National Register of Citizens: एनआरसी (NRC) का मसला कुछ सालों से भारत की सियासत में गूंज रहा है। जुलाई, 2018 में जब असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम ड्रॉफ्ट जारी किया गया तो इसमें शामिल होने के लिए तकरीबन 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें से 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली। तभी से इस विवाद से और भी तूल पकड़ा था और संसद से लेकर सड़क तक हंगामा देखने को मिला था। वहीं अब ख़बरें ये आ रही हैं कि हरियाणा (Haryana) के साथ-साथ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भी ऐसा राज्य हो सकता है, जो अपने यहां एनआरसी यानि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) लागू करने जा रहा है। लेकिन ज्यादातर लोगों को ये जानकारी ही नहीं है कि एनआरसी है क्या?
एनआरसी से पता चलता है कि भारत का नागरिक कौन है और कौन नहीं? इस लिस्ट में जिनके नाम शामिल नहीं होते हैं, उन्हें देश का अवैध नागरिक माना जाता है। एनआरसी में आने के लिए कुछ कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है। जिनकी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं।
देखिए, संविधान में अलग अलग तरह से विभिन्न अनुच्छेदों के ज़रिए नागरिकता को परिभाषित किया गया है। इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता को लेकर पूरी जानकारी संविधान में दी गई है। पहले आपको बताते हैं कि कौन सा अनुच्छेद क्या कहता है।
अनुच्छेद 5 (Article 5) के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो शख्स भारत का नागरिक माना जाएगा। भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से भारत में रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना गया है।
संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है। जिसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने गए हैं। लेकिन इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। लेकिन ध्यान रखें कि दोनों परिस्थितियों में ही व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।
अनुच्छेद 7 ( पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वालों के लिए है। जो ये कहता है कि 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है। ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहने के बाद नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
इस अनुच्छेद में विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक है तो। ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होता है।
इस अनुच्छेद में भारत की एकल नागरिकता को लेकर परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाती है।
संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है। इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों को लेकर भारतीय संसद व केंद्र सरकार के पास कुछ बदलाव करने के अधिकार होंगे।
वहीं एनआरसी में शामिल होने के लिए आपके पास कुछ दस्तावेज होने बहुत जरूरी है। अन्यथा आपका नाम एनआरसी लिस्ट में शामिल नहीं हो सकता।
1) जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज.
2) राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र.
3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट
4) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस व प्रमाणपत्र.
5) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज.
6) बैंक/डाक घर में खाता
7) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र.
8) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शैक्षिक प्रमाणपत्र.
9) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज
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