Old Prabhat Studios Facts In Hindi: लाइट, कैमरा, एक्शन, रोल-डायरेक्टर के इन अल्फाजों के साथ ही शुरू हो जाती हैं एक फिल्म की शूटिंग। आज के दौर में जब टेक्नोलाजी बेहद एडवांस है फिल्मों में स्पेशल इफैक्ट्स से लेकर रियल लोकेशन पर शूटिंग कर पाना मुश्किल नहीं है। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते है उस दौर की जब फिल्में बोलती नहीं थी, उनमें रंग नहीं होते थे, यहां तक कि एक ही जगह पर सर्दी, गर्मी, बरसात, शहर या गांव, घर या महल की शूटिंग हो जाती थी। महज़ एक स्टूडियो में ही एक पूरी फिल्म बना दी जाती थी। ऐसा ही एक स्टूडियो है ‘प्रभात स्टूडियो’ (Prabhat Studios) जिसके बैनर तले बनीं फिल्में उस दौर की कहानी सुनाती नज़र आती है।
5 नवयुवक, 15,000 रूपए और प्रभात कंपनी
![Old Prabhat Studios Facts In Hindi](https://hindi.rapidleaks.com/wp-content/uploads/2021/03/Old-Prabhat-Studios-Facts-In-Hindi.jpg)
‘प्रभात स्टूडियो’ (Prabhat Studios) को बंद हुए हालांकि छह दशक से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन दुनिया के सबसे पुराने फिल्म स्टूडियो ‘प्रभात स्टूडियो’ (Old Prabhat Studios Facts In Hindi) की यादें आज भी मौजूद है। आज हम आपके लिए भारतीय सिनेमा इतिहास के खजाने से भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के सबसे पुराने फिल्म स्टूडियो (World’s Oldest Functional Prabhat Studio) की कहानी लेकर आए हैं। पांच नवयुवकों विजी डामले, एस फतेलाल, केआर ढेबर, एसबी कुलकर्णी और वी शांताराम ने महज़ 15,000 रुपये में एक फिल्म कंपनी बनाई, जिसे नाम दिया प्रभात फिल्म कंपनी(Prabhat Film Company)।
एशिया का सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक स्टूडियो
1 जून, 1929 में कोल्हापुर में प्रभात कंपनी की स्थापना की गई, जहां शुरूआती दौर में 6 मूक फिल्में और पांच बोलती फिल्में बनाई गई। मुंबई के नजदीक होने की वजह से साल 1933 में कंपनी ने पुणे में खुद को स्थानांतरित कर लिया। यहां उन्होंने ‘प्रभात स्टूडियो’ (Prabhat Studios) खोला जो उस दौर में एशिया का सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक स्टूडियो था। उस दौर में जब भारतीय सिनेमा का आगाज़ ही हुआ था, प्रभात कंपनी ने बेहतरीन फिल्में बनाई।
57 हफ्तों के लिए चली थी ‘संत तुकाराम’
![Sant Tukaram](https://hindi.rapidleaks.com/wp-content/uploads/2021/03/Sant-Tukaram.jpg)
27 सालों के अपने सफर में ‘प्रभात स्टूडियो’ (Prabhat Studios) ने हिंदी और मराठी मिलाकर तकरीबन 45 फिल्में प्रोडयूस की थी। प्रभात स्टूडियो का आर्ट डिपार्टमेंट बेहद चर्चित था। दुनियाभर में इसका नाम था। बता दें कि प्रभात फिल्म स्टूडियो में भारतीयता को दर्शाती, भारतीय संवेदनाओं से भरपूर फिल्में बनाई। जिनमें भारतीय दृष्टिकोण, दर्शन और कहानी कहने का भारतीय ढंग था। उस दौर की सामाजिक बुराईयों, कुरीतियों और अंधाविश्वास को प्रभात ने अपनी फिल्मों में दिखाया। प्रभात की फिल्मों में भारतीय साज-सज्जा और देशी परिवेश ने दर्शकों से सीधा संबंध बनाया। ‘अयोध्या का राजा’, ‘अमृत मंथन’, ‘अमर ज्योति’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में ‘प्रभात स्टूडियो’ ने ही बनाई हैं। प्रभात की सबसे बड़ी सिनेमाई उपलब्धि थी 1936 में दामले-फतेहलाल की फिल्म ‘संत तुकाराम’। ये फिल्म थिएटर में 57 हफ्तों के लिए चली थी।
यह भी पढ़े
- इस आलीशान बंगले में रहता है देवगन परिवार, देखें ड्रीम हाउस की मनमोहक तस्वीरें
- बॉबी देओल की बॉडी में आये ऐसे बदलाव कि हट नहीं रहीं देखने वालों की नजरें
FTII के कैंपस में ‘प्रभात स्टूडियो’
![Prabhat Studio Renovation](https://hindi.rapidleaks.com/wp-content/uploads/2021/03/Prabhat-Studio-Renovation.jpg)
आज प्रभात स्टूडियो FTII के कैंपस में है, जहां छात्र अपना एक्टिंग प्रोजेक्ट बनाते हैं। इतना ही नहीं स्टूडियो का आधा हिस्सा सिनेमा प्रेमियों के देखने के लिए म्यूजियम में बदल दिया गया है। फिल्हाल दुनिया के इस प्रतिष्ठित स्टूडियो का रेनोवेशन चल रहा है। भले ही ‘प्रभात स्टूडियो'(Prabhat Studios) बंद हो गया हो, उसके बैनर तले बनी भावनाओं से भरी फिल्में आज भी मौजूद है जिनमें दर्ज उनकी गुणवत्ता। अगर आपको भारतीय सिनेमा में दिलचस्पी है तो एक बार पुणे में मौजूद ‘प्रभात स्टूडियो’ (Prabhat Studios) जरूर जाएं।