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उत्तराखंड में अचानक उल्टी दौड़ने लगी जनशताब्दी एक्सप्रेस, ऐसे बची यात्रियों की जान

Jan Shatabdi Train Runs Backwards: एक बार फिर से उत्तराखंड(Uttrakhand) में बीते बुधवार को एक बड़ी रेल दुर्घटना होने से बच गई है। यह दुर्घटना नई दिल्ली(Delhi) से टनकपुर(Tanakpur) की ओर बढ़ रही पूर्णागिरी जनशताब्दी एक्सप्रेस(Jan Shatabdi Express) के साथ हो सकती है, मगर सौभाग्य से यह टल गई।

भयभीत हो गए थे यात्री

टनकपुर की ओर जाने के दौरान रेल पटरियों पर पूर्णागिरी जनशताब्दी एक्सप्रेस ने अचानक विपरीत(Jan Shatabdi Train Runs Backwards) यानी कि उल्टी दिशा में दौड़ना शुरू कर दिया। इससे ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों के बीच भय की लहर दौड़ गई और वे परेशान हो उठे। यात्रियों की खुशकिस्मती रही कि ट्रेन कुछ किलोमीटर तक उल्टी दौड़ने के बाद आगे जाकर रुक गई। इसके बाद यात्रियों की जान में जान आई।

इस वजह से हुआ हादसा

एक सप्ताह के अंदर ही उत्तराखंड(Uttrakhand) में यह दूसरा ऐसा मौका आया है, जब कोई ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने से बची है। इस बारे में चंपावत के पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह(Lokeshwar Singh) का यह बयान आया है कि शायद किसी जानवर से ट्रेन का इंजन टकरा गया था, जिस वजह से ड्राइवर को प्रेशर ब्रेक का इस्तेमाल करना पड़ा था। ऐसे में इंजन में कुछ तकनीकी समस्या आ गई। इसकी वजह से ट्रेन ने अचानक उल्टी दिशा में दौड़ना शुरू कर दिया।

नहीं हुआ जान-माल का नुकसान

उन्होंने यह भी बताया कि ऐसा बनबसा में हुआ था। यहीं से रेलगाड़ी ने उल्टी दिशा में दौड़ना शुरू किया था। इसके बाद यह दो-तीन किलोमीटर पीछे दौड़कर चकरपुर में रूक गई। लोकेश्वर सिंह के मुताबिक इसमें जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है।

बस से भेजे गए यात्री

पुलिस अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि लगभग 60-70 यात्री ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। इन यात्रियों को फिर चकरपुर में सुरक्षित उतार लिया गया और बसों से उनके गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया।

इस ट्रेन में लग गई थी आग

इसी तरह से बीते शनिवार को नई दिल्ली से देहरादून जा रही शताब्दी एक्सप्रेस भी दुर्घटनाग्रस्त होने से बची थी। राजाजी टाइगर रिजर्व की कांसरों रेंज के नजदीक इसके एक कोच ने आग पकड़ लिया था। इसकी वजह से शताब्दी एक्सप्रेस का पूरा कोच ही जलकर स्वाहा हो गया था। हालांकि, 35 यात्री जो इसमें यात्रा कर रहे थे, उन सभी को इसमें से सुरक्षित बाहर निकाल कर बचा लिया गया था।

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फिर भी एक सप्ताह के अंदर दो ट्रेन दुर्घटनाओं ने उत्तराखंड में ट्रेन से सुरक्षित यात्रा पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं। ऐसे में रेलवे को इस ओर खास ध्यान देने की जरूरत है।

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Shailesh Kumar

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