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कलर थेरेपी के इस्तेमाल से किया जाता है कई रोगों का उपचार, जानिये कैसे काम करती है ये थेरेपी

Color Therapy in Hindi: इंसान का जीवन रंगों की चादर सा है। हर किसी के जीवन में अलग-अलग रंग होते हैं। बता दें कि हमारा शरीर भी अलग-अलग रंगो से मिलकर बना है। आपने कभी ध्यान दिया हो तो कुछ रंगों को देखकर आपकी आंखों को और मन को शांति मिलती है, तो वहीं कुछ रंग आपकी आंखों में चुभते हैं। शायद ही आपको पता हो कि ये सब कलर थेरिपी का हिस्सा है। शायद आपने इस थेरिपी के बारे में पहली बार सुना हो, लेकिन यह थेरिपी इन दिनों प्रचलन में आ रही है। इसके पहले आपने कई थेरिपी के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको कलर थेरिपी के बारे में बताएंगे, जिसका इस्तेमाल इन दिनों कई तरह के रोग दूर करने में किया जा रहा है।

बता दें कि कलर थेरिपी वैकल्पिक चिकित्सा का ही एक रूप है, जिसमें व्यक्ति के शरीर, आत्मा और मन को स्वस्थ करने के लिए रंगो का प्रयोग किया जाता है। बता दें कि रंग आपके मूड और जज्बात को प्रभावित करते हैं और कलर थेरिपी में मनुष्य का रंगो के प्रति इसी संवेदनशीलता को प्रयोग किया जाता है। कलर थेरिपी के जरिए मनुष्य के शरीर के आंतरिक तत्वों में असंतुलन का पता करके उसके इलाज का पता लगाया जाता है।

जैसा कि सब जानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण सोर्स सूर्य है।  सूर्य का प्रकाश है, जो कि अलग-अलग तरंग-दैर्ध्यों से बना हुआ है। सूर्य के प्रकाश का हम पर चिकित्सकीय प्रभाव पड़ता है और कलर थेरिपी में भी हम सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हैं।

कलर थेरेपी का काम [Color Therapy in Hindi]

बता दें कि कलर थेरिपी के द्वारा हमारे शरीर के हर अंग और सिस्टम की अलग ही गुण व विशेषता बताती है। जब हमारे शरीर के अंगो की एनर्जी में कोई खराबी पैदा हो जाती है तो उसे रंगों के प्रयोग से सही किया जा सकता है। हम आपको बताते हैं कि अलग-अलग रंगो का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और वो हमारे लिए कितने लाभकारी और उपयोगी होते हैं।

नारंगी रंग

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बात करें नारंगी रंग की तो यह रंग लाल और पीले रंग को मिलाने से बनता है। बता दें कि इस रंग से एक नहीं बल्कि लाल और पीले दोनों रंगों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है। नारंगी रंग शरीर को ज्ञान व शक्ति प्रदान कर संतुलित रखता है। यही वजह है कि साधु-संत केसरिया रंग के वस्त्र धारण करते हैं। यह रंग अध्यात्म व संसारिक गुणों का संतुलन स्थापित करता है। इसी के साथ नारंगी रंग तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करता है। महत्वकांक्षा को बढ़ाना, भूख बढ़ाना व श्वास के रोगों से आराम देना इस रंग के गुण हैं। इतना ही नहीं यह रंग अवसाद से भी मुक्ति दिलाता है।

हरा रंग

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हरे रंग के प्रयोग से मनुष्य को नेत्र रोग, कमजोर ज्ञानतंतु, अल्सर, कैंसर व चर्म रोगों जैसी बीमारियों से निजात मिलता है। इसी के साथ यह रंग आंखों को शीतलता देता है। बता दें कि हरा रंग “बुध ग्रह” का प्रतिनिधित्व करता है और बौद्धिक विकास के लिए जातक को हरे रंग का पन्ना रत्न ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।

नीला रंग

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नीला रंग सत्य, आशा, विस्तार, स्वच्छता व न्याय का प्रतीक है। नीले रंग से स्त्री रोग, पेट में जलन, गर्मी जैसी बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।

पीला रंग

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पीला रंग ज्ञान और सात्विकता का प्रतिनिधित्व करता है। पीले रंग के प्रयोग से खांसी, जुखाम, लीवर संबंधित बीमारियां, कब्ज़, पीलिया, सूजन व तंत्रिका तंत्र की कमज़ोरी के इलाज में उपयोग किया जाता है। साथ ही पीला रंग “गुरु ग्रह” का प्रतिनिधित्व करता है। व्यक्ति में ज्ञान और वैराग्य भावना विकसित करने के लिए पीले रंग का पुखराज रत्न ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।

बैंगनी रंग

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बैंगनी रंग लाल व नीले रंग के मिश्रण से बनता है। बैंगनी रंग का प्रयोग यश, प्रसिद्धि व उत्साह प्रदान करता है। इसी के साथ इस रंग का उपयोग रक्त शोधन के लिए भी किया जाता है। दर्द, सूजन, बुखार व कार्य क्षमता की वृद्धि के लिए भी बैंगनी रंग का प्रयोग करते हैं।

लाल रंग

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लाल रंग हमारी शारीरिक ऊर्जा को प्रभवित करता है। ये उत्प्रेरक, उत्तेजक और जोशीला रंग होता है।

रंग चिकित्सा का इस्तेमाल

बता दें कि प्राचीन समय में चिकित्सा के तौर पर सूर्य की किरणों का प्रयोग किया जाता था। उसी प्रकार से आज भी ज्योतिष विज्ञान और रत्न धारण में कलर थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। तो आपने देखा कलर थेरेपी अपने आप में कितना महत्वपूर्ण है और इसके इस्तेमाल से किन-किन रोगों का निवारण किया जा सकता है।

दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना न भूलें।

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Shikha Yadav

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