Featured

कभी महादेव की थी लंका, जानें कैसे किया दशानन ने इस पर कब्जा

History of Lanka In Hindi: ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ण नगरी लंका इतनी सुंदर थी कि इसकी खूबसूरती व भव्यता देख लक्ष्मण जी भी इस कद्र मंत्रमुग्ध हुए थे कि उन्होंने श्रीराम को रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद लंका पर शासन करने का सुझाव दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंका हमेशा से रावण की नहीं थी बल्कि इसका निर्माण भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए कराया था। आइए जानते हैं लंका की पूरी कहानी।

कुबेर थे पहले लंकापति

Image Source – Youngisthan.in

माली, सुमाली और माल्यवान नामक 3 दैत्यों ने त्रिकुट सुबेल (सुमेरु) पर्वत पर लंकापुरी बसाई थी लेकिन देवों और यक्षों ने माली को मारकर कुबेर को धनपति नियुक्त कर लंका का राजा बना दिया। कुबेर ने लंका पर राज कर उसका विस्तार किया, लेकिन रावण ने अपने नाना के उकसाने पर अपनी सौतेली माता इलविल्ला के पुत्र कुबेर से युद्ध कर इसे फिर से राक्षसों के आधीन कर लिया और स्वयं लंकापति बन बैठा। बाद में रावण ने अपने सौतेले भाई कुबेर से उनका पुष्पक विमान भी छीन लिया।

महादेव ने क्यों करवाया लंका निर्माण

Image Source – News4nation.com

एक बार माता पार्वती को महसूस हुआ कि महादेव देवों के देव हैं तो उन्हें सभी देवों के महल से भी सुंदर और भव्य महल में रहना चाहिए। उन्होंने महादेव से हठ किया कि वे एक ऐसे महल का निर्माण करवाएँ जो तीनों लोक में कहीं न हो।

महादेव के लाख समझाने पर भी जब माता पार्वती नहीं मानी तो महादेव को झुकना पड़ा और उन्होंने विश्वकर्मा जी को बुलाकर एक ऐसे महल का निर्माण करने को कहा जो ना तो धरती पर हो और ना ही जल में और जिसकी सुंदरता की बराबरी कोई ना कर सके।

विश्वकर्मा जी फौरन ही ऐसी जगह की खोज में निकल गए। इसी दौरान उन्हें एक ऐसी जगह दिखाई दी जो चारों तरफ से पानी से ढकी थी और बीच में तीन खूबसूरत पहाड़ दिख रहे थे जिनपर तरह-तरह के फूल और वनस्पति उगे हुए थे। यह जगह लंकापुरी थी।

जब विश्वकर्मा जी ने इस जगह के बारे में माता पार्वती को बताया तो उन्होने खुश होकर विश्वकर्मा जी को वहाँ पर एक सुंदर व विशाल नगर बनाने का आदेश दिया। माता के आदेश का पालन करते हुए विश्वकर्मा जी ने अपनी कला का परिचय दिया और वहां सोने की अद्भुत नगरी का निर्माण किया।

Image Source – Nahud Sultan/Flickr

माता पार्वती ने महल के निर्माण के पश्चात गृह प्रवेश का मुहूर्त निकलवाया और विश्रवा ऋषि को आचार्य नियुक्त किया। गृह प्रवेश में शामिल होने के लिए सभी देवी-देवताओं और साधू-संतो को निमंत्रण भेजा गया और जिसने भी महल देखा वह मंत्रमुग्ध हो गया।

विश्रवा ऋषि का मन उस नगरी को देख ललचा गया था, इसलिए जब गृहप्रवेश के बाद महादेव ने उनसे दक्षिणा मांगने को कहा तो उन्होने दक्षिणा के रूप में लंकापुरी ही मांग ली और महादेव ने उन्हें लंकापुरी दान में दे दी। जब माता पार्वती ऋषि विश्रवा की इस चालाकी का पता चला तो वे क्रोधित हो गईं और उन्होंने ऋषि विश्रवा को यह श्राप दिया कि जिस महल को उन्होने महादेव के भोलेपन का फायदा उठाकर हड़प लिया, एक दिन महादेव का ही अंश उस महल को जलाकर राख कर देगा और इसके साथ ही उनके कुल का भी नाश हो जाएगा।

यह भी पढ़े

इसी श्राप के चलते, ऋषि विश्रवा से लंकापुरी उनके पुत्र कुबेर को मिली लेकिन उनकी दूसरी पत्नी से हुए पुत्र रावण ने कुबेर को निकाल कर लंका को हड़प लिया। इसके बाद शिव के अवतार बजरंगबली ने लंका दहन किया और श्रीराम ने विश्रवा के पूरे कुल का विनाश किया। विभीषण श्रीराम की शरण में होने के कारण बच गए और नए लंकापति बने।

Facebook Comments
Damini Singh

Share
Published by
Damini Singh

Recent Posts

सनबर्न ने छुटकारा दिलाता है बर्फ, जानिए चेहरे पर इसका इस्तेमाल कैसे करें

Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…

5 days ago

इस खास तरीके से बनाएं होम मेड स्प्रिंग रोल शीट, रखें अपनी सेहत का ध्यान

Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…

6 days ago

राम रक्षा स्त्रोत के पाठ से बनेंगे सभी बिगड़े काम, जानिए इस पाठ के महत्व के बारे में

Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…

1 week ago

महाभारत काल से जुड़ा हुआ है कुरुक्षेत्र के माँ भद्रकाली पीठ, जानिए इसके इतिहास के बारे में

Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…

2 weeks ago