Why Neelakurinji Blooms in 12 Years: इस दुनिया में बहुत से अजूबे हैं, कुछ के बारे में तो हम जानते हैं लेकिन बहुत से अजूबे ऐसे भी हैं जिनके बारे में हम नहीं जानते। इन्हीं अजूबों में से एक अजूबा है निरकुरंजी का फूल। ये फूल भारत में पाया जाता है और हर साल इसकी एक झलक पाने के लिए लोग लाखों रुपया खर्च कर देते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको निरकुरंजी के फूल की विशेष खासियत और इससे जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। तो देर किस बात की आइए करीब से जानते हैं इस चमत्कारी फूल के रहस्य को।
12 सालों में एक बार खिलने वाला निरकुरंजी का फूल कहीं और नहीं बल्कि भारत के केरल में खिलता है। प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर इस राज्य में यूं तो हर साल हजारों की संख्या में सैलानी प्राकृतिक सुंदरता का नज़ारा लेने आते हैं। लेकिन हर साल एक खास समय होता है जब विशेष रूप से लोग यहां केवल निरकुरंजी का फूल देखने आते हैं। इस फूल को बेहद दुर्लभ माना गया है, इसलिए भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां इसे देखने हर साल आते हैं । केरल का सबसे खूबसूरत शहर माना जाता है मुन्नार, प्राकृतिक सुंदरता को अपने में समेटे रखने वाले इसी शहर में आपको निरकुरंजी का फूल देखने को मिल सकता है। मुन्नार कॉफी और मसाला उत्पादन के लिए तो मशहूर है ही, इसके साथ ही निरकुरंजी का फूल भी यहाँ की एक प्रमुख विशेषता है। 12 सालों में एक बार खिलने वाला ये फूल खासतौर से अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा दिखाई देता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, निरकुरंजी के फूल को केरल के लोग कुरंजी का फूल भी कहते हैं। इस फूल को खासतौर से स्ट्रोबिलेंथस प्रजाति का एक फूल माना जाता है। अमूमन इसकी सभी प्रजातियां भारत में ही पाई जाती है। इस फूल की सभी प्रजाति चार साल, आठ साल, बारह साल और सोलह साल के अंतराल पर ही खिलती है। पहले ये फूल अपने उगने के नियत समय पर कभी भी लोगों को दिखाई पड़ जाते थे, लेकिन सड़के चौड़ी करने के कारण इन फूलों के लिए उगने की जगह और मिट्टी धीरे -धीरे खत्म होती जा रही है। भारत के अन्य हिस्सों में ये फूल कब खिलकर विलुप्त हो जाती है लोगों को पता भी नहीं चल पाता है। इसका कारण बस यही है कि, जंगलों और सड़क किनारे झाड़ियों की सफाई होने से ये फूल भी विलुप्त होता चला गया। हालाँकि केरल में आज भी इस फूल की एक प्रजाति हर बारह सालों में एक बार जरूर खिलती है।
बता दें कि, जहाँ भारत के अन्य हिस्सों से इस फूल की प्रजातियां विलुप्त होती चली गई वही केरल के मुन्नार में इसकी खेती के लिए विशेष जगह की व्यवस्था की गई है। जानकारी हो कि, साल 2006 में ही इस फूल की खेती के लिए करीबन 32 किलोमीटर की जगह को संरक्षित कर लिया गया था जहाँ इसकी खेती की जाती है। मुन्नार में हर साल अगस्त से लेकर अक्टूबर के महीने में विशेष रूप से सैलानी इस फूल को देखने आते हैं। कहते हैं कि, गहरे बैंगनी रंग के इस फूल के खिलते ही चारों तरफ की रोशनी भी बैंगनी दिखाई पड़ने लगती है। जिस जगह इस फूल की खेती की जाती है उस जगह को कुरंजिमाला सेंचुरी के नाम से जाता है। साल 2018 से निरकुरंजी फूल के अन्य प्रजातियों को भी संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया था।
केरल की एक जनजाति इस फूल की पूजा करते हैं और इसे रोमांस और प्रेम का प्रतीक मानते हैं। निरकुरंजी के फूल की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि, एक बार खिलने के बाद इसका पौधा भी खत्म हो जाता है। इस फूल की कहती करने वालों को हर साल नए पौधे लगाने होते हैं और विशेष ध्यान रखना होता है। केरल के लोग इस फूल को विशेषतौर पर खुशहाली का प्रतीक भी मानते हैं। केरल में इस फूल की खेती होने की वजह से वहां के पर्यटन में भी काफी इजाफ़ा हुआ है।
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