CBSE Syllabus Reduce: जैसा कि आप सभी जानते हैं इस समय कोरोना वायरस की वजह से सभी स्कूल कॉलेज आदि बंद हैं। बारहवीं में पढ़ने वाले CBSE के छात्रों की परीक्षा भी पूरी नहीं हो पाई है। ऐसे में सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) ने बीते मंगलवार को बच्चों के सर से पढ़ाई का भार कम करने के लिए सभी स्कूलों में सिलेबस को 30 फ़ीसदी तक कम करने की घोषणा की है। सिलेबस कम करने की वजह से बच्चों के कोर्स में से बहुत से अहम् चैप्टर को हटा दिया गया है। इसके बाद एनसीइआरटी के डायरेक्टर ने इस फैसला पर अपनी प्रतिक्रिया पेश की है। आइये जानते हैं आखिर CBSE ने किस चैप्टर को कोर्स से कम किया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, CBSE ने बच्चों के सर से पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए कोर्स से जिन चैप्टर्स को हटाया है वो बेहद महत्वपूर्ण हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार CBSE ने अपने कोर्स से संघवाद, नागरिकता और निरपेक्षवाद सहित लोकतांत्रिक अधिकार और फ़ूड सिक्योरिटी जैसे अहम चैप्टर को कोर्स से हटा दिया है। जानकारी हो कि, CBSE के इस कदम के बाद इस विषय से जुड़े शिक्षक और अन्य शिक्षा संस्थानों ने CBSE Board के इस फैसले का कठोर विरोध किया है। गौरतलब है कि, CBSE Board ने क्लास नौ से बारहवीं तक के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से नागरिकता, संघवाद सहित राष्ट्रवाद और निरपेक्षवाद जैसे चैप्टर को पूरी तरह से हटा दिया है। बारहवीं के कोर्स की बात करें तो पॉलिटिकल साइंस से “सिक्योरिटी इन दी कंटेम्पररी वर्ल्ड”, “एनवायरनमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेज”, “सोशल एंड न्यू सोशल मूवमेंट इन इंडिया” सहित कुछ अन्य चैपटर्स को भी हटा दिया है। इसके अलावा यदि बात करें दसवीं कक्षा के सिलेबस की तो, CBSE Board ने “डेमोक्रेसी एंड डाइवर्सिटी”, “कास्ट रिलिजन एंड जेंडर”, और “चैलेंजेज तो डेमोक्रेसी” जैसे महत्वपूर्ण चैप्टर को हटा दिया है।
बता दें कि, सीबीएसई के इस फैसले पर एनसीइआरटी के डायरेक्टर कृष्ण कुमार ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि, ऐसे महत्वपूर्ण चैप्टर्स को कोर्स से हटाया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होनें बताया कि, सीबीएसई की किताबों से इन चैप्टर्स को हटाकर बच्चों के पढ़ने और समझने के अधिकार को छीना जा रहा है। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए कृष्ण कुमार ने बताया है कि, “सोचने वाली बात है कि, आप सोशल मूवमेंट जैसे चैप्टर हटाकर हिस्ट्री कैसे पढ़ा सकते हैं?, आखिर हिस्ट्री भी तो सोशल मूवमेंट से ही निकली है।” एनसीइआरटी के डायरेक्टर ने सीबीएसई पर निशाना साधते हुए इन चैप्टर्स को हटाए जाने की जरुरत को बेबुनियाद बताया है। जानकारी हो कि, कृष्ण कुमार साल 2004 से 2010 तक एनसीइआरटी के डायरेक्टर थे। सीबीएसई के इस फैसले पर सीबीएसई के पॉलिटिकल साइंटिस्ट सुहास पल्शिकर ने भी असहमति व्यक्त की है। उन्होनें अपनी राय देते हुए कहा है कि, “स्कूली बच्चों के सर से शिक्षा का बोझ कम करने के और भी तरीके हो सकते हैं, सिलेबस में जो जरूरी हो उसे पढ़ाया जाए और बाकी को सप्लीमेंट्री रखा जाए।”
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