ज़रा हटके

जब कर्तव्य से पीछे हट बेटे तो बेटियों ने निभाया अपना धर्म, मां का अंतिम संस्कार कर बनी मिसाल

Four Daughters Perform Last Rites Of Mother In Puri: हिन्दू धर्म में बेटों द्वारा मुखाग्नि मिलने पर मोक्ष की बात कही गयी है। लेकिन जब बेटे अपना धर्म न निभा पाए तो बेटियों ने अपनी इस जिम्मेदारी को पूरा किया। ओडिशा के पुरी से चार बेटियों द्वारा मिसाल पेश करने की खबर सामने आई है। जब अपनी मां से बेटों से मुंह मोड़ लिया तब बेटियों ने फैसला किया कि वो अपनी मां का अंतिम संस्कार करेंगी।

मां की मृत्यु के बाद भी नहीं पहुंचे बेटे(Four Daughters Perform Last Rites Of Mother In Puri)

पुरी में जाति नायक नाम की 80 वर्षीय महिला का निधन हो गया। उनकी चार बेटियों के अलावा दो बेटे थे, जिन्हें पड़ोसियों ने मां के निधन के बारे में जानकारी दी थी। लेकिन खबर देने के बावजूद भी बेटे नहीं आये। ऐसे में सभी सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए उन बुजुर्ग महिला की चारों बेटियों ने ही अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का फैसला किया।

खुद दिया मां के शव को कंधा

मां के निधन की जानकारी मिलते ही घर पहुंचीं चारों बेटियां पड़ोसियों की मदद से शमशान घाट तक शव को ले गईं। बेटियों ने शव को खुद कंधा दिया। इस दौरान उन्होंने लगभाग चार किलोमीटर की दूरी तय की। इस मामले में जाति की एक बेटी सीतामणि साहू ने बताया कि उनके भाई पिछले 10 सालों से मां का ध्यान नहीं रख रहे थे। यही नहीं, भाइयों ने मां को कभी अपने साथ रहने नहीं दिया।

Image Source: Harzindagi

मां का ध्यान नहीं रखते थे भाई

सीतामणि ने कहा कि इतने सालों में भाइयों ने कभी मां से एक बार ये नहीं पूछा कि वो कैसी हैं या अकेले कैसे अपने खाने-पीने का इंतजाम कर रही हैं। पिछले काफी दिनों से मां बहुत बीमार थीं जिसकी वजह से हमें उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। मगर इस दौरान भी हमारे भाइयों का मन नहीं पिघला। इस वजह से उन चारों बहनों ने भाइयों का इंतजार करने के बजाय खुद ही मां का अंतिम संस्कार किया।

अकेले छह बच्चों को बड़ा किया था

बेटियों ने भाइयों पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिताजी के निधन के बाद मां पर अपने पूरे परिवार को पालने की जिम्मेदारी आ गई थी। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए उन्होंने अपनी चारों बेटियों की शादी की। बेटे भी शादी के बाद अपने-अपने परिवार के साथ रहने लगे। लेकिन शादी के बाद बेटे मां का ध्यान रखने की बजाए उन्हें सताने लगे।

पहले भी बेटियों ने कायम की है मिसाल

ये पहला मौका नहीं है जब देश की बेटियों ने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए इस तरह की मिसाल समाज के सामने पेश की हो। हाल ही में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ (CDS) बिपिन रावत और उनकी पत्नी के निधन के बाद उनकी बेटियों कृतिका और तारिणी ने दिल्‍ली छावनी के बरार स्‍क्‍वायर अंत्येष्टि स्थल पर अपने माता-पिता को हिंदू रीति-रिवाजों से मुखाग्नि दी थी

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