इंसानों को मारकर उनके मांस को खाना शेर और बाघ जैसे खूंखार जंगली जानवरों की तो प्रवृत्ति होती है, लेकिन यदि इंसान ही किसी दूसरे इंसान को मार कर उसकी मांस को खाने लगे तो यह कितना हैरान करने वाला होगा। जी हां, सुनने में तो यह बहुत ही अजीब और डरावना लगता है, मगर ऐसा पाकिस्तान में कुछ वर्ष पहले हो चुका है। यहां दो ऐसे आदमखोर भाई मौजूद हैं, जो कि कब्र से 150 से भी अधिक मुर्दों को बाहर निकालकर उन्हें खा गए थे।
मोहम्मद फरमान अली और मोहम्मद आरिफ अली इन दोनों भाइयों का नाम है। ये लोग पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के भक्कर जिले के दरया खान के रहने वाले हैं। यहां खवावार कलन गांव में ये लोग रहते हैं। दोनों ही भाइयों की शादी हो चुकी है, लेकिन इन दोनों की बीवियां उन्हें छोड़कर जा चुकी हैं। इन पर यह आरोप लगा था कि दोनों भाई अपनी बीवियों को साथ मारपीट करते थे। उनके साथ गाली-गलौज भी करते थे। इसी वजह से इनकी बीवियां इन्हें छोड़ कर चली गयीं।
पहली बार इन दोनों भाइयों की गिरफ्तारी वर्ष 2011 में हुई थी। हुआ यह था कि यहीं के नजदीक के एक कब्रिस्तान में एक महिला की लाश दफनाई गई थी। महिला का नाम शायरा परवीन था। इस 24 साल की महिला की मौत कैंसर की वजह से हो गई थी। परिवार वाले सायरा की लाश को दफनाकर कब्रिस्तान में जब चले गए और अगले दिन वहां लौटे थे तो उन्होंने देखा कि कब्र खुदी हुई है और वहां से सायरा की लाश गायब है। इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस के पास की थी।
पुलिस ने जब अपनी छानबीन शुरू की तो यह पता चला कि सायरा की लाश के गायब होने के पीछे फरमान अली और आरिफ अली दोनों भाइयों का हाथ है। पुलिस इसके बाद उनके घर पहुंच गई। वहां पुलिस को अंदर वाले कमरे में एक पतीला रखा हुआ मिला, जिसमें उन्हें करी जैसी चीज रखी हुई मिली। पुलिस ने घर में और भी जगहों पर तलाशी ली। इस दौरान उन्हें एक बोरी मिली, जिसमें सारा की लाश थी। हालांकि इसके कई अंग कटे हुए थे। पुलिस ने तुरंत इन दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। कड़ाई से इन दोनों भाइयों से जब पूछताछ की गई तो दोनों ने कई हैरान करने वाली बातें बताई। करी वाले उस पतीले की लैब में पुलिस ने जांच करवाई तो पता चला कि इसमें इंसानी मांस को पकाकर बनाया गया था।
दोनों भाइयों ने पुलिस के साथ पूछताछ में ऐसी बातें बताई, जिसे जानने के बाद पुलिस के पैरों तले जमीन ही खिसक गई। दोनों भाइयों ने बताया कि कब्रिस्तान से वे हाल ही में दफनाए गए मुर्दों को निकाल लाते थे और घर लाकर उनकी करी बना कर खा जाते थे। उन्होंने यह भी बताया कि 100 से भी अधिक लाशों को वे अब तक करी बना कर खा चुके हैं। वर्ष 2011 के अप्रैल में उन्होंने यह खुलासा किया था।
दोनों आदमखोर भाइयों को जब अदालत में पेश किया गया तो इन्हें सजा देने को लेकर अदालत में अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई। इस तरह के अपराध के लिए क्या सजा दी जाए, ऐसा कोई प्रावधान मौजूद नहीं था। हालांकि कब्र से छेड़छाड़ करने और अलग-अलग धाराओं में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के बाद अदालत की ओर से दोनों को दो-दो वर्षों के कारावास की सजा और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा दे दी गई। मियांवाली जिला जेल में उन्हें रखा गया। जेल से ज्यादा अस्पताल में वे रहे, क्योंकि उनका मानसिक इलाज चल रहा था। वर्ष 2013 में जेल से रिहा होने के बाद गांव पहुंचने पर इनका जबरदस्त विरोध होने लगा। ऐसे में अपनी जान बचाने के डर से उन्होंने किसी से मिलना-जुलना बंद कर दिया।
वर्ष 2014 के अप्रैल में दोनों भाइयों के घर से फिर एक छोटे बच्चे का सिर मिला, जिसे कि कुछ दिनों पहले दफनाया गया था। इन्होंने फिर से उसकी करी बनाकर खाई थी। इन्हें दोबारा अदालत में पेश किया गया। इस बार दोनों को 12-12 साल की सजा सुनाई गई और दोनों जेल में सजा काट रहे हैं।
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