Saina Nehwal Biography in Hindi: साइना नेहवाल को कौन नहीं जानता, अपनी मेहनत के दम पर साइना ने पूरी दुनिया में अपने नाम का डंका बजा रखा है। भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी की सूची में साइना पहले नंबर पर आती हैं। इस मुकाम को हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला है। इतना ही नहीं एक ही महीने में तीसरी बार शीर्ष पर आने वाली साइना दुनिया की पहली महिला खिलाड़ी बन चुकी हैं।
साल 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में साइना ने बैडमिंटन की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था और इसी के साथ ऐसा करने वाली वह भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई थीं। साल 2006 में बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में वह क्वार्टर फाइनल तक पहुंच गई थीं। साइना ने बीडबल्युएफ विश्व कनिष्ठ प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय का खिताब भी अपने नाम कर रखा हैं। वर्तमान में वह शीर्ष महिला भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और भारतीय बैडमिंटन लीग में अवध वैरियर्स की तरफ से खेलती हैं।
साइना नेहवाल ने अपने ज्यादातर इंटरव्यू में एक बात जरूर कहती हैं कि, ‘’मैं अपने माता-पिता अपने कोच और अपने देश के लिए खेलती हूं’’ बैडमिंटन कोर्ट के बाहर भी उनके लिए यह कथन इतना ही मायने रखता है, जितना खेल के दौरान बैडमिंटन कोर्ट के अंदर।
दरअसल साइना की कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा श्रेय उनकी माता को जाता है। बेहद कम लोग ही जानते हैं कि उनकी मां उनकी पहली कोच भी रह चुकी हैं। एक इंटरव्यू के दौरान साइना नेहवाल ने अपने प्रारंभिक जीवन के बारे में बताते हुए कहा था कि उनके पिता हरियाणा की कृषि विश्वविद्यालय में साइंटिस्ट के पद पर काम करते थे। जबकि उनकी मां स्टेट लेवल की बैडमिंटन खिलाड़ी थीं। उनकी मां का नाम उषा रानी है यह नाम आज भी हिसार जिला बैडमिंटन संघ में दर्ज है। क्लब लेवल पर उन्होंने एक लंबे समय तक बैडमिंटन खेला है।
लेकिन जब साइना का जन्म हुआ तो उन्होंने आधिकारिक तौर पर बैडमिंटन खेलना छोड़ दिया। लेकिन शौकिया तौर पर उन्होंने बैडमिंटन को कभी नहीं छोड़ा वह हर शाम शौकिया तौर पर कृषि विश्वविद्यालय के क्लब में बैडमिंटन खेलने जाया करती थीं और इस दौरान उनके साथ साइना और उनकी बड़ी बहन भी रहती थीं।
साइना ने अपने बचपन के बारे में बात करते वक्त ऐसा कभी नहीं कहा कि उनकी मां उन्हें बचपन से ही एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनाना चाहती थीं। लेकिन जैसा उनका बचपन बीता उस देखते हुए कहा जा सकता है कि साइना कि मां ने बचपन में ही ठान लिया था कि उनकी बिटिया बड़ी हो होकर एक बहुत ही बड़ी बैडमिंटन खिलाड़ी बनेगी।
साइना बताती हैं कि उनके जीवन के सभी बड़े फैसले उनकी मां ने ही लिया है। इतना ही नहीं साइना के मुताबिक वह अपने जीवन में कुछ बड़ा करें इसके लिए सबसे ज्यादा महत्वाकांक्षी उनकी मां ही रही है।
साइना कुछ बड़ा करें इस तरह की महत्वाकांक्षा उनके मां के मन में शुरू से ही था। तभी उन्होंने सायना के जन्म लेने से पहले से ही उनके लिए नाम सोच रखा था और वह नाम था‘स्टेफी’। दरअसल ‘स्टेफी ग्राफ’ उस दौर की छाई हुई टेनिस खिलाड़ी थीं। साइना को 8 साल की उम्र तक लोग इसी नाम से बुलाते थे। लेकिन जब उनके पिता का तबादला हैदराबाद हो गया। तब वहां के लोगों ने उन्हें उनके आधिकारिक नाम से बुलाना शुरू कर दिया। लेकिन साइना की मां आज भी उन्हें स्टेफी ही बुलाती है।
हैदराबाद पहुंचने के बाद उनके करियर में बदलाव आने शुरू हुए। 1998 में उनके पिता को पता चला कि आंध्र प्रदेश खेल प्राधिकरण एक बैडमिंटन समर कैंप का आयोजन करने वाला है। इस दौरान साइना की उम्र 8 साल थी। उनके पिता ने सायना को इस कैंप में भेजने का फैसला लिया। सायना बताती हैं कि यह मुकाबला उस दौरान हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में आयोजित होता था। जो कि उनके क्वार्टर से करीब 25 किलोमीटर दूर था। साइना के मुताबिक उनकी मां रोज सुबह उन्हें इस कैंप के लिए लेकर जाती थी। वहां उन्हें प्रतिदिन 5 किलोमीटर दौड़ाया जाता था। उनकी ट्रेनिंग पर उनकी मां अपनी नजर बनाए रखते थे। इतना ही नहीं ट्रेनिंग में जहां कुछ ऊपर नीचे होता था साइना की मां कोच को ही समझाने लगती थी। कैम्प खत्म कर के जब साइना घर लौटते थी तो उन्हें उनकी मां घर पर भी ट्रेनिंग दिया करती थीं।
साइना बताती हैं कि वह जब तक जिला स्तर की खिलाड़ी नहीं बन गईं। तब तक उनकी मां उनके साथ साए की तरह बनी रहती थी। साल 2018 में साइना ने परुपल्ली कश्यप के साथ शादी की। कश्यप भी अंतरराष्ट्रीय लेवल के बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। शादी के बाद भी साइना के खेल में कोई रुकावट नहीं आई है और वह आज भी देश के लिए खेल रही हैं।
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