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Himachal Pradesh Temples: कोरोना संक्रमण की वजह से बीते पांच महीनों से भक्तों के लिए हिमाचल प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल बंद थे। लेकिन अब पांच महीनों के बाद सभी धार्मिक स्थलों में एक बार फिर से जयकारे गूँज रहे हैं। इसी बीच भक्ति और आस्था के प्रतीक प्रख्यात शक्तिपीठ चिंतपूर्णी(Maa Chintpurni Temple), श्री नयनादेवी ब्रजेश्वरी, चामुंडा और ज्वाला जी के अलावा भीमकाली और माता बालासुंदरी, बालकनाथ मंदिर और ऐतिहासिक पावंटा साहिब गुरुद्वारे को भी भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। अमर उजाला के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल के डीसी भी साइकिल से माता के दर्शन के लिए चिंतपूर्णी मंदिर पहुचें। आइये इस खबर को विस्तार से जानते हैं।
हिमाचल प्रदेश(Himachal Pradesh Temples) में लोगों के बीच आज ख़ास भक्ति का माहौल देखने को मिला। इसी बीच डीसी ऊना संदीप(DC Una Sandeep Kumar) भी अपनी साइकिल पर सवार होकर चिंतपूर्णी मंदिर माता के दर्शन के लिए पहुंचें। डीसी ने परिवार सहित माता के दरबार में माथा टेका। बता दें कि, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तारादेवी, जाखू मंदिर और संकटमोचन मंदिर को आज गुरुवार सुबह भक्तों के लिए खोल दिया गया है। इसके साथ ही सराहन स्थित विख्यात माँ भीमाकाली मंदिर को भी सुबह सात बजे से शाम के छह बजे तक भक्तों के लिए खोलने की इजाजत दे दी गई है। श्रद्धालु अब इस समय के दौरान माता के दर्शन के लिए आ सकते हैं, सात बजे सभी मंदिरों के कपाट को बंद कर दिया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार भक्तों के लिए माँ चिंतपूर्णी(Maa Chintpurni Temple) के दरबार को सुबह नौ बजे से शाम के सात बजे तक भक्तों के लिए खोला जा रहा है। भक्त यहाँ माता के दर्शन तो जरूर कर पाएंगे लेकिन पहले की तरह उन्हें प्रसाद चढ़ाने की मनाही होगी ,हालाँकि मंदिर प्रशासन की तरफ से आने वाले सभी भक्तों को दर्शन के बाद प्रसाद जरूर मिलेगा। गौरतलब है कि, हिमाचल के नयनादेवी मंदिर में एक दिन में एक हज़ार श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति है। कोरोना के प्रति सुरक्षा बरतते हुए मंदिर में दस साल से कम उम्र के बच्चे, 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है।
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इसके साथ ही साथ ब्रजेश्वरी माँ शक्तिपीठ और माँ चामुंडा के दर्शन भी भक्तजन सुबह सात से शाम के सात बजे तक कर सकते हैं। बाबा बालकनाथ मंदिर(Himachal Pradesh Temples) में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को ई-पास बनवाना आवश्यक है। यहाँ प्रतिदिन करीबन पांच सौ भक्तों को दर्शन की अनुमति है। जानकारी हो कि, सभी मंदिरों में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजामात किए गए हैं
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