Narendra Modi Biography in Hindi: भारत की आजादी को 70 साल से ज्यादा हो गए हैं और इतने सालों में कई प्रधानमंत्री बने तो कई राष्ट्रपति की शपथ ले चुके हैं। मगर इन सालों में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी और मनमोहन सिंह के अलावा जिसका नाम सबसे ज्यादा लिया गया वो Narendra Modi हैं जिन्होंने 4 बार गुजरात के मुख्यमंत्री की और दो बार प्रधानमंत्री की शपथ ली है। नरेंद्र दामोदर दास मोदी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा है कि वो कुछ ना भी करें लेकिन उनकी गर्जना तो इतनी भयंकर है कि पड़ोसी देश के पीएम में भीगी बिल्ली बन जाए। ऐसे में अगर आपको Narendra Modi Biography के बारे में पता चले तो कितना अच्छा हो।
17 सितंबर, 1950 को गुजरात के मेहसाना जिले के छोटे से शहर वडनगर में जन्में नरेंद्र मोदी के पिता रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे। ये प्रांत पहले बॉम्बे में आता था और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हुआ करती थी फिर भी नरेंद्र मोदी पढ़ाई करते थे। जब स्कूल से लौटकर आते तो पिता के काम में हाथ बंटवाने पहुंच जाते थे। इनके माता-पिता ने इनका पोषण बहुत कष्टों में किया है औऱ मोदी ने भी बहुत सी बातों को सहते हुए आगे बढ़े और अपनी पढाई कंटीन्यू की। नरेंद्र मोदी के दो भाई और हैं और वे भी अपने पिता के साथ चाय की दुकान में हाथ बंटवाते थे। नरेंद्र मोदी अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं और इनसे बड़े दो भाई हैं और दो छोटे भाई भी हैं। इनके पहले बड़े भाई स्वास्थ्य विभाग से रिटायर्ड हैं, दूसरे भाई मशीन ऑपरेटर हैं, तीसरे भाई शॉप के मालिक हैं और चौथे भाई सूचना विभाग में क्लर्क हैं। मगर नरेंद्र मोदी ने कोई नौकरी नहीं की क्योंकि उन्हें देश की सेवा करने का मन बचपन से ही था।
जब नरेंद्र मोदी 18 साल के थे यानी साल 1968 में उनकी शादी जशोदाबेन चिमनलाल के साथ हुई थी। नरेंद्र मोदी के मुताबिक, वे बचपन से ही शादी नहीं करना चाहते थे लेकिन मां के कहने पर उन्होने शादी तो कर ली लेकिन 2 साल में वे उनसे पति-पत्नी वाला रिश्ता नहीं निभा सके और अलग हो गए। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी शादी आज भी बरकरार है और तलाक नहीं लिया है फिर भी वे साथ नहीं है। जशोदाबेन के एक इंटरव्यू के मुताबिक, शादी के बाद मोदी काफी परेशान रहते थे और हमेशा कहते थे कि देश को उनकी जरूरत है बहुत से काम करने है। उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि ये शादी जबरदस्ती हुई है तो उन्होने उनसे उनकी मर्जी जानकर अलग होने का फैसला किया। बाद में जशोदा बेन एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी और अब वे रिटायर्ड हो गई हैं।
नरेंद्र मोदी स्कूल में वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेते थे और बिना किसी स्क्रीप्ट के जीत जाते थे। अपनी कॉलेज की पढ़ाई के बाद नरेंद्र मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए। यहां फुलटाइम प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हो गए। साल 1975-77 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकालीन के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में प्रतिबंध लगाया गया। इसके कारण नरेंद्र मोदी को अंडरग्राउंड होना पड़ा था और गिरफ्तारी से बचने के लिए भेस बदलकर यात्रा करना पड़ता था। आपातकाल के विरोध में मोदी काफी सक्रीय रहते थे और उन्होंने उस समय सरकार का विरोध करने के लिए पर्चे के वितरण सहित कई तरह के हथकंडे भी अपनाए थे और इस तरह से उनकी लीडरशिप लोगों के सामने आई। इसके बाद नरेंद्र मोदी राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में आए और इन्हें आरएसएस में लेखन का काम सौंपा गया। साल 1985 में आरएसएस द्वारा मोदी ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की और बीजेपी पार्टी में सम्मिलित होकर प्रचारक बन गए। साल 1987 में नरेंद्र मोदी पूरी तरह से बीजेपी में रम गए थे और पहली बार अहमदाबाद नगरपालिका चुनाव में भाजपा की ओर से जीत गए थे। इसके बाद इन्होंने आतंकवादियों की धमकी के बाद भी श्रीनगर के लाल चौक पर मुरली मनोहर जोशी के साथ झंडा फहराने के सराहनीय काम के कारण अटल बिहारी बाजपेयी की नजर में आए।
साल 2001 में नरेंद्र मोदी ने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और राजकोट में 2 में से एक सीट जीती। इसके बाद वे गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए, इसके पीछे भी कहानी है। दरअसल मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को बनना था लेकिन उनका स्वास्थ्य सही नहीं था तो अटल बिहारी बाजपेयी ने मोदी का नाम सुझाया और लोगों को पसंद आ गया। 7 अक्टूबर, 2001 को मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और फिर साल 2002 में राजकोट के द्वितीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव भी जीता। इस जीत के 3 दिन बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा होने लगे और इसमें 58 लोगों की जान गई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय गोधरा के पास सैकड़ों यात्रियों से भरी एक ट्रेन में जिसमें ज्यादातर हिंदू यात्री थे आग लगा दी गई। इस घटना से मुस्लिमों के विरोध में हर तरफ दंगे होने लगे। दंगे के दौरान मोदी सरकार थी जिसके कारण सारा आरोप नरेंद्र मोदी पर आ गया। दबाव के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मोदी जी का उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री का कार्यकाल कुछ महीनों का ही था बस फिर साल 2009 में इससे संबंधित सुप्रीमकोर्ट दल बनाया हया और इस मामले की जांच हुई। इस दल की पूरी तरह से जांच के बाद साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट पेश की गई और इसमें मोदी जी को ग्रीन सिग्नल मिल गया।
मगर इसी दौरान नरेंद्र मोदी का जादू कायम रहा और साल 2007 में दूसरी तथा साल 2012 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनकर गुजरात में कई सेवाएं दीं। साल 2013 में नरेंद्र मोदी को उस केस से बरी किया गया और फिर उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आगे आए और अपनी जोरदार गरजना से युवाओं, बच्चों और बुढ़ों को अपनी ओर किया। पूरे देश में एक जनसैलाब आ गया मानों पिछले 10 सालों से जनता कांग्रेस की सरकार से त्रस्त हो चुकी हो। नरेंद्र मोदी ने बीजेपी से पूर्ण बहुमत हासिल की और यही आलम साल 2019 के लोकसभा चुनाव में रहा। इस बार भी उन्हें प्रचंड जीत हासिल हुई और एक बार फिर देशवासियों का दिल जीतने में कामयाब रहे। अब नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे प्रभावशाली लीडर्स में एक हैं और अपने कार्यकाल में इन्होंने नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, तीन तलाक खत्म, धारा 370 हटाना और जीएसटी जैसे अहम काम किए हैं।
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