Coronavirus China: चीन में अब कोरोना से संक्रमितों की संख्या दिनों दिन घट रही है। चीन अब इस खतरनाक वायरस से उबर चुका है, अब वहां करीब 1000 से भी कम एक्टिव मरीज हैं, लेकिन अभी उसकी चिंताएं कम नहीं हुई हैं, क्योंकि कोरोना का एक नया रूप देखने को मिल रहा है। कोरोना के इस नए रूप को देखकर वहां लोगों में खौफ है, जिसकी वजह से अब मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है। दरअसल, यहां जो मरीज कोरोना पॉजिटीव पाए गए थे और ठीक हो गए थे, उनमें 2 महीने बाद दोबारा कोरोना पॉजिटीव आ रहा है।
वुहान, जहां से ये वायरस आया है, वहां के एक डॉक्टर का कहना है कि अब चाइना में ऐसे मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यहां के लोग कोरोना संक्रमण से बच निकलने के बाद भी लोगों के टेस्ट पॉजिटीव आ रहे हैं और लक्षण भी नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में, डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों को ठीक करना बहुत कठिन है और ये हमारी लिए आगे चलकर बड़ी मुसीबत बन सकती है।
डॉक्टरों ने बताया कि पहले जो मरीज निगेटीव आए थे, उसके कुछ ही दिनों बाद जब उनका टेस्ट हुआ तो वे पॉजिटीव पाए गए हैं। डॉक्टर कहते हैं कि जो पहले निगेटीव मिले थे, उनमें 50 से 70 दिनों के बाद कोरोना टेस्ट पॉजिटीव आया है।
ऐसे मामलों में बढ़ोतरी पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता की बात हो सकती है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन घोषित है, लेकिन लॉकडाउन से तमाम देशों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। कई देश लॉकडाउन खोल कर जन जीवन सामान्य करने की सोच रहे हैं, पर चीन से सामने आई ये चिंता लॉकडाउन खोलने की अनुमति देखा नहीं दिखाई दे रहा है।
चीन में अभी तक ऐसे कितने मामले हैं, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी चीन ने अभी तक नहीं दिए हैं। फिर भी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है कि चीन में ऐसे मामलों की संख्या दर्जन भर से अधिक है।
गौरतलब हो कि अभी तक इस बात की ठीक से पुष्टि नहीं हुई है कि कितने मरीज वायरस से संक्रमित हैं, जबकि वुहान में डॉक्टर्स इन्हें काफी टाइम तक आइसोलेट रखने की बात कर रहे हैं। वुहान के एक हॉस्पिटल के अध्यक्ष कहते हैं कि नए मरीजों को फिलहाल आइसोलेशन में रखा जाएगा और आइसोलेशन तब तक रहेगा, जब तक मरीजों में संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता।
वे कहते हैं कि नए मरीजों के आने से अस्पतालों में काफी दबाव बढ़ा है, इसलिए अब हम मनोवैज्ञानिकों की सलाह रहे हैं, ताकि मरीज तनाव से ग्रसित न हों। झांग डिंग्यू कहते हैं कि मरीजों पर पड़ने वाला ऐसा दबाव समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।
वुहान के ही एक अस्पताल के उपाध्यक्ष युआन यूफेंग कहते हैं कि 70 दिन पहले वायरस का पता चलने के बाद भी मरीज टेस्ट में लगातार पॉजिटीव आ रहे हैं। वे कहते हैं कि कोरोना के ही परिवार के एक वायरस सार्स जब फैला था, तब भी हमारे सामने ऐसे मामले नहीं थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सार्स ने भी चीन में ही सबसे अधिक लोगों को अपने चपेट में लिया था।
कोरोना वायरस के मामले में चीन में मरीजों के दो टेस्ट अगर निगेटिव आते हैं, तो उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। लेकिन अब नए मामलों के आने से डॉक्टर भी ये कहने लगे हैं कि, टेस्ट की संख्या दो से अधिक होनी चाहिए। इसे तीन या चार किया जाएगा तो संक्रमण को काबू किया जा सकता है।
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चीन में नेशनल हेल्थ कमिशन के एक अधिकारी गुओ यानहोंग का मानना है कि ‘कोरोना बिल्कुल एक नए तरीके का वायरस है, इस वायरस के बारे में अभी हमारे पास जानकारियां बहुत ही कम हैं।’ वहीं दूसरी तरफ चीन के अन्य डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों का कहना है कि, ‘अभी हमें यह भी जानना होगा कि ये वायरस लोगों में दोबारा कैसे वापस आ रहा है?’
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