Neurological Disorders Kya Hai: पूरे विश्वभर में ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो न्यूरॉलॉजिकल डिसॉर्डर से ग्रसित हैं, इसकी वजह से शरीर का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है। आम शारीरिक समस्या होने के बाद भी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में लोग जागरूक नहीं है। विश्व की एक बड़ी आबादी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर को एक बीमारी के तौर पर जानती है लेकिन यह बीमारी नहीं है। अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है तो आपको परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है आज के इस लेख में हम आपको न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर क्या है और इसके लक्षणों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर आम तौर पर शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले वायरस, जीवाणु, कवक के कारण होता है। अगर कोई व्यक्ति न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स से ग्रसित है तो उसे अल्जाइमर, डिमेंशिया, मिर्गी, जैसी गंभीर शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 17 नवंबर के दिन नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है इस दिन संबंधित विभाग के द्वारा कैंप का आयोजन किया जाता है और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लक्षणों के बारे में बताया जाता है।
लगातार शरीर में कमजोरी महसूस होना, अंगों में फड़फड़ाहट या झुनझुनी का महसूस होना अंगों का टूटना न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लक्षण के तौर पर देखा जाता है। अगर आपके शरीर के अंदर भी ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की आवश्यकता है।
शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले दर्द कई बार भयावह बिमारियों की वजह जाता है और अगर आपके भी शरीर में लगातार दर्द बना रहता है तो यह ब्रेन हैमरेज और ट्यूमर जैसे गंभीर रोगों को जन्म दे सकता है।
बार-बार बेहोश होना मिर्गी के लक्षणों की दर्शाता है और अगर समय रहते हुए इसका इलाज न कराया गया तो यह गंभीर रूप धारण कर सकता है।
याददाश्त की कमजोरी को अक्सर ही बड़े उम्र के लोगों में देखा गया है और समय पर उपचार न मिलने की वजह से यह लक्षण अल्जाइमर जैसे रोग में परिवर्तित हो जाता है।
मौजूदा समय में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लिए कोई इलाज नहीं है लेकिन हेल्दी लाइफ स्टाइल को मेंटेन करके इससे बचा जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से ग्रसित है तो उसे तुरंत ही अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर को जानने के लिए कई प्रकार के मेडिकल टेस्ट और ऑपरेशन तक करने पड़ सकते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, अगर कोई इंसान न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से ग्रसित है तो उसे खुद को डिमोटिवेट नहीं होने देना है और इसके साथ ही उसके परिजनों को भी आस-पास का वातावरण शांत और पॉजिटिव रखने की कोशिश करनी है।
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