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कड़वा हो चला बनारसी पान का स्वाद, करोड़ों रुपये की लगी चपत

Lockdown Varanasi: देशव्यापी लॉकडाउन का असर हर छोटे मोटे कारोबारियों पर देखने को मिल रहा है। हर किसी को लाखों करोड़ों रुपये का बिजनेस में नुकसान हो रहा है। और इसकी आंच अब पान व्यापार पर भी पड़ रहा है, जिसको लेकर उनका दर्द भी छलक उठा है। जी हां, भारत में बनारस का पान बहुत ही ज्यादा फेमस है, जिसकी छलक बॉलीवुड फिल्मों में भी खूब देखने को मिलती है, लेकिन अब यही पान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।

बनारस का पान खाने में जितना मीठा होता है, उससे कहीं ज्यादा अब वह कड़वा हो गया। दरअसल, कड़वा खाने वालो के लिए नहीं, बल्कि बेचने वालों के लिए हो गया, क्योंकि पान की बिक्री बंद है, जिसकी वजह से नुकसान काफी ज्यादा हो रहा है। इस पूरे मामले में पान कारोबारियों की 1952 से बनाई गए संगठन श्री बरई सभा काशी के महामंत्री अंजनि चौरसिया ने मीडिया से खुलकर बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि आखिर कैसे पान करोबार को कोरोना वायरस चूना लग रहा है?

रोजाना लाखों की चपत

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चौरसिया का कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से हरे पान का पत्ता वाराणसी के चेतगंज स्थित पानदरीबा मंडी में आता है। पानदरीबा मंडी में ही हिटिंग की प्रक्रिया से हरे पत्तों को सफेद बनाने का काम किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन की शुरुआत में ही हरे पान के डंप पड़े रहने की वजह से अब तक करीब 20 करोड़ तक का नुकसान हो चुका है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कारोबार ठप्प होने की वजह से प्रतिदिन कम से कम 25-30 लाख के टर्नओवर की चपत लग रही है।

सड़ चुके हैं रखे हुए पान

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पान के कारोबार को अभी तक खोलने की अनुमति नहीं मिलने की वजह से व्यापारियों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। इसी सिलसिले में पान कारोबारी दीपक चौरसिया का कहना है कि पान के होलसेल कारोबार से 20-25 हजार व्यापारी जुड़े हैं। इसके अलावा, फुटकर दुकानदारों की संख्या लाखों में हैं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पुराने रखे पान सड़ चुके हैं और इस व्यापार से जुड़े लोगों का जीवकोपार्जन तक करना मुश्किल हो चुका है।

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जिला प्रशासन ने लगाई है रोक

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मिली जानकारी के मुताबिक, जिला प्रशासन ने फिलहाल पान के कारोबार पर रोक लगा रखी है। दरअसल, इसके पीछे की वजह यही है कि पान को थूकने से कोरोना फैलने का खतरा अधिक ज्यादा है, लेकिन इससे व्यापारियों को काफी नुकसान भी हो रहा है। हालांकि, अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर कब इन व्यापारियों को अपना कारोबार शुरु करने का मौका मिलता है?

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