जाने किसान आंदोलन से जुड़ी हुई 10 बड़ी बातें, सरकार और किसान के बीच आज होगी बातचीत
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केंद्र सरकार के कृषि कानून बनाने के बाद किसान अपने आंदोलन(Farmers Protest) पर अभी भी डटे हुए हैं। देशभर में किसान प्रदर्शन के बीच आज किसान संगठन और सरकार के बीच कृषि कानून पर बने गतिरोध को सुलझाने के लिए बातचीत होगी। जैसा कि हम सब जानते हैं, हजारों की संख्या में हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली बॉर्डर और उसकी सीमाओं में अपना प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली नोएडा लिंक रोड पर प्रदर्शन कर रहे किसान(Farmers Protest) ने कहा “यदि केंद्र सरकार के साथ आज की बातचीत पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता है तो हम संसद का घेराव करेंगे” किसानों की मांग है कि कृषि कानून को वापस लेना पड़ेगा केंद्र सरकार को।
यह है मामले से जुड़ी अहम 10 जानकारियां
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कृषि कानून के विरोध में किसानों का प्रदर्शन(Farmers Protest) दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक किसान चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे। इसी दौरान एक किसान के बयान के मुताबिक अगर सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वह लोग संसद का घेराव करेंगे।
नए कृषि कानून को लेकर जारी विरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान के नेताओं का के पांचवे दौर की बातचीत शनिवार को होगी। इस बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोमप्रकाश उपस्थित होंगे। बातचीत में उन मुद्दों पर विचार विमर्श होगा जो कि किसानों ने उठाए हैं और उनका समाधान कैसे करें उस पर भी बातचीत होगी।
किसान संगठन ने भी अपनी बैठक शुक्रवार को की जिसमें उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि उन्होंने तय किया है कि जब तक तीनों कानून रद्द नहीं होंगे तब तक वह लोग नहीं मानेंगे। उन्होंने आगे यह भी बताया है कि सरकार थोड़ा कुछ संशोधन करने के लिए तैयार हो गई है लेकिन किसानों के मुताबिक जब तक कानून वापस नहीं लेंगे तब तक वह लोग दिल्ली से नहीं जाएंगे।
किसानों ने आगे यह भी कहा है कि 8 दिसंबर को वह दिल्ली के हर एक टोल प्लाजा पर कब्जा कर लेंगे और दिल्ली में आने-जाने के जो भी बचे कुचे रस्ते बच्चे हैं वह भी बंद करा देंगे। किसानों के मुताबिक वह 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) के पुतले जलाएंगे।
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सूत्रों के मुताबिक सरकार ने यह कहा है कि उन्होंने उन प्रावधानों के संबंधित समाधान पर काम किया है जिन पर कृषि नेताओं को आपत्तियां थी। सरकार ने शनिवार को गतिरोध भंग होने की उम्मीद जताई है ताकि किसानों का प्रदर्शन भी खत्म हो सके।
पिछले बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने 40 किसानों के संगठन में यह आश्वासन दिया था कि सरकार कृषि उपज बाजार समिति मंडियों को मजबूत करने प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धा का समांतर बनने और विवाद समाधान के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है। सरकार ने किसानों को यह भी आश्वासन दिया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी व्यवस्था जारी रहेगी।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार को धमकी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की तो किसानों का आंदोलन दिन प्रतिदिन तेज हो जाएगा। टिकैत ने एक बयान में यह भी कहा बृहस्पतिवार को हुई बैठक के दौरान सरकार और किसान किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पाए। सरकार कानूनों में संशोधन करना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त किया जाए। उन्होंने आगे यह भी कहा कि यदि सरकार हमारी मांगों पर सहमत नहीं होती है हम विरोध जारी रखेंगे। हम यह देखना चाह रहे हैं कि शनिवार को बैठक में क्या होता है।
अब किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है जिसमें दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि यह प्रदर्शन कोविड-19 के मद्देनजर खतरा पैदा कर सकता है। साथ ही साथ लोगों को आने जाने में बहुत दिक्कतें हो रही हैं।
किसानों के इस प्रदर्शन की वजह से कई सड़कों को बंद कर दिया गया है। लोगों को यातायात में भी दिक्कतें हो रही है। दिल्ली नोएडा लिंक रोड को भी बंद कर दिया गया है जिसकी वजह से लोगों को डीएनडी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
किसानों के मद्देनजर जो नए कानून बने हैं वह किसान विरोधी है और वह MSP को खत्म करने के मार्ग पर चल रहे हैं, पर सरकार का यह कहना है कि जो भी उन्होंने नए कानून बनाए हैं वह किसान को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई तकनीकी की शुरुआत करेंगे।