Radha and Krishna Relationship in Hindi: हिंदू धर्म में बहुत सारी बातें ऐसी हैं जो इतिहास में घटित हो चुकी हैं लेकिन उनके सवाल किसी को आज तक नहीं मिल पाए। मगर आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ ? प्यार करने वालों के लिए जुदाई बनाई गई है ये बात कहां से इस दुनिया में आई ? क्या आपने सोचा है कि श्रकृष्ण चाहते तो अपना भाग्य बदलकर राधा से विवाह कर लेते ? इन सभी सवालों के बीच हम आपको कुछ सवालों के जवाब देंगे कि krishna ji ne radha se vivah kyu nahi kiya, और हर सच्चा प्यार अधूरा क्यों रह जाता है ?
ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम अमर है और इनके प्रेम ही मिसाल हर प्यार करने वाले देते हैं और ये उनके लिए एक मिसाल भी है। श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी ना होते हुए भी राधा रानी का नाम कृष्ण जी के साथ जुड़ा रहता है। हर जगह राधे-कृष्ण ही जपा जाता है और लिखा जाता है। फिर ऐसी कौन सी वजह से जो इस सच्चे प्रेम करने वाले विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए। इससे जुड़ा एक रहस्य है जो हर राधा-कृष्ण भक्त को पता होना चाहिए। ब्रह्मावैवर्त पुराण में एक कथा का उल्लेख किया गया है जिसमें श्रीकृष्ण और राधा गोलोक में रहते थे। एक बार कृष्ण अपनी पत्नी विरजा के साथ घूम रहे थे तभी राधा वहां मौजूद नहीं थी। परंतु थोड़ी देर बाद जब वे वापस लौटीं तो कृष्ण जी को विरजा के साथ देखकर क्रोधित हो गईं। क्रोध में आकर राधा ने श्रीकृष्ण को अपशब्द कह दिए और उनका अपमान करने लगीं। ये विरजा से सहन नहीं हुआ और कृष्ण जी को छोड़कर नदी में परिवर्तित हो गईं और इसके बाद कृष्ण जी बहुत दुखी हो गए थे।
विरजा के जाने के बाद भी राधा का क्रोध शांत होने का नाम नहीं ले रहा था और वे कृष्णा से बहुत नाराज थीं। ये सब वहां खड़े कृष्ण के परम मित्र और सेवक सुदामा देख रहे थे और उनसे अपने प्रभु का अपमान सहा नहीं गया तो उन्होंने राधा को काफी रोकने की कोशिश की। इसपर राधा ने सुदामा को भी अपशब्द कह दिए और इसपर उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने राधा जी को अपमानित करना शुरु कर दिया। सुदामा का ऐसा व्यवहार राधा जी को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने उन्हें श्राप दे दिया कि अगले जन्म में वे राक्षस योनि में जन्म लेंगे। राधा रानी के ऐसा कहते ही सुदामा ने उन्हें भी श्राप दे दिया कि वे अगला जन्म मनुष्य का लेंगी लेकिन अपने प्रेमी कृष्ण को कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगी। इसी श्राप के चलते राधा रानी ने अपना अगला जन्म वृषभानु और कीर्ति की पुत्री के रूप में लिया और बाद में श्रीकृष्ण को कंस का वध करने के लिए जाना पड़ा और यहीं वे दोनों हमेशा के लिए बिछड़ गए।
ऐसा कहा जाता है कि राधा का विवाह रायाण नाम के एक वैश्य से हो गया था और विवाह के बाद राधा जी ने अपने पति के पास अपनी छाया स्थापित की और वे बैकुंठ को लौट गईं थीं। एक दूसरी कथा के अनुसार, कृष्ण जी से अलग होने के बाद राधा रानी का विवाह अभिमन्यु के साथ हो गया था। वैसे तो राधा और कृष्ण का विवाह नहीं हो पाया और पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें कथा ये भी कहती है कि स्वयं राधा जी ने श्रीकृष्ण के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया था क्योंकि वे द्वाले की कन्या थीं और श्रीकृष्ण महलों में रहने वाले राजकुमार थे। वहीं दूसरी ओर श्रीकृष्ण और राधा एक ही हैं, उन दोनों का अस्तित्व एक ही है और ऐसे में कोई अपनी आत्मा के साथ विवाह कैसे कर सकता है, इस वजह से भी उनका विवाह नहीं हो पाया था। जितने लोगों ने ग्रंथ लिखा उतने लोगों ने अपनी-अपनी बातें कहीं लेकिन सच तो ये है कि उनका मिलन नहीं हो पाया और इसी बात को लोग सदियों से मानते आ रहे हैं कि सच्चे प्यार में मिलन संभव नहीं होता है।
जब कान्हा बाल गोपाल थे तब से ही उनका मन कन्याओं में ज्यादा लगता था और उनकी बंसी की मधुर वाणी को सुनने के लिए कोई भी उनके साथ आ जाता था। बालिकाएं तो बालिकाएं कई युवतियां भी गोपियां बनकर नन्हे कान्हा के आगे-पीछे घूमती थीं। इसके बाद बचपन में ही उनका और राधा का प्रेम प्रसंग चला, कृष्ण जब भी बंसी बजाते थे तो राधा अपने आप कहीं से भी भागकर आ जाती थीं। ये छिप-छिप कर मिलते थे और अपने आने वाले भविष्य के सपने संजोते थे लेकिन श्रीकृष्ण को अपने जन्म का उद्देश्य हमेशा चुप रखता था। युवावस्था में उन्हें कंस को मारने के लिए लिए मथुरा जाना पड़ा था तब वे राधा को समझाने गए थे। श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि वे इस विश्व में सबसे ज्यादा प्रेम उनसे ही करते हैं लेकिन उनका मिलना संभव नहीं है और उन्हें किसी और उद्देश्य से परमात्मा ने जन्म दिया है। बिछड़ते हुए दोनों का हृदय रो रहा था लेकिन फर्ज के आगे श्रीकृष्ण ने अपने हृदय को कठोर बनाकर राधा से दूर हो गए।
इसके बाद जब उनका उद्देश्य पूरा हुआ तब राधा का विवाह हो चुका था। श्रीकृष्ण ने रुक्मणी सहित 8 कन्याओं से विवाह किया और ग्रंथों के अनुसार तो उनकी 16,108 रानियां थीं जो बाद में उनके साथ द्वारिका में ही रहती थीं। इतनी पटरानियां होने के बाद भी श्रीकृष्ण का नाम आज भी राधा के साथ ही जोड़ा जाता है।
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