“हम दो हमारे दो” ये लाइन तो आपने सुनी ही होगी। कई देशों में सरकार कम बच्चे होने के लिए प्रोत्साहित करती है। आज के मंहगाई भरे समय में बच्चों का लालन पोषण और उनकी पढ़ाई पर होने वाला खर्चा बहुत अधिक होता है, जिस वजह से सरकार इस तरह के कार्यक्रम लाती है जहां पर लोगों को जनसंख्या को संतुलित रखने के बारे में बता सके। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताएंगे जहां पर सरकार लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
इतना ही यहीं यदि किसी के ज्यादा बच्चे हैं तो उनको सरकार की तरफ से भत्ता भी मिलता है, भत्ते में मिलने वाली राशि भी अच्छी खासी होती है। बता दें कि कज़ाकस्तान इन्हीं देशों में से एक है। जहां पर सरकार लोगों को अपना परिवार में ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती है। कज़ाकस्तान में बड़े परिवार होने वालों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य ये है कि यदि परिवार में ज्यादा बच्चे होंगे तो देश की आबादी बढ़ेगी। जो औरतें देश की जन्म दर को बढ़ाने में योगदान देती हैं उन्हें ‘हीरो मदर्स’ का मेडल दिया जाता है। साथ ही पदक पाने वाली मांओं को सरकार से ताउम्र मासिक भत्ता भी मिलता है।
वहीं कज़ाकस्तान की ही रहने वाली बक्तीगुल हलाइकबेवा भी 6 बच्चों की मां हैं और छह बच्चे होने के चलते उन्हें सरकार द्वारा सिल्वर मेडल मिला है और साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से हर महीने भत्ता भी मिलता है। हलाइकबेवा का एक बेटा अभी गोद में है। वह कहती हैं, ‘यह सबसे छोटा है जो चार साल का है। सबसे बड़ा 18 साल का है।’ वहीं जो औरतें मेड नहीं रखती हैं उनको भी सरकार द्वारा भत्ता दिया जाता है।
वहीं जिन परिवारों में चार बच्चे हैं, उनको भी सरकारी भत्ता दिया जाता है और यह भत्ता तब तक मिलता है जब तक उनके बच्चे 21 साल के नहीं हो जाते। कज़ाकस्तान के श्रम और सामाजिक कार्यक्रम विभाग की अक्साना एलुसेजोवा कहती हैं, ‘हमारी सरकार की नीति है कि हमें अपने देश में ज्यादा बच्चे चाहिए। सभी लोग इस बारे में हमेशा बात करते हैं कि ज्यादा बच्चे हों, जिससे हमारी आबादी बड़ी हो।‘
ज्यादा बच्चे होने पर माताओं को सम्मान देने, पदक देने औऱ सरकार की तरफ से उनकी आर्थिक मदद करने की शुरूआत सोवियत संघ के समय शुरू हुई थी। 1944 में सोवियत संघ ने ‘मदर हीरोइन’ पुरस्कार शुरू किया था। यह पुरस्कार उन महिलाओं को दिया जाता था जिनके 10 या उससे ज्यादा बच्चे होते थे। मांओं को सम्मानित करने के लिए सोवियत सरकार उनको सितारे जैसा बैज और प्रशस्ति-पत्र देती थी।
पहले जहां ये पुरस्कार और सुविधाएं सिर्फ बड़े परिवार होने पर लोगों को दी जाती थी, वहीं अब यह सभी सुविधाएं छोटे परिवारों को भी मिलती है, क्योंकि जन्म दर ऊंची रखना अब भी कज़ाकस्तान सरकार की प्राथमिकता है। अगर आपको हीरो मदर का तमगा चाहिए तो आपको कम से कम चार बच्चे पैदा करना जरूरी है।
सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं और अकेली मां को भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, लेकिन उनको यह सहायता सिर्फ एक साल के लिए ही मिलती है। वहीं जिन मांओ के चार से कम बच्चे हैं उनको सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिलती है। अब कुछ लोगों की मांग है कि इस योजना को दो या दो से अधिक बच्चों वाली मां के लिए भी लागू किया जाना चाहिए।
बक्तीगुल हलाइकबेवा कहती हैं, ‘कुछ लोग छोटे परिवारों में ज्यादा बच्चे पैदा करने से डरते हैं, क्योंकि सरकार सिर्फ पहले साल उनकी मदद करती है। यह एक वजह हो सकती है।‘ हालांकि हलाइकबेवा को सरकार की तरफ से भत्ता मिलता है लेकिन इसके बाद भी वो खाना बनाने का काम करती हैं। वह कहती हैं, ‘मुझे हर महीने एक लाख 44 हजार टेंगे (370 अमेरिकी डॉलर या 26,270 रुपये) मिलते हैं। यह पर्याप्त है। मैं इतने पैसे में गुजारा करने की कोशिश करती हूं, लेकिन मैं काम भी करती हूं, जिससे सब मिलाकर हमारे लिए कोई कमी न हो। मुझे किसी चीज की शिकायत नहीं है। वहीं रौशन कोजोमकुलोवा भी अपनी स्थिति से पूरी तरह से खुश हैं और वह कहती हैं, यह वैसा नहीं है जैसा पहले हुआ करता था। पहले हमारा मासिक भत्ता कम था। अब मैं कोई शिकायत नहीं कर रही हूं। सब कुछ बहुत अच्छा है।
कज़ाकस्तान सरकार द्वारा मांओ को दिया जाने वाल ये तोहफा तारीफ के काबिल है। इसके पीछे की वजह एक तो देश की आबादी बढ़ाना है वहीं इसके साथ आने वाले समय में उनके देश में युवाओं की संख्या भी ज्यादा होगी जो उनके देश की तरक्की और उसको आगे ले जाने में काफी मददगार साबित हो सकती है।
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