Agar Neend Na Aaye To Kya Kare: दिन में जागकर मेहनत करना जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी है रात को भरपूर नींद लेना। जिस तरह जीवित रहने के लिए हवा और पानी आवश्यक है वैसे ही नींद भी शरीर के लिए अनिवार्य है। हमारे मन, मस्तिष्क और शरीर को हर रोज़ 7 से 9 घंटे की नींद चाहिए। नींद एक ऐसी ज़रूरत है जिसके अभाव में हम न केवल थके रहते हैं बल्कि हमारी कार्य करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। कई लोग तो दिन में ब्यूटी स्लीप भी लेना पसंद करते हैं। नींद दरअसल मन, शरीर और मस्तिष्क के लिए एक ऐसा टॉनिक है जिससे ऊर्जा का संचार होता है और हमारा स्वास्थ्य तंत्र सुचारु रूप से चलता रहता है।
हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो नींद न आने की समस्या(Neend Na Aane Ki Wajah) से जूझ रहे हैं। नींद न आना एक बीमारी हो सकती है जिसे इंसोम्निया कहा जाता हैं। यह एक स्लीप डिसॉर्डर भी हो सकता है। रात को नींद न आना एक आम समस्या है और इसका दुष्प्रभाव बहुत अधिक है। नींद का अभाव दिनचर्या को हिलाकर रख देता है और हम सारा दिन थका हुआ महसूस करते हैं।
1. नींद के अभाव में हमारे जीवन का स्तर गिरता है जिसे हम क्वालिटी ऑफ़ लाइफ भी कहते हैं।इससे हमारे आउटपुट पर बुरा असर पड़ता है। हमारी यादाश्त पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। जिन लोगों को रात को नींद नहीं आती उनकी यादाश्त कमज़ोर है।
2. नींद का सीधा सम्बन्ध हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम से है। यदि हमारे दिमाग को नींद नहीं मिलेगी तो वह अपने कार्य भी ठीक से नहीं कर सकेगा। शरीर बिमारियों से घिर सकता है और मस्तिष्क हमेशा थका रहेगा। कई लोग इससे लड़ने के लिए दिन भर कैफीन का प्रयोग करते हैं ताकि वे एक्टिव रहें। लेकिन नींद की समस्या इससे हल नहीं होती और शरीर के इम्यून सिस्टम को भी नुक्सान पहुँचता रहता है।
3. स्लीप डिसऑर्डर से मूड डिसॉर्डर भी हो सकते हैं। हमारे भावनात्मक स्तर पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। इससे नकरात्मकता बढ़ती है और मन खराब रहता है। हम सकरात्मकता से अपनी दिनचर्या का निर्वाह नहीं कर पाते।
4. जो लोग रात को भरपूर नींद नहीं लेते उनकी निर्णय लेने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। वे कंफ्यूज रहते हैं और अपने रोज़मर्रा के कार्य अच्छी तरह से नहीं कर पाते। ऐसे में दिन में भी नींद के झोंके आ सकते हैं।
5. स्लीप डिसॉर्डर से कई तरह के मानसिक रोग भी आपको जकड़ सकते हैं जैसे कि एंग्जायटी, डिप्रेशन, पैरानोया और डिप्रेशन। ये एक ऐसा जो कई अन्य रोगों को जन्म देता है।
6. नींद और स्वास प्रक्रिया भी आपस में जुड़ी हुई है । सांस में दिक्कतें आ लंग डिसॉर्डर भी हो सकते हैं ।
7. नींद सम्बन्ध पाचन तंत्र से भी है। यदि आपको नींद नहीं आ रही तो आपका पाचन तंत्र यानि कि digestive system भी खराब रहेगा। हार्मोनल इम्बैलेंस होने से खाना खाने की इच्छा बढ़ेगी और मन यह ठीक से कि पेट भरा है उसे खाने की ज़रूरत है।
8. इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ता है। शोध बताते हैं कि जो लोग नींद लेते हैं उन्हें हृदय से सम्बंधित समस्याएं कम होती हैं और वे लम्बी उम्र जीते हैं।
9. दूसरी ओर स्लीप डिसॉर्डर होने के कई कारण हैं । जैसे कि सोने का बदलता वक्त । यदि आपके सोने का कोई एक वक्त तय नहीं है तो नींद डिस्टर्ब होगी । इसके अलावा अल्कोहल का अत्यधिक प्रयोग, स्ट्रेस, एंग्जायटी, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, शरीर में कहीं दर्द, कोई बिमारी भी स्लीप डिसऑर्डर का कारण बन सकती है।
10. सोने का वातावरण सही न हो तो भी नींद डिस्टर्ब रहती है जैसे सोने का स्थान बदलते रहने से, सही तापमान न होने से या नाईट शिफ्ट्स लगातार कार्य करना।
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