों शिवलिंगो का जलाभिषेक करती है। बता दें कि ये नदी जहां से बहती है, वहां पर हजारों की संख्या में चट्टानों पर शिवलिंग की आकृतियों के साथ सांप, नंदी आदि के चित्र भी चट्टानों पर उभरे हुए हैं। एक जगह पर एक साथ हजारों शिवलिंग होने की वजह से इसका नाम सहस्त्रलिंग भी पड़ा है। लोग इसे सहस्त्रलिंग के नाम से भी जानते हैं।
यह नदी कर्नाटक के कन्नड़ जिले में स्थित है। यहां के लोग इस नदी को पवित्र नदी के नाम से जानते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो इस नदी के पानी की धारा से ही ये चित्र अस्तित्व में आए हैं। बता दें कि गर्मियों में जब इस नदी में पानी का लेवल कम होता है तो इस नदी का नजारा देखने लायक होता है।
मान्यताओं की मानें तों इस नदी पर शिवलिंगो का निर्माण 16वीं सदी में शिव जी के बहुत बड़े भक्त सदाशिवाराय ने कराया था। वो शिव जी के अनन्य भक्त थे जिसके चलते उन्होंने अपनी भक्ति में कुछ ऐसा करने की सोची कि उनके मरने के बाद भी उनके द्वारा हजारों शिवलिंगों का अभिषेक होता रहे, जिसके चलते उन्होंने शलमाना नदीं पर हजारों शिवलंगो का निर्माण कराया।
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